कोर्ट के कोड़े के बाद बिदा हुए थामस
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। पामोलीन तेल घोटाले के आरोपी 1973 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पोलायिल जोसफ थामस को अंततः सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के उपरांत त्यागपत्र देने पर मजबूर होना पड़ा है। थामस अपनी नियुक्ति से ही विवादों में थे। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा थामस की नियुक्ति को उचित ठहराने के लिए अनेक कवायद की थी। थामस ने अपना त्यागपत्र सरकार को भेज दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश जस्टिस एस.एच.कापड़िया, जस्टिस के.एस.राधाकृष्णणन और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बैंच ने थामस की सीवीसी के पद पर नियुक्ति को गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि इस पद की गरिमा को बरकरार रखने के लिए थामस को पद से हटा दिया जाना चाहिए।
मूलतः केरल के तिरूअनंतपुरम के वजाहुताकाड़ा निवासी साठ वर्षीय थामस के बारे में देश की सबसे बड़ी अदालत की प्रतिकूल टिप्पणी से सरकार अब बैकफुट पर आती नजर आ रही है। उधर विपक्ष अपनी बोथरी धार को पजाकर पैना करते हुए अब इस मामले में वजीरेआजम के त्यागपत्र की मांग पर अड़ती नजर आ रही है।
यह है थामस पर आरोप
1991 में केरल में हुए पामोलिन आयात घोटाले में सूबे के पूर्व निजाम करूणानिधी अैर तत्कालीन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति सचिव थामस सहित नौ अन्य आरोपियों पर मुकदमा चल रहा है। थामस पर आरोप था कि उन्होंने मलेश्यिा की एक कंपनी से पंद्रह सौ टन पाम आयल आयात करने के सौदे में भ्रष्टाचार किया था। 2007 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दी थी।
फैसले का पूरा सम्मान
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने कहा है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पूरा पूरा सम्मान करते हैं। उधर पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में संसद के दोनों सदनों में सरकार की ओर से वक्तव्य भी जारी किया जाएगा।
थामस के बचाव में आए मोईली
उधर केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोईली ने प्रधानमंत्री और थामस का बचाव करते हुए कहा है कि सरकार ने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया है। संसद के बाहर पत्रकारों से चर्चा के दौरान मोईली ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री देश से क्यों माफी मांगे? आखिर प्रधानमंत्री ने कौन सा गैरकानूनी काम किया है।
नियुक्ति रद्द कराने में बनाया रिकार्ड
चर्चित और विवादित देश के चौदहवें केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पोलायिल जोसफ थामस की नियुक्ति रद्द होना भी अपने आप में एक रिकार्ड बन गया है। थामस पहले एसे सीवीसी बन गए हैं जिनकी नियुक्ति रद्द की गई हो।
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