ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
पायलट युवराज की बढती मुसीबतें
कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री और युवराज राहुल गांधी आए दिन सुर्खियों में बने हुए हैं, कभी वे शताब्दी की पूरी की पूरी बोगी बुक कराकर मितव्ययता का पाठ पढाने के लिए चर्चित रहे तो कभी अपनी कोलंबियाई गर्ल फ्रेंड के चक्कर में। हाल ही में यूपी के सीतापुर में अंधेरे में हेलीकाप्टर उतरवाने के मामले में अब वे विवादों में घिर गए हैं। मामला चूंकि भविष्य के प्रधानमंत्री का था और केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार है सो पवनहंस कंपनी ने अपने पायलट को बाहर का रास्ता दिखा दिया। राहुल गांधी के अनुसार अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी की तरह वे खुद एक कर्मशियल पायलट हैं (यह बात बहुत कम ही लोग जानते होंगे), और वे भला गलत काम करने पायलट पर अनैतिक दबाव क्यों डालेंगे। जिलाधिकारी संजीव कुमार ने अपने प्रतिवेदन में साफ कहा है कि सूर्यास्त 5 बजकर 13 मिनिट पर हुआ और युवराज का चौपर उतरा 5 बजकर 30 मिनिट पर। संजीव कुमार कहते हैं कि युवराज का हेलीकाप्टर निर्धारित एच मार्क के बगल में उतारा गया। अब जनता या तो संजीव कुमार की बात को सही माने या फिर राहुल गांधी की बात को, पर जनता को जवाब तो इस बात का चाहिए कि राहुल गांधी के अनुसार अगर सब कुछ सही था तो फिर पवन हंस कंपनी ने आखिर किस जुर्म में अपने पायलट को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
मितव्ययता का पाठ नहीं सीखे मंत्री
कांग्रेसनीत संप्रग सरकार में कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी भले ही फिजूलखर्जी रोकने के लिए तरह तरह के प्रहसनों को अंजाम दें किन्तु उनकी सरकार के बेलगाम मंत्रियों को इससे कुछ लेना देना नहीं है। विदेश मंत्री एम.एस.कृष्णा और शशि थुरूर के बाद अब त्रणमूल कांग्रेस के एक मंत्री 37 लाख रूपए की होटल बिल अदायगी को लेकर चर्चित हो गए हैं। ममता बनर्जी के कोटे से पहली बार संसद सदस्य बने पर्यटन राज्यमंत्री सुल्तान अहमद ने एक पांच सितारा होटल को आशियाना बना रखा था, उन्हें होटल का 37 लाख रूपए का बिल अदा करना है। मंत्री बनने के पूर्व में आईटीडीसी के सम्राट होटल में ठहरे थे, एवं मंत्री बनते ही वे होटल अशोका के मेहमान बन गए। इतना ही नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ कबीना मंत्री कमल नाथ ने हाल ही में मध्य प्रदेश की अनेक यात्राएं की हैं। ये यात्राएं स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर ज्यादा सरकारी कम प्रतीत हुईं। इन यात्राओं में उन्होने नियमित विमान सेवा के इकानामी क्लास को मात देते हुए चार्टर्ड प्लेन और चार्टर्ड हेलीकाप्टर का प्रयोग किया। यह है केंद्र सरकार के मंत्रियों की न दिखने वाली मितव्ययता।
भ्रष्टाचार में हाईकोर्ट को लेना पडा संज्ञान
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार भ्रष्टाचारियों को किस कदर संरक्षण दे रही है, इसका जीता जागता उदहारण हाल ही में देखने को मिला। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका क्रमांक 5414/2009 में हाई कोर्ट ने कडा रूख अिख्तयार किया है। दरअसल मामला प्रदेश की सिवनी नगर पालिका में हुए जबर्दस्त भ्रष्टाचार का है। सडकों का निर्माण या तो घटिया हुआ या हुआ ही नहीं और भुगतान कर दिया गया पूरा का पूरा। बताते हैं कि इस मामले की शिकायत कई बार राज्य शासन से किए जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। होती भी कैसे, प्रदेश में भाजपा सरकार और पालिका भी भाजपा की। जनहित याचिका पर गौर करके न्यायालय को ही संज्ञान लेना पडा। कहा जा रहा है कि न्यायालय ने जिला कलेक्टर को निर्देशित किया है कि इस प्रकरण में किसी अन्य अधिकारी को प्रकरण का ऑफीसर इंचार्ज नियुक्त न कर स्वयं ही व्यक्तिगत तौर पर अपना शपथ पत्र प्रस्तुत करें। वैसे प्रदेश की भाजपा शासित नगर पालिकाएं आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई हैं, जिन पर नकेल कसना राज्य सरकार के बस के बाहर की ही बात प्रतीत हो रही है। इस अकेले प्रकरण में ही लगभग डेढ करोड रूपए की राशि बिना डकार लिए हजम कर ली गई है। कहा जा रहा है कि अगर पार्षद और अध्यक्ष की मिलीभगत से चलने वाली पलिका के पांच साल के काम की जांच करवाई जाए तो भ्रष्टाचार की रकम अरब तक पहुंच सकती है।
