नुकसानी पर मुआवजे का हल्ला केवल झूठी हमदर्दी
(मनोज मर्दन त्रिवेदी)
सिवनी -: जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में कड़ाके की ठण्ड और पाला पडऩे से कृषकों की फसलें बुरी तरह नष्ट हो गई है, सभी राजनैतिक दलों सहित कृषक हितेषी संगठनों द्वारा नुकसानी की मांग मुआवजे के रूप में किसानों को देेने की मांग की है, और राजनैतिक दल के नेताओं द्वारा किसानों को हुई नुकसानी ने खेतो में जाने का अवसर प्रदान कर दिया है लगभग सभी राजनैतिक दल के नेता क्षेत्रों में भ्रमण कर किसान हितेषी बनने का स्वांग रचा रहे हैं भोला भाला किसान उनकी इस झूठी संवेदना से भावविभोर हो रहा है,हालांकि वह यह बात भी जानता है कि नुकसानी पर संवेदना जताने आ रहे नेतागण झूठी संवेदनाएं ही दे रहें हैें किसानों का इससे कोई भला होने की संभावना नहंीं है । पिछले वर्ष फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में रबी की फसल ओला वृष्टि से चौपट हो गई थी, जिसमें केवलारी विधानसभा क्षेत्र के एवं सिवनी विधानसभा क्षेत्र के कृषकों को भारी नुकसानी हुई थी। केवलारी विधायक ठाकुर हरवंशसिंह ने क्षति ग्रस्त क्षेत्र का दौराकर मुआवजे की मांग की थी, केवलारी विधानसभा क्षेत्र की राजनीति कर रहे डॉ. ढालङ्क्षसह बिसेन भी कहां पीछे रहने वाले थे उन्होंने ने भी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ओला वृष्टि से बरबाद फसल का मुआयना किया था। सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया, बंडोल कलारबांकी क्षेत्र के अनेक ग्रामों में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ओला वृष्टि से हुई क्षति को देखने खेतों में पहुंची एवं उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये थे कि किसानों की क्षति का मुआवजा उन्हें एक सप्ताह के भीतर दिया जाये ओवर बुरी तरह चौपट हुई फसल के कारण ग्राम में राहत काल प्रारंभ किये जाये शासन की जन कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित ग्रामों में अधिकतम संचालित की जाये परंतु किसानों के लिए वे सारे वायदे, झूठे साबित हुए न उन्हें मुआवजा मिला और न कोई योजनाएं लाभ पहुंचाने वाली संचालित हुई , फिर इसके पश्चात सावंरदेही नामक फौजी कीट से खरीब की फसल बर्बाद हुई, और कृषक हितेषी बनने वाले सभी नेताओं ने सरकार से मुआवजे की मांग की । यहांतक की नुकसानी राजस्व मंत्री स्वयं खेतों में देखकर गये, केवलारी विधायक ठाकुर हरवंशसिंह, डॉ. ढालसिंह बिसेन, श्रीमती नीता पटेरिया, कमल मर्सकोले,सभी ने मुआवजा देने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा और नुकसानी का सीधा आंकलन कराकर किसानो को मुआवजा दिलाने की बात कही थी, परंतु जब क्षेत्रीय पटवारियों ने नुकसानी का आंकलन दर्शाया तो नुकसानी इतनी निकली जितने में किसानों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता था। हालांकि इसके पश्चात बेमौसम बरसात भी हुई और नुकसानी बढ़ी भी परंतु किसानों को नुकसानी का मुआवजा नहीं मिला। राजस्व अमला किसानों की नुकसानी के आंकलन में जानबुझ कर ऐसा कर रहा है ऐसा प्रतीत होता है जानकार, जानकारों के अनुसार किसानों को मुआवजा की राशि नुकसानी के अनुसार सीधे चैक से भुगतान होना होती है, जिसमें राजस्व अमले की काई फायदा होने की संभावना नहीं होती है समझा जा रहा है कि अपना कोई फायदा न होने के कारण राजस्व अमले के अधिकारियों द्वारा नुकसानी के आंकलन में कंजुसी दिखाई जाती है, कड़ाके की ठण्ड और पाले से हुई नुकसानी ने नेताओं को किसान के पक्ष में झूठी हमदर्दी दिखाने का अवसर अवश्य प्रदान कर दिया परंतु उन्हे मुआवजा प्राप्त हो जायेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है और नेता भी अभी होहल्ला के पश्चात जो मौन धारण करेंगे तो फिर किसानों को मुआवजा मिला या नहीं इसकी उन्हे परवाह नहंी रहेगी। सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि, नेताओं द्वारा अभी किया जा रहा हो हल्ला पटवारियों की कलम से कमजोर पड़ जता है।
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