गुरुवार, 22 सितंबर 2011

क्या जयेश के पास अपना बैग नहीं था!

क्या जयेश के पास अपना बैग नहीं था!

बैग सांसद का रूपए जयेश के कैसे

अपने बैग में क्यों नहीं रखे माथुर ने दस लाख

(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। भले ही पुलिस ने भोपाल एक्सप्रेस के एसी फर्स्ट क्लास की बर्थ पर से मिले दस लाख रूपए दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित के सांसद पुत्र संदीप के मित्र जयेश को सौंप दिए हों किन्तु इस मामले को लेकर चर्चाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी दिल्ली में इन दस लाख रूपयों को लेकर कयास लगाए जाने आरंभ हो गए हैं।


रेल्वे पुलिस के सूत्रों का कहना है कि सबसे पहले सांसद संदीप दीक्षित ने उस बैग को एवं उसमें रखे रूपयों को अपना मानने से इंकार कर दिया था। बाद में संदीप दीक्षित का कहना था कि वह राशि उनके आर्कीटेक्ट मित्र जयेश माथुर के थे। जब रेल्वे कोच अटेंडेंट भगवान दास ने गुरूवार को प्रातः दस लाख रूपए एसी फर्स्ट क्लास के कोच से बरामद किए थे तो पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए थे। इस ईमानदार भगवान दास को प्रोत्साहन स्वरूप अब तक कुछ न मिल पाना भी चर्चाओं में है।


पुलिस सूत्रों का कहना है कि जयेश ने बयान दिया है कि दस लाख तो उनके हैं किन्तु वह बैग सांसद संदीप दीक्षित का है। अब सवाल यह उठता है कि पहले सांसद संदीप दीक्षित ने इस बात से इंकार क्यों किया कि न तो वह राशि उनकी है और ना ही बैग? बाद में उस बैग में से सांसद संदीप दीक्षित की दवाएं भी बरामद हुईं। यक्ष प्रश्न तो यह है कि क्या जयेश माथुर बिना सामान के ही यात्रा कर रहे थे? उन्होंने अपनी इतनी बड़ी रकम सांसद संदीप दीक्षित के बैग में आखिर क्यों रखी। और अगर रखी थी तो क्या इसकी जानकारी सांसद संदीप दीक्षित को नहीं थी? अगर थी तो पहले वे इस बात से क्यों मुकरे कि वह बैग उनका नहीं है? शुरूआती दौर में ही सांसद संदीप दीक्षित को बता देना चाहिए था कि बैग उनका था जिसमें उनके मित्र जयेश माथुर ने दस लाख रूपए रखे थे। वस्तुतः एसा हुआ नहीं।

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