शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

वालीवुड का लेखा जोखा


वालीवुड का लेखा जोखा



(नेहा घई पंडित)

मुंबई। नए साल के आगाज के साथ ही इस बात पर गौर करना जरूरी है कि पिछले साल मुंबई की रूपहली दुनिया ने क्या खोया क्या पाया। कई फिल्में जिनसे काफी उम्मीदें थी, बॉक्स ऑफिस पर पिटती हुयी दिखाई दी वहीं कुछ कम बजट वाली फिल्मों को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। कुछ सितारे चमके और कुछ दर्शकों पर अपना जादू ना बिखेर सके और फ़िसड्डी होकर रह चले। एक नजर बॉलीवुड़ के गुजरे साल पर, क्या चला..क्या ना चला, क्या बिका और क्या पिटा..
0 सितारे जो चमके-
1. अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन सिर्फ़ एक्टर नहीं बल्कि चलती-फिरती फिल्म इंडस्ट्री है। श्बुड्ढा होगा तेरा बापश् और श्आरक्षणश् जैसी फिल्मों में उन्हें दो अलग-अलग रूपों में देखा गया। ष्आरक्षणष् में एक कॉलेज के प्रिंसिपल के गंभीर किरदार में तो ष्बुड्ढा होगा तेरा बापष् में हरफलमौला और बिंदास इंसान की भूमिका में उन्हें लोगों ने बेहद पसंद किया।
2. विद्या बालन
विद्या बालन के लिए यह साल बहुत ही अच्छा रहा। साल की शुरूआत में उनकी फिल्म श्नो वन किल्ड जेसिकाश् ने क्लास और मास दोनों में ही उनकी पकड़ मजबूत की तो वहीं हाल ही में रिलीज श्द डर्टी पिक्चरश् ने उन्हें शिखर पर पहुंचा दिया। इन दोनों ही फिल्मों को क्रिटिक्स ने भी खूब सराहा। आशा है साल 2012 में भी विद्या अपना लोहा मनवाने का दौर जारी रहेगा।
3. रणबीर कपूर
रणबीर ने अपनी फिल्म ष्रॉकस्टारष् से अपनी पहचान बनाई। अपने नाम के साथ लगे कपूर को उन्होने साबित किया। अच्छी अदाकारी और चॉकलेट बॉय के लुक्स ने रणबीर को बहुत आगे लेकर जा सकते हैं। आने वाले वर्ष में भी वह अच्छी फिल्में चुने और अपने हिस्से का स्टारडम एंजॉय करें।
4.         फरहान अख्तर
अपनी बहन जोया अख्तर द्वारा निर्मित फिल्म ष्जिंदगी ना मिलेगी दोबाराष् में फरहान ने रितिक और अभय देओल के साथ स्क्रीन शेयर की लेकिन एक्टिंग के मामले में वह इन दोनों से आगे ही नजर आए। फरहान एक अच्छे निर्देशक होने के साथ-साथ बेहतरीन एक्टर भी हैं। अगले साल राकेश ओम प्रकाश मेहरा की ष्भाग मिल्खा भागष् में वह एक बार फिर पर्दे पर नजर आऐंगे।
5. सलमान खान
ष्रेडीष् और ष्बॉडीगार्डष् जैसी फिल्मों ने बिजनेस खूब किया लेकिन इसमें दर्शक कहानी को खोजते ही नज़र आए। हलाँकि जादू सलमान का कुछ ऐसा है कि ये फिल्में भी दौड पडी। पटकथा न होने के बावजूद फिल्म का हिट होना दर्शकों के बीच सलमान की दबंगई के सिवा और क्या होगी?
6. अजय देवगन
खान बंधुओं के अलावा पर्दे पर धमाल मचाने में अजय देवगन भी शामिल हैं। साल की शुरूआत में आई श्दिल तो बच्चा है जीश् और श्रास्कल्सश् में हल्के-फुल्के रोल में दिखे अजय ने रोहित शेट्टी की सिंघम में दमदार अभिनय किया और खूब तारीफ़ें बटोर ले गये। 2012 में उनकी श्बोल बच्चनश् और श्तेजश् से लोगों को काफी उम्मीदें हैं।
