विपक्ष तलाश रहा है सर्वमान्य नेता
नितीश पर लग सकता है दांव
नितीश पर लग सकता है दांव
देवगोड़ा भी हो गए हैं सक्रिय
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। हर मामले में बिखर चुका राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अब कांग्रेसनीत केंद्र सरकार से भिड़ने के लिए एक सर्वमान्य नेता की तलाश कर रहा है, जिसके रहते विपक्ष अपनी भूमिका को जनता के सामने मजबूती से रख सके। उधर पूर्व प्रधानमंत्री हरदनहल्ली डड्डेगोड़ा देवगोड़ा भी एनडीए और यूपीए के विकल्प बनने की कोशिश में लगे हुए हैं।
भ्रष्टाचार से चौतरफा घिरी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को घेरने में विपक्ष अभी अपने आप को सहज महसूस नहीं कर पा रहा है। भाजपा को लगता है कि सक्षम नेतृत्व के अभाव में केंद्र सरकार को घेरने में विपक्ष पूरी तरह असफल ही रहा है। भाजपा में चल रही बयार के अनुसार अब विपक्ष को एसे सर्वमान्य नेता की तलाश है जिस तरह की भूमिका राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स मामले में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने निभाई थी।
गौरतलब है कि वर्तमान में राजग की ओर से सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य बिठाने का काम एनडीए के कार्यकारी संयोजक शरद यादव द्वारा किया जा रहा है। उधर भ्रष्टाचार के मामले में लाल कृष्ण आड़वाणी की बेदाग छवि भी राजग के लिए लाभकारी ही साबित हो रही है। कहा जा रहा है कि आड़वाणी और शरद यादव के बीच सामंजस्य के अभाव के चलते राजग बिखराव की और बढ़ रहा है।
उधर कांग्रेस के अंदरखाने से बाहर आने वाली खबरों में कांग्रेस के रणनीतिकारों के हवाले से कहा जा रहा है राजग के पास कोई योग्य नेता नहीं होने के चलते केंद्र सरकार पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों को विपक्ष भुना नहीं पाएगा। कांग्रेस के प्रबंधकों को डर है कि अगर राजग की कमान नितीश कुमार के हाथों चली जाती है तब विपक्ष का हल्ला बोल धारदार तरीके से हो सकता है।
उधर राजग के बिखरने के बाद जद एस के एच.डी.देवगोड़ा ने राजग और संप्रग का विकल्प बनने के अभियान को तेज कर दिया है। देवगोड़ा द्वारा एआईएडीएमके, वाम दल, आईएनएलडी, बीकेडी, आरएलडी जैसे दलों को साथ लेकर तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार से चौतरफा घिरी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को घेरने में विपक्ष अभी अपने आप को सहज महसूस नहीं कर पा रहा है। भाजपा को लगता है कि सक्षम नेतृत्व के अभाव में केंद्र सरकार को घेरने में विपक्ष पूरी तरह असफल ही रहा है। भाजपा में चल रही बयार के अनुसार अब विपक्ष को एसे सर्वमान्य नेता की तलाश है जिस तरह की भूमिका राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स मामले में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने निभाई थी।
गौरतलब है कि वर्तमान में राजग की ओर से सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य बिठाने का काम एनडीए के कार्यकारी संयोजक शरद यादव द्वारा किया जा रहा है। उधर भ्रष्टाचार के मामले में लाल कृष्ण आड़वाणी की बेदाग छवि भी राजग के लिए लाभकारी ही साबित हो रही है। कहा जा रहा है कि आड़वाणी और शरद यादव के बीच सामंजस्य के अभाव के चलते राजग बिखराव की और बढ़ रहा है।
उधर कांग्रेस के अंदरखाने से बाहर आने वाली खबरों में कांग्रेस के रणनीतिकारों के हवाले से कहा जा रहा है राजग के पास कोई योग्य नेता नहीं होने के चलते केंद्र सरकार पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों को विपक्ष भुना नहीं पाएगा। कांग्रेस के प्रबंधकों को डर है कि अगर राजग की कमान नितीश कुमार के हाथों चली जाती है तब विपक्ष का हल्ला बोल धारदार तरीके से हो सकता है।
उधर राजग के बिखरने के बाद जद एस के एच.डी.देवगोड़ा ने राजग और संप्रग का विकल्प बनने के अभियान को तेज कर दिया है। देवगोड़ा द्वारा एआईएडीएमके, वाम दल, आईएनएलडी, बीकेडी, आरएलडी जैसे दलों को साथ लेकर तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
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