0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 55
हमें सरकारी प्रक्रिया नहीं पता: मिश्रा
हमारे पास आए जनता और बताए क्या करना है, हम खुद कुछ नहीं करेंगे: महाप्रबंधक
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में डाले जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट में सरकारी नियम कायदों की खुलकर अनदेखी की जा रही है। संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा का कहना है कि उन्हें सरकारी नियम कायदे नहीं पता हैं, अगर जनता को कोई बात मनवानी है तो वह उनके दरवाजे पर आए और गुहार लगाए।
मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के घंसौर स्थित दो चरणों में निर्माणाधीन पावर प्लांट के संबंध में श्री मिश्रा ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान कहा कि वे अभी प्लांट में मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि द्वितीय चरण की लोकसुनवाई के बाद मामला मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के मार्फत केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि एमपी पीसीबी के आला अधिकारी लोकसुनवाई से पूरी तरह संतुष्ट हैं, और उन्हें द्वितीय चरण की अनुमति जल्द ही मिल सकती है।
श्री मिश्रा ने बताया कि संयंत्र प्रबंधन ने ग्राम गोरखपुर, बरेला और बिनेकी में शिक्षक के लिए बोल दिया है। बाउंडरी वाल बनवाई जा रही है। पानी की व्यवस्था के लिए दो दो हेण्ड पंप गोरखपुर और बरेला स्कूल में तो एक बिनेकी स्कूल में खुदवाए गए हैं। एक शाला में कंप्यूटर भी दे दिया गया है। घंसौर में आईटीआई की चालीस सीटें ली गईं हैं।
श्री मिश्रा ने कहा कि क्षेत्र में गुटबाजी होने के कारण संयंत्र प्रबंधन की आफत है। किहीं पर नल लगा देने पर विरोधी गुट नाराज हो जाता है कि फलां के घर के सामने क्यों लगा दिया गया नल। क्षेत्र या सिवनी जिले की जनता को कुछ करवाना है तो वह हमारे पाए आए हमसे निवेदन करे, हम विचार करेंगे कि फलां काम करवाना है अथवा नहीं।
चर्चा के दौरान श्री मिश्रा ने कहा कि सरपंच जो कहते हैं हम वह करने का प्रयास करते हैं। क्षेत्रीय विधायक और सांसद के बारे में श्री मिश्रा ने कहा कि वे उनसे भी चर्चा करते हैं। पर्यावरण बचाने के लिए उन्होंने कहा कि 22 नवंबर 2011 को हुई लोकसुनवाई में जब वृक्षारोपण न करने की बात सामने आई तब उन्होंने संयंत्र के कारीगरों को तत्काल वृक्षारोपण करने के लिए आदेशित किया और दिसंबर माह से अब तक संयंत्र के प्रांगण में लगभग ढाई हजार पौधे लगाए जा चुके हैं।
जब श्री मिश्रा का ध्यान क्षेत्र के प्रायमरी, मिडिल और हाई स्कूल की ओर आकर्षित कराया गया तो उन्होंने कहा कि यह वायदा कंपनी ने कभी भी नहीं किया कि वह प्रायमरी या मिडिल स्तर पर शिक्षा में बढोत्तरी का काम किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रथम चरण के लिए हुई लोकसुनवाई के पूर्व ही जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में कंपनी ने पेज 10 पर कंडिका 7.5 में सामाजिक पहलू शीर्षक के तीसरे बिन्दु में साफ लिखा था कि कंपनी शिक्षा में बढोत्तरी का प्रयास करेगी।
श्री मिश्रा ने कहा कि स्कूल में शिक्षकों के लिए उन्होंने बोल दिया है कि शिक्षकों का वेतन कंपनी दे देगी। पर जब उनसे यह पूछा गया कि सरकारी नियम कायदों के तहत सरकारी शालाओं में शिक्षा विभाग स्थापना व्यय की मद में पद और उनका वेतन स्वीकृत करना है, इस व्यवस्था में कंपनी द्वारा दिया गया आश्वासन पूरा होना मुश्किल ही है। अर्थात शिक्षकों की व्यवस्था के मामले में कंपनी प्रबंधन द्वारा दिन में सपने दिखाए जा रहे हैं। इस पर श्री मिश्रा ने कहा कि उन्हें सरकारी नियम कायदों की जानकारी बिल्कुल भी नहीं है।
(क्रमशः जारी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें