कांग्रेस के लिए कठोर हो गए हैं मुलायम
खुद रक्षा तो तीन और कैबनेट मंत्री पद हथियाने के जुगाड़ में हैं नेता जी
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश में परचम लहराने के बाद अब समाजवादी पार्टी के निजाम मुलायम सिंह यादव बेहद नपे तुले कदमों में केंद्र की ओर बढ़ रहे हैं। कांग्रेस के साथ उनकी बारगेनिंग जारी है तो उन्हें यह पता है कि अगर उन्होंने केेंद्र पर दबाव बनाया तो कांग्रेस अपने सबसे विश्वस्त अघोषित गठबंधन वाले सदस्य केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मुलायम और अखिलेश के पीछे छोड़ देगी।
पिछले दिनों सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के द्वारा एक साल के अंदर मध्यावधि चुनाव उवाच के मायने राजनैतिक गलियारों में खोजे जा रहे हैं। कांग्रेस के सत्ता और शीर्ष केंद्र दस जनपथ, (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि सपा सुप्रीमो नेता जी द्वारा कांग्रेस से समर्थन देने के एवज में खुद के लिए रक्षा मंत्री की आसनी (कुर्सी) और सपा के लिए तीन अन्य कबीना मंत्री का पद चाह रहे हैं। इस मामले में कांग्रेस के अस्पष्ट रवैए के चलते नेताजी ने अंततः यह तय कर लिया कि वे सरकार में शामिल ना होकर केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार को बाहर से ही समर्थन देंगे।
नेताजी के करीबी सूत्रों ने यह भी बताया कि जनता विशेषकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिखाने के लिए नेताजी द्वारा समय समय पर कांग्रेस को घुड़की दी जाती है। दरअसल, नेताजी इस बात को बेहतर जानते हैं कि अगर उन्होंने दबाव बनाया तो कांग्रेस अपनी कथित तौर पर पालतू केंद्रीय जांच ब्यूरो को नेताजी के कुनबे के पीछे ‘छू‘ कर देगी, तब नेताजी की मुश्किलें बढ़ जाएंगीं।
नेताजी के करीबी एक ताकतवर सपाई नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि नेताजी की रणनीति बेहद साफ है। वे कांग्रेस के उतने ही करीब जाने का प्रयास कर रहे हैं जितने में वे मेडम माया (बहुजन समाज पार्टी) को कांग्रेस से दूर रख सकें। यह अलहदा बात है कि लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी द्वारा कांग्रेस के पक्ष में वाक आउट किया जाता है तो राज्य सभा में कांग्रेस द्वारा बसपा के पक्ष मे ंवोट डाला जाता है।
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