सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

ब्रितानी हुकूमत का दिया बुझ चुका है जुलानिया साहेब


ब्रितानी हुकूमत का दिया बुझ चुका है जुलानिया साहेब

(लिमटी खरे)
  
मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया के द्वारा शनिवार को भगवान शिव की नगरी सिवनी में जो कुछ किया उससे लगने लगा है कि मध्य प्रदेश के सरकारी नुमाईंदे अर्थात लोकसेवक अपने आप को शासक समझने लगे हैं। पेंच परियोजना के बारे में भ्रम को दूर करने जब सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व में किसान जुलानिया से मिलने विश्राम भवन पहुंचे तो वहां वे कांग्रेस विधायक के साथ चर्चा में मशगूल थे, बाहर आने पर सीनियर आईएएस जुलानिया ने ग्रामीणों के साथ जो बर्ताव किया वह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं माना जा सकता है। इसके बाद अपने अधीनस्थ कर्मचारी पर दबाव डालकर इसकी प्राथमिकी भी पुलिस में दर्ज करवा दी गई। जुलानिया शायद भूल गए कि वे नौकर हैं मालिक नहीं, और जो पगार वे पा रहे हैं वह इसी जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से दिए गए कर से एकत्र राजस्व से उन्हें मिल रही है। जुलानिया के बर्ताव से ब्रितानी हुकूमत के आला अफसरान की याद ताजा हो गई। इशारों ही इशारों में पता नहीं किसके कहने पर जुलानिया ने कमल नाथ का नाम लिए बिना ही उन पर निशाना साध दिया।

शनिवार 22 अक्टूबर का दिन भगवान शिव की नगरी सिवनी के इतिहास का काला दिन ही कहा जाएगा। इस दिन स्थानीय सर्किट हाउस में प्रमुख सचिव स्तर के एक सरकारी कर्मचारी ने ग्रामीणों के साथ जो बर्ताव किया वह किसी भी दृष्टि से क्षम्य की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में इस तरह की घटना निश्चित तौर पर सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने के लिए पर्याप्त कही जा सकती है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस को मानो सांप सूंघ गया है। इतना बेहतरीन मुद्दा होने के बाद भी वह किसानों के मामले में परहेज ही करती नजर आ रही है।

गौरतलब है कि सिवनी और छिंदवाड़ा जिले की महात्वाकांक्षी पेंच सिंचाई परियोजना 1984 में तैयार करवाई गई थी, जिस पर आज तक काम आरंभ नहीं करवाया जा सका है। चुनावी वायदों की फेहरिस्त में अव्वल रहने वाली इस परियोजना के बारे में तरह तरह की बातें सामने आने से सिवनी के किसान भ्रमित थे। इसी बीच यह बात सामने आई कि राधे श्याम जुलानिया ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस परियोजना को बंद करने के निर्देश दे दिए। सिवनी के किसान इस बात से आक्रोशित हो गए।

इसी बीच सरकारी दौरे पर सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया सिवनी पहुंचे। जिला कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में वे एक बैठक ले रहे थे। अचानक ही उनके पास सिवनी की केवलारी विधानसभा के विधायक हरवंश सिंह ठाकुर का संदेश पहुंचा। जुलानिया बीच बैठक से उठकर चल दिए। उधर किसानों को जब जुलानिया के आगमन की जानकारी मिली तो वे इनसे मिलने सर्किट हाउस जा पहुंचे।

सर्किट हाउस में जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया और कांग्रेस के विधायक हरवंश सिंह के बीच लंबी गुप्त मंत्रणा चल रही थी। किसी के भी अंदर जाने की सख्त मनाही थी। लंबा समय बीतने पर किसानों के सब्र का बांध टूटने लगा। किसानों के साथ कुछ भाजपा के नेता भी थे। लोगों में चर्चा चलने लगी कि आखिर कांग्रेस के विधायक और जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया के बीच क्या चल रहा है कि जुलानिया अपनी महत्वपूर्ण बैठक छोड़कर चले आए।

जब जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया मंत्रणा कर बाहर निकले तो उन्होंने किसानों से चर्चा से इंकार कर दिया। ग्रामीणों ने जब जुलानिया को रोककर उन्हें ज्ञापन सौंपना चाहा तो वे बुरी तरह भड़क उठे। जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया का भड़कना किसी भी स्तर पर जायज नहीं कहा जा सकता है। वे सरकार के नौकर हैं, पर वे खुद को सरकार का निजाम समझने की भूल कर रहे थे।

