सोमवार, 12 मार्च 2012

भूरिया के खिलाफ विद्रोह का बिगुल


भूरिया के खिलाफ विद्रोह का बिगुल

के.के.मिश्रा प्रकरण बना भूरिया के गले की फांस

छिंदवाड़ा, छतरपुर डीसीसी नहीं हुई घोषित



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भाजपा शासित देश के हृदय प्रदेश में दिग्विजय सिंह के चहेते पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के खिलाफ अब विद्रोह का बिगुल बज गया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के चारों खाने चित्त गिरने के बाद कमजोर हुए मध्य प्रदेश के कांग्रेसी क्षत्रप और कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के खिलाफ माहौल बनने से अब भूरिया भी कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के रडार पर आ चुके हैं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव होने हैं और सूबे में कांतिलाल भूरिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने की मांग तेज हो गई है। कांतिलाल भूरिया पर मीडिया से पर्याप्त दूरी बनाने के आरोप अब सार्वजनिक होने लगे हैं। उनके मोबाईल 8989003535 पर लगातार घंटी बजती रहती है पर वे फोन उठाने की जहमत ही नहीं उठाते हैं। एक नहीं अनेकों पत्रकारों की यह आम शिकायत है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी के सरकारी आवास के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि सोनिया दरबार में कांतिलाल भूरिया और शिवराज सिंह चौहन की सांठगांठ की शिकायतें पुख्ता प्रमाण के साथ पहुंच चुकी हैं। भूरिया पर शिवराज सिंह चौहान के पे रोलपर काम करने के आरोप भी लग रहे हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नेशलन हेडक्वार्टर में चल रही चर्चाओं के अनुसार आधे खोके का हर महीने खेल होता है।
हाल ही में उज्जैन की विधायक कल्पना पारूलेकर द्वारा एमपी के लोकायुक्त पर संघ के आदमी होने का आरोप लगाते हुए सदन में शोर मचाया था, साथ ही प्रमाण बतौर एक फोटो भी पेश किया गया था। इसके बाद पारूलेकर को पुलिस ने धर दबोचा। इस सबके एक पखवाड़े तक कांतिलाल भूरिया की तंद्रा नहीं टूटी। भूरिया पर आरोप है कि उन्होंने तब तक कोई कदम नहीं उठाया जब तक केंद्र से उन्हें कोई निर्देश नहीं मिला।
इसके साथ ही साथ खनिज माफिया के भाजपा सरकार पर हावी होने के मामले को भी कांग्रेस नेतृत्व डंपर कांड से नहीं जोड़ पाया है। अब जबकि माननीय न्यायालय ने ही डंपर कांड में संज्ञान लिया है तब भी प्रदेश कांग्रेस शांत बैठी है। प्रशिक्षु आईपीएस नरेंद्र कुमार की सरेआम हुई हत्या के मामले में भी प्रदेश में कांग्रेस शांत ही नजर आ रही है। प्रतीकात्मक तौर पर मंगलवार 13 मार्च को प्रदेश में कांग्रेस का बंद अवश्य है पर कांग्रेस ने इसके लिए तैयारियां नहीं की हैं।
इसके अलावा भाजपा से दमखम के साथ लड़ने वाले प्रवक्ता के.के.मिश्रा पर भाजपा से मिले रहने का आरोप लगाकर उन्हें पद से प्रथक करने का मामला भी गर्मा रहा है। सूत्रों की मानें तो के.के.मिश्रा ने कांतिलाल भूरिया के भाजपा से मिले होने के प्रमाण कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के संज्ञान में लाए थे। कहा जा रहा है कि भूरिया के निज सचिव श्री कक्कड़ के पुत्र को शिवराज सिंह चौहान ने खरगोन में एक डिस्टलरी (शराब फेक्टरी) देने के आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस बारे में के.के.मिश्रा ने शोर शराबा मचाया था।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि भूरिया की भाजपा विशेषकर शिवराज सिंह चौहान से सांठगांठ इस कदर हावी है कि भूरिया ने एक जिले के कांग्रेस जिलाध्यक्ष को इसलिए हटा दिया क्योंकि उसने लोकायुक्त पर संघ का हाथ होने का आरोप लगाया था। इसके अलावा अध्यक्ष बनने के बाद अब तक छिंदवाड़ा (कमलनाथ का प्रभाव क्षेत्र), टीकमगढ़ और छतरपुर (सत्यव्रत चतुर्वेदी का प्रभाव क्षेत्र) में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों की घोषणा न कर पाने का मामला भी राहुल गांधी के दरबार में पहुंच चुका है।
सोनिया के दरबा के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश के क्षत्रपों (कमल नाथ, दिग्विजय सिंह को छोड़कर) ने सोनिया गांधी से कहा है कि अगर मध्य प्रदेश में भाजपा से टक्कर लेना है तो इस तरह का ढुल मुल रवैया अख्तियार करने से काम नहीं चलने वाला है। इसके लिए नेतृत्व परिवर्तन अवश्यंभावी है। सूत्रों के अनुसार युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपने का मन राहुल गांधी का बनने लगा है। किन्तु इसमें राजा दिग्विजय सिंह अड़ंगा लगा रहे हैं।

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