यह है चाचा नेहरू का हिन्दुस्तान
देश के पहले प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू को दो चीजों से बेहद लगाव था एक गुलाब का फूल तो दूसरा बच्चे। नेहरू गांधी परिवार की छटवीं पीढी की बहू सोनिया गांधी के इशारे पर पिछले लगभग छ: सालों से चल रही कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के राज में चाचा नेहरू के हिन्दुस्तान की भयावह तस्वीर सामने आ रही है, वह भी बच्चों के मामलों में। देश के स्वास्थ्य मंत्री भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के दावे प्रतिदावे करें, किन्तु जमीनी हकीकत इससे बहुत उलट ही है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नवी आजाद द्वारा लोकसभा के पटल पर रखी जानकारी इस हकीकत को बयां कर रही है। बाल मृत्यु दर के मामले में भारत अभी भी बहुत ही पीछे खडा नजर आ रहा है। 2007 में यह दर 55 तो 2008 में 53 थी। जिन देशों में मृत्युदर कम है, उनसे हिन्दुस्तान 143 नंबर पिछड चुका है। शायद भविष्यदृष्टा पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कभी एसा नहीं सोचा होगा कि उनके नवासे की दुल्हन के इशारों पर चलने वाली सरकार के राज में उनके प्यारे बच्चों की इस कदर दुर्गत होने वाली है।
आतंकी हैं या नक्सली
देश की आंतरिक सुरक्षा को सेंध लगाने का काम नक्सलवादी और आतंकवादी दोनों ही कर रहे हैं। केंद्र का मानना है कि नक्सलवादियों और आतंकवादियों में कोई अंतर नहीं है। देश के दोनों ही दुश्मनों को विदेशों से धन मिल रहा है। केंद्रीय गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा है कि नक्सलवादियों को चीन से हथियार और धन मिल रहा है। आतंकवादी विदेश से इमदाद लाकर हिन्दुस्तान में तबाही बरपाते हैं तो नक्सलवादी आंतरिक व्यवस्थाओं को सुधारने के नाम पर जेहाद छेडे हुए हैं। केंद्रीय गृह सचिव ने कहा है तो निश्चित तौर पर उन्हें इस बारे में खुफिया सूत्रों ने ही पुख्ता जानकारी दी होगी। पिल्लई साहेब यह भूल रहे हैं कि देश में बाहरी और आंतरिक सुरक्षा की जवाबदारी उन्ही के महकमे की है। विडम्बना ही कही जाएगी कि पिल्लई साहेब का मंत्रालय बजाए इस तरह के नापाक इरादों के साथ हिन्दुस्तान आने वाली विदेशी मदद को रोकने के बावजूद वह आ चुकी है का प्रोपोगंडा कर रहे हैं।
स्वाईन फ्लू ने ढहाया कालीन उद्योग
हिन्दुस्तान में स्वाईन फ्लू फिर से कहर बरपाने लगा है। मेिक्सको से आयतित इस महामारी ने भारत में अपना घर बना लिया है। अब विदेशों से आने वालों की जांच का ओचित्य इसलिए नहीं रह गया है, क्योंकि इसके वायरस अब भारत की सरजमीं पर बुरी तरह फैल चुके हैं। एक के बाद एक तबाही मचाने के बाद अब कालीन उद्योग पर इसकी नजरें इनायत होती दिख रहीं हैं। देश में बनने वाले बेहतरीन कालीनों के उन आर्डर को निरस्त किया जा रहा है, जो पहले से दिए गए थे। भारतीय कालीन उद्योग के निर्माता हैरान परेशान हैं कि आर्डर मिलने पर उन्होंने माल तो तैयार करवा लिया पर अब आर्डर निरस्त होने पर वे इन्हें किसके मत्थे मढें। अमेरिका और यूरोप के खरीददारोें से जब भी कालीन निर्माता माल भेजने की बात करते हैं तो वे हिन्दुस्तान में स्वाईन फ्लू के बारे में मालुमात करने लग जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार अब तक भारत के कालीन उद्योग जगत में लगभग 75 करोड रूपए का माल डंप हो चुका है। आर्थिक मंदी का शिकार भारत अब स्वाईन फ्लू जैसी महामारी के चलते एक बार फिर बैठने की स्थिति में आ गया है।