सारा मामला देखकर लग रहा था कि मानो ब्रितानी हुकूमत वापस आ गई हो। जिस तरह अंग्रेज गोरे वायसराय किसी भी सर्किट हाउस में जाकर रूकते थे तो उसके आसपास किसी को आने जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी। उनके आराम में कोई खलल डाले यह उन्हें पसंद नहीं था। गांव के लोग अपनी मांग भी उनके सामने रखने की जुर्रत नहीं कर सकते थे। अगर कोई एसा करता पाया जाता तो उसकी कोड़ों से पिटाई हो जाती थी। वायसराय सिर्फ अपनी बराबरी वालों से ही मिला करते थे। बाकी रियाया उनके लिए कीड़े मकोड़ों के मानिंद ही हुआ करती थी।

जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया ने सिवनी की जनता को मूर्ख, बदतमीज का खिताब देकर कहा कि वे उनसे क्यों बात करें, क्या सिवनी की जनता तोप है? अरे जुलानिया साहेब सिवनी जिला भगवान शिव के नाम पर जाना जाता है। शिव की नगरी सिवनी के लोक बेहद सोम्य, शांत, सहिष्णु दयालु हैं। हमारी सहिष्णुता को नपुंसकता समझने की भूल मत करना। इस तरह की भाषा लोकसेवक को शोभा नहीं देती है। जनता के दुख दर्द का ध्यान रखने की जवाबदारी आहूत होती है लोकसेवक पर।

बड़े बूढ़े बताते हैं कि गोरे ब्रितानी जब भी जनता से बात किया करते थे तो कमोबेश इसी तर्ज पर बात किया करते थे। लगता है कि जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया सामंतवादी मानसिकता के पोषक हैं, यही कारण है कि उन्होंने दुखी हताश किसानों की बात सुनने की बजाए उन्हें बदतमीज कह दिया। जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया की जली कटी बातों से किसानों के रिसते घावों पर मरहम तो नहीं लगा बल्कि घाव हरे हो गए।

यक्ष प्रश्न यह बना हुआ है कि भोपाल में अपना अधिकतर समय बिताने वाले कांग्रेस के विधायक हरवंश सिंह ठाकुर द्वारा जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया को बीच बैठक से बुलाकर क्या मंत्रणा करना चाहा था? या फिर इसका क्या संदेश वे भाजपा को देना चाह रहे थे? क्या भोपाल में उनके और जुलानिया के बीच चर्चा संभव नहीं हो पा रही थी? अगर किसान जुलानिया से मिलना चाह रहे थे तो हरवंश सिंह ने इसका प्रयास क्यों नहीं किया? भाजपा के शासन काल में आखिर वह कौन सी वजह या अज्ञात शक्ति थी जो जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया को भाजपा के पूर्व त्रिविभागीय मंत्री डॉ.ढाल सिंह बिसेन के बजाए कांग्रेस विधायक हरवंश सिंह ठाकुर को ज्यादा तवज्जो देने को बाध्य कर रही थी।

इशारों ही इशारों में जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधे श्याम जुलानिया ने केंद्रीय मंत्री कमल नाथ को भी शक के दायरे में ला दिया। जुलानिया ने कहा कि छिंदवाड़ा के कुछ लोग नहीं चाहते कि यह परियोजना बने। हरवंश सिंह ठाकुर के साथ घंटों चर्चा के बाद कमल नाथ पर परोक्ष तौर पर आरोप लगाने का निहितार्थ भी सियासी गलियारों में खोजे जा रहे हैं।

समरथ को नहीं दोष गोसाईं की तर्ज पर पुलिस ने जल संसाधन विभाग के एक कारिंदे की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर ली किन्तु भाजपा के एक मण्डल अध्यक्ष की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने के बजाए उसे जांच के लिए रख लिया। किसानों के हितों की चिंता करने का दावा करने वाली कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस मसले पर मूक दर्शक बन बैठ गई है। चुनावों के आते ही एक बार फिर दोनों ही सियासी दल किसानों की चिंता करने का दिखावा करेंगे और वोट मिलते ही किसानों को उन्ही के हाल पर ही छोड़ दिया जाएगा।

1 टिप्पणी:

rajni saxena ने कहा…

क्या सच देश हित में काम कर रहे हैं आप.
संचार माध्यमों की मुहताज माँ भारती कराह रही है.