रसोई पर भी नजरें डाल रहा लाल ड्रेगन
नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारतीय अर्थव्यवस्था पर निरन्तर नजर रखकर उसे छिन्न भिन्न करने की फिराम में रहने वाले चीन ने अब गाजर के माध्यम से भारत के लोगों के रसोई में घुसपैठ करनी की कवायद आरंभ कर दी है। नेपाल से लगी खुली सीमा के रास्ते चीन प्रतिदिन लाखों रुपये मूल्य का गाजर भारतीय क्षेत्र में पहुंचा रहा है। आसपास के भारतीय किसानों पर इसका खराब असर दिखाई देने लगा है। चीनी सीमा पर इसकी बिक्री ने धूम मचा दी है, जल्द ही देश के अन्य भागों में भी इसके पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले चीन द्वारा सेब और प्याज को निर्यात कर भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने की कोशिश की जा चुकी है। उसके इस कदम से सीमाई इलाकों के किसान हलकान हैं। भारत सरकार ने भी चीन की इस साजिश को को गंभीरता से लिया है, जिसके तहत खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हैं।
नेपाल से लगी लगभग 1751 किमी लंबी सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र के जनपदों में इन दिनों चीनी गाजर ने धूम मचा रखी है। बेहद लाल और बड़े आकार वाली यह गाजर भारतीय क्षेत्र में 10 रुपये किग्रा बिक रही है। इसकी अपेक्षा छोटे आकार और मटमैले आकार की भारतीय गाजर को 15 रुपये किलो बिक रही है। उपभोक्ता के बीच चीनी गाजर की भारी मांग है।
भारतीय कृषि क्षेत्र पर चीन का यह आक्रमण नया नहीं है। इसके पहले वह अपने सेब के माध्यम से भारतीय बाजार पर कब्जा करने का प्रयास कर चुका है। आखिर चीन की गाजर की बिक्री का राज क्या हैए इस बारे में जिले के प्रगतिशील कृषक विजय सिंह का कहना है कि भारत सरकार औद्यानिक कृषि को बढ़ावा देने के प्रति उदासीन है, जबकि चीन अपने यहां कृषि को विज्ञान व टेक्नालाजी के बराबर महत्व दे रहा है।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले चीन द्वारा सेब और प्याज को निर्यात कर भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने की कोशिश की जा चुकी है। उसके इस कदम से सीमाई इलाकों के किसान हलकान हैं। भारत सरकार ने भी चीन की इस साजिश को को गंभीरता से लिया है, जिसके तहत खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हैं।
नेपाल से लगी लगभग 1751 किमी लंबी सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र के जनपदों में इन दिनों चीनी गाजर ने धूम मचा रखी है। बेहद लाल और बड़े आकार वाली यह गाजर भारतीय क्षेत्र में 10 रुपये किग्रा बिक रही है। इसकी अपेक्षा छोटे आकार और मटमैले आकार की भारतीय गाजर को 15 रुपये किलो बिक रही है। उपभोक्ता के बीच चीनी गाजर की भारी मांग है।
भारतीय कृषि क्षेत्र पर चीन का यह आक्रमण नया नहीं है। इसके पहले वह अपने सेब के माध्यम से भारतीय बाजार पर कब्जा करने का प्रयास कर चुका है। आखिर चीन की गाजर की बिक्री का राज क्या हैए इस बारे में जिले के प्रगतिशील कृषक विजय सिंह का कहना है कि भारत सरकार औद्यानिक कृषि को बढ़ावा देने के प्रति उदासीन है, जबकि चीन अपने यहां कृषि को विज्ञान व टेक्नालाजी के बराबर महत्व दे रहा है।
गाजर तस्कर हैं सक्रिय
औसत गाजर से सुर्ख बेहद लाल रंग वाली चाइनीज गाजर चीन तिब्बत, के ल्हासा जिले से होकर नेपाल के खासा जिले में आती है। वहां से तस्करों के माध्यम से भारत नेपाल सीमा पर रात में चोरी छिपे लाकर डंप की जाती है और मौका देखकर उसे भारतीय क्षेत्र में पहुंचा दिया जाता है। चीनी गाजर सामान्यतः उन कच्चे मार्गाे से ट्रैक्टर ट्राली और साइकिल पर लाद कर लायी जाती है, जिनसे भारत से खाद नेपाल पहुंचाई जाती है।
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