झा के हाथ होगा भाजपा का प्रभात
विधानसभा चुनावों में अपने को साबित करना होगा प्रभात झा को
दिल्ली का मीडिया मैनेजमेंट सरकारी हाथों में
सूबे में दम तोड़ रहा संगठन
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमेटी के गठन के उपरांत अब भाजपा और कांग्रेस में संगठनात्मक दृष्टि से एक दूसरे को तौलना आरंभ हो गया है। एक तरफ भाजपा की कमान प्रभात झा के तो कांग्रेस की परोक्ष तौर पर दिग्विजय सिंह के हाथ में है। 2008 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आप को साबित कर चुके हैं अब परीक्षा की घड़ी संगठन के मुखिया प्रभात झा की है। अध्यक्ष बनने के उपरांत प्रभात झा समूचे मध्य प्रदेश को भी नहीं नाप पाए हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बहुप्रतिक्षित पुर्नगठन के उपरांत टीम भूरिया में दिग्विजय सिंह की परछाईं साफ दिखाई पड़ रही है। दिग्विजय सिंह अब सूबाई राजनीति से उपर उठ चुके हैं। राष्ट्रीय परिदृश्य में वे अपने आप को स्थापित कर चुके हैं। नेशनल मीडिया पर उनकी पकड़ का कोई सानी नहीं है। चर्चाओं में रहने के कारण वे समूचे देश में पहचाने जाने लगे हैं।
2008 में विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को ही आगे कर लड़ा गया था। उस वक्त उमा भारती का फेक्टर भी जमकर सामने आया था। उमा भारती खेमे द्वारा उछाले गए डम्पर कांड की काली छाया भी उनके उपर पड़ रही थी। बावजूद इसके शिव के तीर ने कांग्रेस को बांधे ही रखा। कहा जा रहा है कि उस वक्त संगठन भी शिवराज सिंह की छाया ही था।
वर्तमान में संगठन की कमान बिहार मूल के प्रभात झा के हाथों में है। प्रभात झा को अभी संगठनात्मक क्षमता का परिचय देना बाकी है। सियासी हल्कों में यह चर्चा भी चल पड़ी है कि मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग के दिल्ली स्थित सूचना केंद्र का उपयोग सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों के प्रचार प्रसार के बजाए संगठन के कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार के लिए ज्यादा किया जा रहा है। इसके साथ ही साथ यह भी कहा जा रहा है कि पीएम इन वेटिंग से खुद को हटा चुके लाल कृष्ण आड़वाणी की हवाई रथ यात्रा को संगठन की मांग पर अब भाजपा की कमजोर सीटों की ओर मोड़ा जा रहा है ताकि इसका लाभ भाजपा को आने वाले चुनावों में मिल सके।
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