शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

फोरलेन का सच ----------------08

पेटी कांट्रेक्टर ने दिया सद्भाव पर हर्जाने का नोटिस
 
सद्भाव की कार्यप्रणाली पर संदेह के बादल
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 13 अगस्त। उत्तर दक्षिण फोरलेन सड़क गलियारे के नक्शे में सिवनी जिला शामिल होगा या नहीं इस बारे में संशय के बादल अब तक छट नहीं सके हैं। फोरलेन गलियारे के मसले का विवाद रोजना ही नए राज उगल रहा है। अब तक यह बात किसी को भी पता नहीं हो सकी है कि आखिर फोरलेन के सिवनी जिले में निर्माणाधीन सड़क का काम किसके कहने पर रोका गया है। इस काम को रोकने में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से कोई रूकावट न डालने की खबरें भी फिजां में तैरने लगी हैं। इसी बीच सिवनी से खवासा तक सड़क का निर्माण करा रही सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा काम को किसी अन्य ठेकेदार को पेटी पर देने की चर्चाएं भी प्रकाश में आईं थी। बताया जाता है कि उक्त पेटी कांट्रेक्टर ने सद्भाव कंपनी पर हर्जाना वसूलने का नोटिस जारी कर दिया गया है।
 
बताया जाता है कि गुजरात मूल के मालिकों की सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सिवनी से खवासा तक का सड़क निर्माण का काम युद्ध स्तर पर किया गया था। इस ठेके का अस्सी प्रतिशत काम सद्भाव कंपनी ने 2008 के समाप्त होने के पहले पहले ही निपटा दिया गया था। शेष 20 प्रतिशत काम को सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी को अक्टूबर 2010 तक पूरा करना था। हालात देखकर यह कहा जा रहा है कि सद्भाव कंपनी जानती थी कि इस सड़क के निर्माण में पेंच फंसने वाले हैं, अतः अपना मुख्य काम उसने जल्द ही निपटा लिया था।
 
सद्भाव कंपनी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर 2008 में ही सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने अपना काम रोककर अपनी पूरी मशीनरी को सिवनी से मण्डला, दिल्ली के पास रोहतक एवं महाराष्ट्र के धूलिया के आसपास के सड़क के काम हेतु भिजवा दिया गया था। सड़क निर्माण में फंसे पेंच के चलते सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने विवादित स्थल पर काम करने का ठेका भोपाल मूल की एक कंपनी को पेटी पर दे दिया था। बताया जाता है कि इस काम के लिए सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने करोड़ों रूपए की राशि भी पेशगी के तौर पर दे दी थी।
 
भोपाल मूल की उक्त कंपनी द्वारा खवासा के निकट अपना केम्प बनाकर सड़क निर्माण के लिए आवश्यक मशीनरी जुटा कर संस्थापित भी करवा ली थी। कहा जा रहा है कि इसके उपरांत जब लगभग एक साल तक भोपाल की उक्त कंपनी को काम करने को नहीं मिला तो कंपनी द्वारा सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के उपर हर्जे खर्चे का दावा कर दिया है। एक तो करोड़ों रूपए अग्रिम देना फिर काम न मिलना उसके उपरांत सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी पर हर्जे खर्चे के दावे की खबरों से दाल में काला ही नजर आने लगा है।
 
कहा जा रहा है कि भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा निर्मित किए जाने वाले उत्तर दक्षिण गलियारे में निविदा में यह शर्त रखी गई थी कि अगर काम को निर्धारित समयावधि में ठेकेदार द्वारा पूरा नहीं किया जाता है तो सरकार को ठेकेदार से और अगर देरी सरकार की ओर से होती है तो ठेकेदार को सरकार से पेनाल्टी वसूलने का अधिकार है। यह पेनाल्टी बहुत अधिक बताई जाती है।

बताया जाता है कि सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा अपने पेटी कांटेªक्टर के माध्यम से खुद पर ही हर्जे खर्चे का प्रकरण बनवाया जा रहा है ताकि उस आधार पर सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सरकार से मनमानी पेनाल्टी वसूली जा सके। इस मामले में सिवनी जिले के जनसेवकों के साथ ही साथ फोरलेन बचाने के लिए आगे आए ठेकेदारों का मौन भी संदेहास्पद ही माना जा रहा है।

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