पामोलिन तेल घोटाले में सुनवाई को अनुमति
नई दिल्ली (ब्यूरो)। केेंद्रीय सतर्कता आयुक्त के गले की फांस बने करोड़ों रुपये के पामोलिन तेल घोटाला मामले में आगे की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को अनुमति दे दी। इस मामले में मुख्य सतर्कता आयुक्त पी जे थॉमस और तत्कालीन मुख्यमंत्री के करूणाकरन कथित तौर पर लिप्त बताए जाते हैं।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की पीठ ने करूणाकरन की अपील को उनके निधन के मद्देनजर समाप्त मानते हुए केरल सरकार को मामले की सुनवाई करने की अनुमति दे दी। करूणाकरन का गत 23 दिसंबर को निधन हो गया था। केरल सरकार ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट से पामोलिन तेल आयात मामले में सुनवाई पर लगी रोक वापस लेने के लिए याचिका दायर की थी। इस मामले में थॉमस एक आरोपी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन अगस्त 2007 को इस मामले की केरल में सीबीआई की एक अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी। पामोलिन आयात मामले में आठ आरोपी हैं। 2000 में करूणाकरन और थॉमस सहित राज्य सरकार के सात अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया था। थॉमस उन दिनों केरल में खाद्य सचिव थे।
पीएम के गले में अजगर की तरह लिपटे हैं थामस
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेतली ने कहा कि पामोलिन आयात घोटाले के आरोपी पीसी थामस को प्रधानमंत्री ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर नियुक्ति षर्मनाक है। जेटली ने कहा कि आज यह स्थिति है कि वर्तमान सीवीसी प्रधानमंत्री के गले में अजगर की तरह लिपटे हुए हैं। प्रधानमंत्री के बारे लोग कहते हैं कि वह अर्थषाóी हैं और ईमानदार हैं, लेकिन मनमोहन सिंह विचित्र प्रकार के ईमानदार व्यक्ति हैं, जो आजादी के बाद देष की सबसे भ्रश्ट सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें