चिदम्बरम और गहलोत पर युवराज की नजरें हुईं तिरछी
गोपालगढ़ नहीं पहुंचे चिदम्बरम
बिना सूचना गोपालगढ़ पहुंचे राहुल
गहलोत पर संकट के बादल मंडराए
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। राजस्थान में सांप्रदायिक दंगा प्रभावित गोपालगढ़ इन दिनों सुर्खियों में है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी राज्य सरकार और राजस्थान कांग्रेस संगठन को सूचना दिए बिना ही गोपालगढ़ पहुंचे और प्रभावितों से चर्चा की। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने गोपालगढ़ जाने की जहमत भी नहीं उठाई जो चर्चा का विषय बना हुआ है।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पिथेली, परसोली, मालिगा और गोपालगढ़ गांव का भ्रमण किया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ वे मोटर सायकल पर ही गांव गांव घूमे। उन्होंने पुलिस फायरिंग में मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात भी की। राहुल के दौरे से राजस्थान की सियासत गर्मा गई है। राहुल गांधी ने प्रदेश सरकार को बताए बिना ही पार्टी के राज्य के नेताओं को भी प्रथक रखकर किए इस दौरे के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। अनेक विधायकों ने भी इस मामले में सरकार के रूख की शिकायत राहुल गांधी से की थी।
एआईसीसी में चल रही चर्चाओं के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री को पता नहीं गहलोत से क्या एजर्ली है कि वे न तो जयपुर जाना चाह रहे हैं और न ही गोपालगढ़ जाने की जहमत ही उठा रहे हैं। चिदम्बरम विरोधियों का कहना है कि अगर यही मामला गुजरात में हुआ होता तो चिदम्बरम तो क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद चलकर वहां जाते और घायलों से मिलते। कांग्रेस के रणनीतिकार इस मामले में नरेंद्र मोदी की बली लेने में कोई कसर नहीं रख छोड़ते।
कांग्रेस के अंदर सिद्धांतवादी गुट का मानना है कि एक बात के दो मानक नहीं हो सकते हैं। कांग्रेस के नेता सांप्रदायिकता से लड़ने के दो मानकों को अपना रहे हैं जो ठीक नहीं है। एक तो तथा कथित धर्मनिरपेक्षता के लिए और वहीं दूसरा और कहीं अधिक कड़े और अनुचित कथित सांप्रदायिक पार्टियों के लिए।
माना जा रहा है कि राहुल गांधी का गोपालगढ़ दौरा जल्द ही कांग्रेस की दशा और दिशा में सुधार करने का काम करेगा। राहुल गांधी इस मामले में अपनी मां कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को दृश्य बताते हैं सब कुछ उसी पर निर्भर करता है। अगर राहुल ने कड़े तेवर अपनाए तो चिदम्बरम या गहलोत में से एक को जाना ही होगा।
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