शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

सिवनी को क्या हालिस हुआ पावर ग्रिड से!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  68

सिवनी को क्या हालिस हुआ पावर ग्रिड से!

विकास के नाम पर विनाश के ठेकेदार हैं क्यों मौन



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर दौलतमंद उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में स्थापित किए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट से सिवनी जिले को आखिर क्या मिलेगा? विकास की दुहाई देने वाले जिले के सियसी नेता आखिर इस मामले में शांत क्यों हैं कि सिवनी शहर के पास स्थापित पावर ग्रिड के बावजूद सिवनी की झोली में आखिर क्या आया।
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े पावर ग्रिड की स्थापना मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में की गई है। यह पावर ग्रिड सिवनी शहर की उत्तर दिशा में शहरी सीमा से महज तीन किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में नेशनल हाईवे पर अवस्थित है। इस पावर ग्रिड के लिए बड़ी मात्रा में जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इसके बनने के उपरांत इसे राष्ट्र को समर्पित किए बिना ही आरंभ कर दिया गया है।
माना जा रहा था कि इसके बनने से यहां आबादी रहेगी और सिवनी के बाजार को प्रत्यक्ष तौर पर इसका लाभ मिलेगा। विडम्बना है कि इसका कोई भी लाभ प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर सिवनी को नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं सिवनी में स्थापित होने के बाद भी एक यूनिट बिजली भी सिवनी को इससे नहीं मिल पा रही है।
सिवनी में जबसे थापर के पावर प्लांट का विरोध आरंभ हुआ है तबसे सियासी नेजा संभालने वालों के पेट में मरोड़ उठने लगी है। चौक चौराहों पर ‘‘बताओ यार, विकास का विरोध कर रहे हैं‘‘ जैसे जुमले आम हो चुके हैं। जिले की जनता इन सियासी नेताओं से इस प्रश्न का उत्तर चाहती है कि आखिर पावर ग्रिड से सिवनी को क्या हासिल हुआ जो पावर प्लांट से होगा?
आज भी पावर प्लांट को लेकर यक्ष प्रश्न बने हुए हैं कि क्या इससे उतपन्न होने वाली बिजली का कोई भाग या प्रतिशत सिवनी जिले को मिलेगा? क्या जिला मुख्यालय सिवनी में संयंत्र प्रबंधन ने तीन साल में अपना कोई कार्यालय खोला है? क्या सिवनी के लोगों को इससे कोई लाभ होगा? सिवनी जिले के कितने कुशल और अकुशल कर्मचारियों को अब तक संयंत्र प्रबंधन ने रोजगार दिया है? संयंत्र प्रबंधन ने प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर नरसिंहपुर और जबलपुर के प्रभावशाली लोगों को ही इससे लाभ पहुंचाया है।
अगर यह सब सच है तो फिर ये सियासी नेता सिवनी को कर्मभूमि बनाने के बजाए बेहतर होगा कि नरसिंहपुर या जबलपुर जाकर नेतागिरी करें। सच्चाई यह है कि गौतम थापर के कोल आधारित पावर प्लांट से सिवनी जिले में कहर बरपेगा। इतना ही नहीं गौतम थापर के पावर प्लांट के उपरांत दो और कोल आधारित पावर प्लांट केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित घंसौर विकास खण्ड में लगने की तैयारी में हैं।
कुल मिलाकर घंसौर के आदिवासियों के सीनों को छलनी करने का ताना बाना बुना जा रहा है और यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

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