गुरुवार, 29 मार्च 2012

किसका पानी बेच रहे हैं शिवराज!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  83

किसका पानी बेच रहे हैं शिवराज!

पावर प्लांट्स को किस मद का पानी देने का हुआ है समझौता!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। चाल, चरित्र और चेहरे के लिए जानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की गरज से नियम कायदों को धता बताते हुए काम किया जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदहारण, मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगने वाले कोल आधारित दो प्रस्तावित पावर प्लांट्स की स्थापना के साथ ही सामने आया है।
आरोपित है कि देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा पावर प्लांट में अनेक अनियमितताओं के बाद भी इसके पहले चरण को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मिल गई। हद तो उस वक्त हुई जब मध्य प्रदेश के उर्जा और खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने जिला भाजपा की सरेराह उपेक्षा कर इस संयंत्र में जाकर अनेक निर्माण कार्यों की आधारशिला रखी।
कहा जा रहा है कि गौतम थापर ने थैलियों के मुंह भाजपा सरकार के मंुह पर रख दिए जिससे भाजपा सरकार ने ना केवल भाजपा संगठन वरन् स्थानीय आदिवासी विधायक श्रीमति शशि ठाकुर, क्षेत्र के आदिवासी सांसद बसोरी सिंह मसराम को बुलाना भी उचित नहीं समझा।
हाल ही में एक अन्य पावर प्लांट के लिए जमीन की खरीद फरोख्त का काम आरंभ हो गया है। कहा जा रहा है कि इस पावर प्लांट में एक विवादित पूर्व केंद्रीय मंत्री का काला धन भी लगा हुआ है। उक्त मंत्री के विवादों में फंसने के कारण पिछले एक साल से इसके काम को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया था पर अब इसका काम फिर से आरंभ हो गया है।
बहरहाल, मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग के रूक्के नंबर वृपनिम / 31 / तक / रास्त/ 162 / 08 / 86 दिनांक 6 फरवरी 2009 के तहत 23 एमसीएम हर साल जल की अनुमति ले ली गई है। इसके साथ ही साथ नर्मदा वैली विकास प्राधिकरण और झाबुआ पावर के बीच 21 फरवरी 2011 को 16.88 एसीएम पानी हर साल बरगी जलाशय से निकालने का समझौता हुआ है।
जानकारों का कहना है कि रानी अवंती बाई सागर परियोजना के अंतर्गत बरगी बांध का पानी मूलतः तीन मदों के लिए आरक्षित है। जिसमें से पहली आवश्यक्ता सिंचाई की है जो किसानों के खाते में जाती है। इसके बाद पानी को मछली पालन के लिए आरक्षित किया गया है, और तीसरी मुख्य आवश्यक्ता नदी की है जिसके माध्यम से एक बार फिर नदी के रास्ते में पड़ने वाले आसपास के किसानों के लिए सिंचाई के लिए पानी आरक्षित किया गया है।
जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने आखिर किस मद में और किस अधिकार से यह समझौता कर लिया है? क्या इस समझौते के बारे में प्रभावितों को बताया गया है या इसके लिए लोकसुनवाई आयोजित की गई है? अगर नहीं तो यह समझौता अवैध ही माना जाएगा।

(क्रमशः जारी)

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