बुधवार, 23 मार्च 2011

अघोषित बार बन जाती है सफर में राजधानी


नशे में डोलती राजधानी 
बिना सिक्यूरिटी के चलती हैं देश की राजधानी एक्सप्रेस
 
रेल अधीक्षक सहित समूचा स्टाफ रहता है पूरी तरह टल्ली
 
ममता की नजर बंगाल पर किसी को परवाह नहीं यात्रियों की 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। देश के माननीयों (विधायक और सांसद) की पहली पसंद भारतीय रेल की राजधानी एक्सप्रेस ही हुआ करती है। पिछले कई सालों से प्रदेशों की राजधानियों को भारत की राजधानी को जोड़ने वाली राजधानी एक्सप्रेस में सरेआम शराबखोरी चरम पर है। आलय यह होता है कि ट्रेन सुपरिंटेंड (टीएस) सहित अन्य टीसी, पेन्ट्री और बेड रोल देने वाला स्टाफ भी नशे में डोलते ही नजर आते हैं। गौरतलब है कि ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल चुनावों के प्रेम के चलते रेल यात्रियों की सुविधाओं के बारे में किसी को परवाह ही नहीं है।
 
बीते दिवस महाराष्ट्र की संस्कारधानी नागपुर से दिल्ली आ रहे एक यात्री ने बताया कि रात में बेस्वाद खाने की शिकायत करने पर टीसी उल्टे ही यात्री पर चढ़ दौड़े। इतना ही नहीं जब यात्रियों को बेडरोल दिए गए तो उसमें कंबल बुरी तरह दुर्गंध मार रहे थे, और तो और चादर पूरी तरह गीली ही थी।
 
इस बात की शिकायत जब यात्रियों द्वारा की गई तो टीसी आपे से बाहर हो गए। उपस्थित टीसी जो शराब के नशे में पूरी तरह झूल रहा था, ने यात्रियों को नशे में होने का आरोप जड़ दिया। यात्रियों के विरोध करने पर उक्त नशेले टीसी ने टीएस को मौके पर बुलाकर अगले स्टेशन पर मैसेज कर चिकित्सक को बुलाकर यात्रियों यहां तक कि महिला यात्रियों का परीक्षण कराने की बात कह डाली। भड़के यात्रियों ने टीएस से टीसी का ही परीक्षण करावाने की मांग कर डाली ताकि उसके नशे में होने का प्रमाण मिल सके। यात्रियों के तेवर देखकर टीएस और टीसी ने वहां से खिसकना ही उचित समझा।

मजे की बात तो यह है कि देश के सांसदों और विधायकों की पहली पसंद बन चुकी राजधानी एक्सप्रेस में यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेल्वे पुलिस का एक भी जवान तैनात नहीं दिखता है। राजधानियों में पेन्ट्री के कारिंदों द्वारा शराब की सरेआम खरीदी बिक्री की जाती है। रेल के चलते ही शाम ढलते ढलते राजधानी एक्सप्रेस के डब्बे विशेषकर रसोईयान मयखानों में तब्दील हो जाते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: