पब्लिसिटी खा गई अण्णा के सरपंच को
राहुल ने पहली बार दिखाई परिपक्वता
ग्राम सभा के माध्यम से टुड़वाना चाह रहे थे मौन वृत
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। कांग्रेस और केंद्र सरकार को हिलाने वाले समाजसेवी अण्णा हजारे के गांव रालेगण सिद्धि के सरपंच और ग्रामीणों को कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी से मिले बिना ही दिल्ली से मायूस होकर लौटना पड़ा। राहुल से मुलाकात तय होने के बाद भी ग्रामीणों को उनसे न मिल पाने के पीछे ग्रामीणों का अतिउत्साह ही जवाबदार माना जा रहा है। उधर अपमानित हुए ग्रामीणों से अण्णा भी खफा बताए जा रहे हैं।
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि रालेगण सिद्धि के ग्रामीणों को सरपंच सहित राहुल गांधी से मिलवाने का जिम्मा संभाल था कांग्रेस के सांसद पी.टी.थॉमस ने। थॉमस ने राहुल की नजरों में अपने नंबर बढ़वाने के लिए रालेगण सिद्धि के लोगों को दिल्ली बुला भेजा। दिल्ली आने के पहले ही अति उत्साह में सरपंच सुरेश पठारे और उनके साथियों ने यह बात सार्वजनिक कर दी। फिर क्या था समूचा मीडिया इस मामले में चढ़ दौड़ा।
राजनैतिक गलियारों में यह बात भी उछल रही है कि अण्णा रालेगण सिद्धि में मौन वृत पर हैं, इसके बावजूद अगर वहां के सरपंच अपने साथियों के साथ दिल्ली कूच करते हैं तो निश्चित तौर पर यह बात उनकी जानकारी में लाई गई होगी। कांग्रेस पर प्रहार करने वाले अण्णा हजारे ने आखिर सरपंच पठारे और अन्य साथियों को राहुल गांधी से मिलने जाने पर अपनी सहमति कैसे दे दी? राजनैतिक वीथिकाओं में इस मुलाकात प्रहसन की तह में जाने का प्रयास किया जा रहा है।
उल्लेखनीय होगा कि टीम अण्णा द्वारा हाल ही में हरियाणा के हिसार उपचुनाव में कांग्रेस के खिलाफ खुला मोर्चा खोला था। इसके साथ ही साथ कांग्रेस महासचिव और राहुल गांधी के अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह भी अण्णा हजारे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इन परिस्थितियों में अण्णा के गांव के सरपंच का राहुल गांधी से जाकर मिलना और राहुल गांधी द्वारा मिलने से इंकार करना किसी षणयंत्र का ताना बाना ही माना जा रहा है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि चूंकि अण्णा हजारे अपनी ग्राम सभा को सर्वोपरि मानते हैं इसीलिए रालेगण सिद्धि के सरपंच और अन्य साथियों को दिल्ली बुला भेजा था। राहुल गांधी से मिलकर अभिभूत हुए ग्रामीणों के माध्यम से कांग्रेस के रणनीतिकार ग्रामसभा को अस्त्र बनाकर आगे खेल खेलते। किस्मत से बाजी पलट गई और अति उत्साह और मीडिया के चलते पठारे एण्ड कंपनी दिल्ली से बेरंग ही वापस लौट गई।
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