महारानी प्रकरण की सौगात मिलेगी नए अध्यक्ष को
राजस्थान की बलशाली महारानी वसुंधरा राजे सिंधिया ने आखिर जता ही दिया कि वे कितनी अधिक ताकतवर हैं। शीर्ष नेतृत्व के बार बार कहने के बावजूद भी उन्होंने राज्य के नेता प्रतिपक्ष के पद से अपना त्यागपत्र नहीं सौंपा है। वर्तमान अध्यक्ष राजनाथ सिंह के गले की फांस बना रहा यशोधरा प्रकरण उन्होंने सुलझाने का प्रयास नहीं किया अलबत्ता इसे आने वाले अध्यक्ष के लिए पहले और सबसे बडे सरदर्द के तौर पर उन्हें देने के मार्ग ही प्रशस्त किए हैं। गौरतलब होगा कि राजनाथ सिंह का कार्यकाल इस माह ही समाप्त हो रहा है। पिछले छ: माह से भाजपा नेतृत्व के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया वसुंधरा का त्यागपत्र लेने में राजनाथ कामयाब नहीं हो सके हैं। उनके कार्यकाल का यह काला अध्याय ही माना जाएगा। दरअसल संघ के इशारों की कठपुतली बन चुकी भाजपा में संघ के आला नेताओं के गुटों के प्रश्रय प्राप्त नेता भाजपा की फजीहत करने पर तुले हुए हैं और संघ नेतृत्व धृतराष्ट्र की भूमिका में चुप्पी साधे बैठा है।
गफलत में है नंबर पोटेZबिलिटी
टेलीकाम रेगुलेटरी अथारिटी (ट्राई) ने भले ही मोबाईल उपभोक्ताओं को मनचाहे सेवा प्रदाता को चुनने की सुविधा देते हुए इसे 31 दिसंबर से लागू करने के आदेश दे दिए हों पर जमीनी हकीकत देखकर लगने लगा है कि इस साल के आखिरी दिन से इसे आरंभ किया जाना सशंकित ही है। बताते हैं कि सेवा प्रदाता कंपनियों ने इस मसले में चर्चा के लिए समय चाहा है। अब जब कंपनियां ही बातचीत के लिए समय मांग रहीं हैं तब 31 दिसंबर से यह अस्तित्व में कैसे आ सकती है। मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों का कहना है कि उनके पास अभी इस मामले में आधारभूत संरचना ही नहीं हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर खडा करने में उन्हें कम से कम छ: माह के समय की दरकार है। कंपनियां पशोपेश में हैं कि अगर 31 दिसंबर से इसे बलात लागू करवा दिया गया तो उनकी शामत आ जाएगी। कुछ उपभोक्ता शौकिया तौर पर यहां से वहां विचरण करें तो कुछ नेटवर्क की शिकायत से निजात पाने के लिए। साथ ही इसका शुल्क इतना कम है कि कोई भी इसे आप्ट कर सकता है। इसमें उपभोक्ता को कारण बताने की जरूरत भी नहीं है कि वह अपने सेवा प्रदाता को क्यों छोड रहा है।
मतलब इसलिए गायब रहे शाटगन
``जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं. . . `` जैसे रोबदार डायलग बोलने वाले शाटगन यानी शत्रुघ्न सिन्हा इस बार संसद में नजर नहीं आए। यह बात किसी मीडिया के जेहन में नहीं आई और सुखीZ भी नहीं बन पाई। हो सकता है संसद को कव्हर करने वाले रिपोर्टर्स ने इस छोटी सी बात पर ध्यान देना उचित न समझा हो, किन्तु शाटगन आखिर क्यों गायब रहे इसके पीछे गहरा राज छिपा हुआ है। दरअसल पांच साल के लंबे अंतराल के बाद शाटगन एक बार फिर रूपहले पर्दे पर दस्तक दे रहे हैं। हिन्दी, तमिल और तेलगू में बनने वाली एक फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा स्व.एन.टी.रामाराव का किरदार निभाने वाले हैं। इसके लिए उन्हें अपने रोबदार मूंछों को कटवाना पडा। अब समस्या यह थी कि मुंछकटे शत्रुघ्न सिन्हा अगर संसद में जाते तो उनके साथ वालों के बीच वे कुछ क्षण के लिए ही सही उपहास का विषय बन जाते। फिल्मों में तो नकली दाढी मूंछ लगाकर काम किया जा सकता है, निकल जाने पर रीटेक भी हो सकता है, पर असल जिंदगी में एसा रिस्क तो लिया नहीं जा सकता न।
फिर फिजूलखर्ची का रास्ता खोजा माया मेम साहिब ने
