रविवार, 4 दिसंबर 2011

क्या साकार हो सकेगा प्रथक महाकौशल का सपना!


क्या साकार हो सकेगा प्रथक महाकौशल का सपना!

विधानसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष की कर्मभूमि है पूरी तरह उपेक्षित


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की निजाम मायावती द्वारा भले ही चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने का झुनझुना थमाया हो पर यह सच है कि छोटे प्रदेशों से पारदर्शिता और काम में सहूलियत होती है। देश के हृदय प्रदेश में भी कमोबेश एसी ही मांग जोर पकड़ रही है। मालवा, चंबल, बुंदेलखण्ड के साथ ही साथ महाकौशल प्रांत की मांग अब मुखर होती नजर आ रही है। गौरतलब है कि प्रदेश के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए छोटे प्रदेश लाभकारी ही साबित हुए हैं।

गौरतलब है कि स्वच्छ और धवल छवि के धनी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने छोटे प्रदेशों को सफलता का मूल मंत्र माना था। यही कारण था कि इस सदी के आगाज के वक्त ही उन्होंने तीन बड़े प्रदेशों को तोड़कर छोटा बनाने की कवायद की थी। संयुक्त मध्य प्रदेश को तोड़कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना कर दी गई थी। छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के बाद वहां के विकास का सिलसिला तेज हो गया।

यहां उल्लेखनीय होगा कि उस वक्त कांकेर से प्रदेश की राजधानी भोपाल आने में ही सरकारी कर्मचारी को लगभग तीन दिन लग जाया करते थे। रोजाना जाने वाली डाक ले जाने के लिए जिलों में छः से दस कर्मचारियों को इसके लिए प्रथक से रखना होता था, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था।

वर्तमान में मध्य प्रदेश की भौगोलिक सीमा काफी बड़ी है। एमपी को कम से कम मालवा, महाकौशल, विन्ध्य और बुंदेलखण्ड में तोड़ा जा सकता है। वैसे सबसे माकूल परिस्थितियां महाकौशल की बन रही हैं। महाकौशल में कम से कम चार संभागों को शामिल किया जा सकता है। मध्य प्रदेश का भौगोलिक परिदृश्य इतना बड़ा है कि वर्तमान में विकास के लिए अनेक जिलों को लंबी कतार में रहकर प्रतीक्षा करना पड़ता है।

वैसे भी महाकौशल इन दिनों राजनैतिक तौर पर काफी समृद्ध और शक्तिशाली माना जा सकता है। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो केंद्र में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की। महाकौशल की प्रस्तावित राजधानी जबलपुर से विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी भाजपा के विधायक हैं तो सीमावर्ती सिवनी जिले से विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर कांग्रेस के विधायक है।

इस समीकरण के तहत अगर देखा जाए तो मध्य प्रदेश विधानसभा से इसका संकल्प पारित करवाना और केंद्र में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार से इस पर सहमति की मुहर लगवाना कांग्रेस और भाजपा के लिए बांए हाथ का खेल है। विधानसभा अध्यक्ष अगर अपने वीटो का इस्तेमाल मध्य प्रदेश में और उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर अपने प्रभावों का दोहन केंद्र में करें तो आने वाले दिनों में महाकौशल राज्य बनने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।

(क्रमशः जारी)

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