बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 68
भाजपा की जमानत पर चल रहे हैं मनमोहन!
यूपीए की दयनीय स्थिति का लाभ उठाने में भाजपा असफल
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। एक के बाद एक गल्तियों, घपलों, घोटालों के बाद भी विपक्ष में बैठी भाजपा ताकतवर तरीके से विरोध प्रदर्शित नहीं कर पा रही है जिसका पूरा पूरा लाभ वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह द्वारा उठाया जा रहा है। कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने न जाने कितने मौके भारतीय जनता पार्टी को घर बैठे बिठाए दिए जिसका लाभ उठाकर भाजपा चाहती तो प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की रूखसती के मार्ग प्रशस्त कर सकती थी, वस्तुतः सारे मौके भाजपा ने देखते ही देखते गंवा दिए।
यूपीए की दूसरी पारी में जितने मामले सामने आए उनका लाभ भाजपा द्वारा अगर सलीके से लिया जाता तो आज देश में भाजपा के जनाधार में विस्फोटक बढ़ोत्तरी दर्ज हो सकती थी। भाजपा के आला नेताओं ने कांग्रेस की कमजोरियों का फायदा देश के हित में नहीं उठाया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। घपले घोटालों के मामलों में जेल गए नेता आज मलाई काट रहे हैं। जेल के औचक निरीक्षण में भी वे बेहद निश्चिंत और आराम फरमाते नजर आए।
पिछले साल मनमोहन सिंह के संकटमोचक बने मानव संसाधन विकास तथा संचार मंत्री कपिल सिब्बल की जुबान अनेक मर्तबा फिसली पर भाजपा ने उनकी अनदेखी कर मनमोहन सिंह को परोक्ष तौर पर मजबूती ही प्रदान की है। पिछले साल के आरंभ में मनमोहन सरकार के ट्रबल शूटर कपिल सिब्बल ने मीडिया मे बयान दे डाला कि टू जी घोटाले से कोई नुकसान ही नहीं हुआ है। विपक्ष ने सरकार को इसके लिए कटघरे में खड़ा नहीं कर पाना अपने आप में एक अचंभा ही माना जाएगा। कपिल सिब्बल देश के जिम्मेदार संचार मंत्री के पद पर हैं और उनका हास्यास्पद बयान भी भाजपा में जोश का संचार नहीं कर पाया।
इसके बाद देश भर के जनाक्रोश का शिकार बने कपिल सिब्बल को घेरने में नाकाम रही भाजपा से निराश लोगों ने जब लोगों ने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर कपिल सिब्बल को आड़े हाथों लिया तब उनकी नींद में खलल पड़ा और उन्होंने जब इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने की पेशकश की तब भी भाजपा नहीं चेती।
सियासी गलियारों में अब यह बात तैरने लगी है कि कांग्रेस और भाजपा मिलकर नूरा कुश्ती का प्रहसन कर रही है, जिससे देश की जनता अपने आप को छला सा महसूस कर रही है। देश के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री समझे जाने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह को घेरने में जब भाजपा नाकामयाब ही रही तब लोगों को अब लगने लगा है कि मनमोहन सिंह अंत्तोगत्वा भाजपा की जमानत पर ही देश चला रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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