गुरुवार, 22 सितंबर 2011

अरबों खर्च कर भी नहीं बचा पा रहे बेटियां

अरबों खर्च कर भी नहीं बचा पा रहे बेटियां


मध्य प्रदेश में बढ़ा लिंगानुपात


बेटी बचाओ अभियान में पलीता लगा रहे शिव के गण


ज्योतिरादित्य का क्षेत्र लिंगानुपात में अव्वल


सुषमा के संसदीय क्षेत्र में 897 है लिंगानुपात


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। बेटियों को बचाने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशाओं पर उनके आला अधिकारी ही पानी फेरते नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार की महात्वाकांक्षी लाड़ली लक्ष्मी को अन्य प्रदेशों ने भी अंगीकार कर लिया है। मध्य प्रदेश के डेढ़ दर्जन से भी अधिक जिलों में लिंगानुपात काफी कम है जिससे शिवराज सिंह चौहान सरकार के बेटी बचाओ अभियान को संदेह की नजरों से देखा जा रहा है।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में सबसे कम लिंगानुपात वाला संभाग ग्वालियर एवं चम्बल संभाग ही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्र में लिंगानुपात का बढ़ना चिंताजनक ही माना जा रहा है। इसमें अव्वल जिला भिण्ड है, जहां एक हजार बालकों की तुलना में बालिकाओं की संख्या महज 838 है। इसी तरह मुरेना में 839, ग्वालियर में 862, दतिया में 875, शिवपुरी में 877 है।

लिंगानुपात के मामले में छटवीं पायदान पर कांग्रेस प्रवक्त सत्यव्रत चतुर्वेदी के प्रभाव वाला छतरपुर है जहां 884, सागर में 896, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कर्मभूमि एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा में 897, रायसेन में 899, अशोकनगर में 900, टीकमगढ़ में 901, श्योपुर में 902, पन्ना में 907, राजधानी भोपाल में 911 तो होशंगाबाद में 912 का आंकड़ा सामने आया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सालों साल विदिशा से सांसद रहे हैं। उनके उपरांत विदिशा संसदीय सीट को सुषमा स्वराज की झोली में डाल दिया गया है। विदिशा में लिंगानुपात इतना कम होने से शिवराज सिंह चौहान के बेटी बचाओ अभियान की सफलता में संदेह के बादल मण्डराने लगते हैं। वहीं दूसरी ओर सिंधिया परिवार के दबदबे वाले ग्वालियर चंबल संभाग में लिंगानुपात सर्वाधिक रहना भी आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।

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