7. चित्रांगदा
साल 2011 में चित्रांगदा की फिल्म ष्ये साली जिंदगी मेंष् उन्होने अच्छा अभिनय किया। हलाँकि इसी साल आयी ष्देसी ब्वॉएजष् में उनके अभिनय के स्तर का कुछ नहीं था। चित्रांगदा एक टेलेण्टेड अभिनेत्री हैं जिनकी क्षमता का भरपूर इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। उन्हें ऐसे निर्देशक की जरूरत है जो उनकी प्रतीभा को निखार सके। वे सही मायने में एक डायरेक्टर्स एक्ट्रेस हैं।
8. करीना कपूर
2011 में करीना की ष्बॉडीगार्डष् को काफी सफलता मिली लेकिन ष्रा. 1ष् ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं किया। हलाँकि उनके छम्मक-छल्लो गाने ने दर्शकों को खूब नचाया। करीना के लिए अगला साल चुनौती भरा है। 2012 में उनकी 4 फिल्में प्रदर्शित होंगी जिसमें मधुर भंडारकर की श्हिरोइनश् और सैफ अली खान की होम प्रोडक्शन श्ऐजेंट विनोदश् भी शामिल है।
9. नसीरूद्दीन शाह
नसीर जैसे कलाकार जब भी पर्दे पर होते हैं तो उनकी फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर चलने या ना चलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। वह अपना एक अलग स्थान बना चुके हैं जहां से उन्हें अपने को साबित करने की जरूरत नहीं पड़ती। 2011 में आई उनकी श्सात खून माफश्, श्जिंदगी ना मिलेगी दोबाराश्, श्देट गर्ल इन येलो बूटश् और श्द डर्टी पिक्चरश् में से कोई फ़िल्म चली और कोई ना चली लेकिन उनकी कलाकारी पर कभी कोई सवाल नहीं उठा।
10. जिमी शेरगिल
जिमी शेरगिल को 2011 में दो फिल्मों में देखा गया - श्तनू वेड्स मनूश् और श्साहब, बीवी और गेंगस्टरश्। इन दोनों में ही जिमी का काम सराहनीय है। उन्हें जितना भी रोल दिया जाता है वह उसे बखूबी निभाते हैं। दुर्भाग्य है कि उनके टेलेंट को किसी ने भी सही तरह से इस्तमाल नही कर पाया है। उनकी क्षमता को सबने कम ही आँका है।
0 फिल्में जिन्होने निराश किया
1 दम-मारो-दम - अभिषेक बच्चन की इस फिल्म से सभी को बहुत उम्मीद थी। फिल्म ने ठीक बिजनेस किया मगर फिल्म से जितनी उम्मीद थी वह कमाल नहीं दिखा सकी। फिल्म में माफिया, ड्रग्ज, सेक्स और एक्शन सभी कुछ था मगर फिर भी कुछ कम रह गया जिसने फिल्म की सफलता को ऊंचा नहीं उठने दिया।
2 मौसम - फिल्म का संगीत लोगो को काफी भाया मगर पंकज कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने दर्शकों को निराश किया। पंकज कपूर जिस दर्जे के अभिनेता हैं उनसे उसी दर्जे के निर्देशन की उम्मीद भी थी। यहां तक कि क्रिटिक्स ने भी इस फिल्म से उम्मीदें लगा रखी थी जो पूरी होती न दिखी।
3. सात खून माफ - विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित रस्किन बॉन्ड के उपन्यास पर आधारित यह फिल्म अपनी कहानी की वजह से चर्चा में थी। एक ऐसी औरत की कहानी जो एक के बाद एक अपने पतियों का खून करती है। फिल्म की कुछ बातें भारतीय मानसिकता पर खरी नहीं उतर पाई।
