अक्षरधाम को नहीं मिली थी पर्यावरण मंजूरी
नई दिल्ली (ब्यूरो)। राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी द्वारा देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से बहने वाली यमुना के कनारे जिस अक्षरधाम मंदिर को स्थापित करवाने में महती भूमिका निभाई थी, उस मंदिर ने पर्यावरण विभाग की अनुमति ही नहीं ली थी। जब देश की राजधानी में पर्यावरण महकमे का यह आलम है तो शेष भारत में पर्यावरण की उड़ती धज्जियों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी के किनारे बने अक्षरधाम मंदिर को न तो पर्यावरण मंजूरी मिली थी और न ही मंदिर निर्माण करने वालों ने इसके लिए कभी आवेदन किया था। लेकिन मंत्री ने स्वीकार किया कि इस बारे में अब कुछ भी नहीं किया जा सकता।
यमुना नदी के किनारे 30 एकड़ से अधिक क्षेत्र में वर्ष 2005 में बनकर तैयार हुए स्वामीनारायण सम्प्रदाय के इस भव्य मंदिर के निर्माण के बारे में रमेश ने कहा कि अक्षरधाम मंदिर का निर्माण करने वालों ने पर्यावरण मंजूरी हासिल करने के लिए आवेदन तक नहीं किया। बिना पर्यावरण मंजूरी के इस मंदिर का निर्माण यमुना नदी के तट पर हुआ।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, कि पर्यावरण मंत्रालय नदी नियमन क्षेत्र संबंधी अधिसूचना जारी करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहा है ताकि जिस तरह यमुना नदी के किनारे विनाशकारी निर्माण हुआ है, वैसा भविष्य में नहीं हो। यह पूछने पर कि क्या पर्यावरण नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन कर अक्षरधाम मंदिर का निर्माण हुआ है, रमेश ने कहा कि निर्माण तो हो चुका है। पर्यावरण मंत्रालय मंदिर के खिलाफ कोई कार्रवाई के बारे में विचार कर रहा है के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि हम अक्षरधाम मंदिर परिसर को नहीं गिरा सकते। हमें यमुना नदी के बाकी तटीय क्षेत्र को बचाना होगा।
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