ब्लड बैंक फैला रहे एड्स!
स्थानीय स्तर पर नियमित जांच के अभाव में फल फूल रहे ब्लड बैंक
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश भर में वैध और अवैध ब्लड बैंक के माध्यम से तेजी से एड्स जैसी जानलेवा बीमारी फैल रही है। स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन की अनदेखी का लाभ उठाकर खून का धंधा देश भर में तेजी से पनप रहा है। ब्लड बैंक्स की लापरवाही से एचआईवी एड्स के संक्रमण की संभावनाएं तेजी से बढ़ गई हैं। खून लेने देने के इस घोषित अघोषित व्यवसाय में एड्स के मरीजों की तादाद बढ़ ही रही है।
राज्यों ने अपने अपने स्तर पर इसकी रोकथाम के लिए कानून बनाए हैं। मध्य प्रदेश के ड्रग एण्ड कास्मेटिक एक्ट के नियम 122 के तहत खून निकालने और किसी को खून लगाने के पूर्व उस रक्त में एचआईवी एड्स की जांच किया जाना अनिवार्य किया गया है। विडम्बना ही कही जाएगी कि ब्लड बैंक इस मामले में पूरी तरह से उदासीन ही नजर आ रहे हैं। देखा जाए तो यह गंभीर स्तर पर लापरवाही है जिससे आम आदमी की जान को जबर्दस्त खतरा हो सकता है।
देश भर के सरकारी चिकित्सालयों में भी खून का धंधा जोरों पर ही है। रक्त दाता को बुलाने, रक्त निकालने से लेकर रक्त देने तक के काम में जमकर लेन देन किया जाता है। अनेक चिकित्सालयों में तो ब्लड बैंक की स्थापना कर दी गई है पर रक्त को सुरक्षित रखने के पर्याप्त साधन न हो पाने से निजी तौर पर संचालित ब्लड बैंक की पौ बारह हो रही है।
नियमानुसार सूबों के स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को इन ब्लड बैंक्स की नियमित जांच किया जाना अनिवार्य है। निहित स्वार्थों और कथित तौर पर अनदेखी के चलते न तो जिला प्रशासन और न ही स्वास्थ्य या औषधि प्रशासन द्वारा इन ब्लड बैंक्स की जांच की जाती है, जिससे इन ब्लड बैंक्स के संचालक मनमानी पर उतारू हैं।
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