4. रा.1 - शाहरूख खान की होम प्रोडक्शन फिल्म जिस्से न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे बॉलीवुड़ को उम्मीद थी, बॉक्स ऑफिस पर सफलता का स्वाद न चख सखी। अंतर्राष्ट्रीय पॉप स्टार एकॉन का गाना श्छम्मक-छल्लोश् और उच्च तकनीक के ग्राफिक्स इस फिल्म के हाई पांइट थे, मगर यह भी इस फिल्म की बॉक्स ऑफिस का रिपोर्ट कार्ड नहीं बदल सके।
5. पटियाला हाउस - अच्छा संगीत और अच्छे कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद यह फिल्म फ्लॉप रही। निखिल ऑडवानी की यह फिल्म में कुछ ज्यादा ही मेलोड्रामा था जो शायद दर्शक पचा नहीं पाए।
0 लीक से हटकर...
हर साल बॉलीवुड़ में कई फिल्में बनती हैं, कुछ हिट तो कुछ फ्लॉप होती हैं। कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो हिट या फ्लॉप को ध्यान में रखकर नहीं बनाई जाती। यह ऐसी फिल्में होती हैं जो बिना किसी स्टार या बैनर के भी चलती हैं। ऐसी ही कुछ फिल्में जो वर्ष 2011 में अपने हिस्से की कमाई भी कर गई और जिन्होने दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाई -
1) यमला पगला दीवाना दृ फिल्म में निर्देशक समीर कर्निक ने देओल खानदान की तीन पीढ़ीयों को एक साथ पर्दे पर पेश किया। फिल्म की कहानी मजबूत नहीं थी फिर भी देओल परिवार की मौजूदगी दर्शकों को सिनेमा हॉल तक खिचने में कामयाब रही। कम बजट की इस फिल्म में उम्मीद से अधिक ही कमाया। इस फिल्म में हर देओल को अपने हिस्से का एक्शन और कॉमेड़ी मिली। हल्की-फुलकी कॉमेड़ी और देओल परिवार की जुगलबंदी ने इस फिल्म को सफल बनाया।
2) डेली-बेली - कुछ धमाकेदार परफॉरमेंन्स और स्क्रिप्ट का कमाल ही है जो हमेशा एक ही ढर्रे को फॉलो करने वाली हमारी फिल्म इंडस्ट्री में लोगों ने इस फिल्म को पसंद किया। इस फिल्म को सिरियस एडल्ट कॉमेड़ी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। थिएटर में जाकर ससती और फूहड़ कॉमेडी देखने वालों को पता चला कि उच्च स्तर की गंदी कॉमेडी भी कुछ होती है।
3) नो वन किल्ड जेसिका दृ फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित थी और लोगों को इसकी कहानी पता थी। निर्देशक राज कुमार गुप्ता ने फिल्म को कम से कम मेलोड्रामेटिक रखा जो अच्छा लगा। लोगों को फिल्म में रूचि इसलिए भी थी कि इस केस ने वाकई आम जनता में एक उम्मीद की किरण जगाई। हर तरफ से निराश होकर जब कोई ऐसी कहानी सुनता है तो उसमें जोश अपने आप ही आ जाता है। रानी मुखर्जी और विद्या बालन ने अपने-अपने किरदार को बखूबी निभाया है।
हिन्दी फ़िल्म इंड्स्ट्री में उतार चढाव का दौर चलता रहेगा लेकिन ये इंड्स्ट्री हम लोगों को एंटरटेन करना नही भूलती और यही वजह है कि आज भी समाज बढे आसानी से मुद्दों और समस्याओं को फ़िल्मों के जरिए पचा लेता है। यही जादू है हमारी फ़िल्मस का और आशा है कि साल २०१२ मे हिन्दी फ़िल्म इंड्स्ट्री इन्हीं उम्मीदों को और बेहतर उकेर कर उम्दा फ़िल्मों को परोसने का सिलसिला जारी रखेगी..सभी पाठकों को नव वर्ष की शुभकामनाएं

(साई फीचर्स)

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