यूपी की निजाम मायावती बार बार जनता के गाढे पसीने की कमाई को पानी में बहाने के रास्ते खोजती रहतीं हैं। एक के बाद एक आईडियों से साफ तौर पर लगने लगा है कि मायावती ने बाकायदा पैसे की बरबादी कैसे की जाए इसके लिए अनवरत शोध करवाया है। यूपी सरकार के सूत्र कहते हैं कि आतंकी खतरों को देखते हुए मायावती का 5 कालीदास मार्ग का सरकारी निवास और बहुजन समाज पार्टी का कार्यालय दोनों ही बुलट प्रूफ बनाने का संकल्प लिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के निर्माण विभाग ने इसके लिए पंजाब के मोहाली के भारिज फैब्रिकेटर्स कंपनी के साथ करार भी कर लिया है। चूंकि वे घर के अलावा बसपा के कार्यालय में अक्सर आती जाती रहतीं हैं, इसलिए दोनों ही जगहों को बुलेट पू्रफ करना जरूरी है। चौंकिए मत इस कार्य में महज चार करोड पचास लाख रूपए ही खर्च होंगे।
नर्क से बदतर है लालू की साईड अपर बर्थ
भले ही वर्तमान रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा स्वयंभू मेनेजमेंट गुरू एवं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को उनकी औकात दिखाने की उधेडबुन में लगी हों पर आज भी रेल यात्री नारकीय यात्रा करने पर मजबूर हैं। रेल के शयनायन में 72 के बजाए 81 और 84 यात्री बिठाकर ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में लालू यादव ने साईड बर्थ में दो के स्थान पर तीन बर्थ करवा दी गईं थीं। इनमें साईड अपर बर्थ में लेटना यात्री के लिए बहुत ही कष्टकारी साबित होता था, सो फिर वापस 72 बर्थ ही रहने के आदेश जारी हो गए। विडम्बना तो यह है कि आदेश तो जारी हो गए पर साईड अपर बर्थ को नीचे नहीं खिसकाया गया, परिणामस्वरूप आज भी उपर लेटकर जाने वाले के प्राण ही निकल जाते हैं। इस आदेश को जारी हुए साल भर से अधिक समय बीत चुका है पर रेल्वे के डिब्बों में साईड अपर में यात्रा करना नरक से भी बदतर माना जा रहा है।
काले झंडे दिखाने के बीस साल बाद गया पार्षद जेल!
बीस साल का समय कम नहीं होता। बीस साल में एक नौजवान वोट देने के लायक हो जाता है। मध्य प्रदेश के भोपाल में तत्कालीन मंत्री एच.के.एल.भगत को काले झंडे दिखाने के आरोप में बीस साल बाद न्यायालय ने सजा सुनाई है। एक तरफ लगभग तीन करोड मुकदमों को निपटाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पंद्रह हजार न्यायधीशों को ठेके पर रखने की बात कही जा रही है, वहीं दूसरी ओर एक मामले में बीस साल बाद सजा। 1989 में भाजपा के एक पार्षद पुष्पेंद्र जैन ने कांग्रेस के मंत्री एच.के.एल.भगत को भोपाल में यात्रा के दौरान काले झंडे दिखाए थे। न्यायालय ने पुष्पेंद्र के खिलाफ लंबित गिरफ्तारी वारंट खारिज करते हुए उसे जेल भेजने के आदेश दे दिए है। यह मामला 1989 से न्यायालय में लंबित है।
मितव्ययता का अनूठा उदहारण पेश करते शिवराज
समस्याओं से घिरे देश के हृदय प्रदेश पर गरीब होने के लाख आरोप लगें पर शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा मितव्ययता का एसा उदहारण पेश किया जा रहा है जिसे देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि मध्य प्रदेश गरीब गुरबों का प्रदेश है। मंदी की मार झेल रहे भारत के एमपी सूबे में जुलाई 2009 से अक्टूबर 2009 तक मंत्रियों ने हवाई यात्रा में जनता के गाढे पसीने की कमाई का महज 57 लाख 72 हजार रूपए ही उडाया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 26 दिन हवाई तो 16 दिन हेलीकाप्टर में यात्रा की। इसके अलावा कैलाश विजयवर्गीय, बाबूलाल गौर, गोरी शंकर बिसेन, अनूप मिश्रा, राजेंद्र शुक्ल, के.एल.अग्रवाल, तुकोजीराव पवार आदि ने हवाई यात्राओं में तबियत से जनता के माल को हवा में उडा दिया। इस तरह भाजपा की युवा पीढी के लिए आदर्श माने जाने वाले यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज में गरीब गुरबों का रखा जा रहा है ध्यान।
पुच्छल तारा
मुंबई से फारिया खान ने एक ईमेल भेजा है, जिसके अनुसार झंडू बाम और देश के प्रधानमंत्री डॉ.मन मोहन सिंह में क्या अंतर है। जवाब साफ है कि एक ``सरदार`` है तो दूसरा ``असरदार``।
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