‘रोहाणी’ एक गरीब राजनेता
(रवीन्द्र जैन)
भोपाल (साई)। जबलपुर में आजकल मीडिया से लेकर कांग्रेस नेताओं, सामाजिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं और यहां तक की भाजपा के कई नेताओं की भी नजर विधानसभा स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी की संपत्ति और संबंधों पर लग गई है। भाई लोग हाथ धोकर रोहाणी के पीछे पड़ गए हैं। प्रदेश का एक नवोदय समाचार पत्र समूह ने तो रोहाणी को सीधे अपने निशाने पर ले लिया है।
जबलपुर में किसी वार्ड का कार्यकर्ता भी रोहाणी का पुतला जलाए तो इस अखबार के लिए वह प्रदेश स्तरीय खबर है। लगभग तीन दशक से राजनीति में सक्रिय रोहाणी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपना जो अंतिम संपत्ति के ब्यौरे का शपथपत्र दिया है उस पर विश्वास किया जाए तो रोहाणी प्रदेश के अति गरीब राजनेताओं में सुमार किये जा सकते हैं।
आइये चुनाव आयोग की वेबसाइट खोलते हैं और रोहाणी के 3 नवंबर 2008 को दिये शपथपत्र पर नजर डालते हैं। शपथपत्र में रोहाणी का कहना है कि तीस साल की राजनीति में उन्होंने इतना भी नहीं कमाया कि वे अपना घर बना सकें। घर बनाने के लिए उन्होंने अपने बेटे अशोक रोहाणी से 6 लाख 46 हजार 607 रुपए उधार लिए हैं। यह बात दूसरी है कि इसी शपथपत्र में उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी कमाई में से 1.44 लाख रुपए परिजनों को ऋण दिया है। यह ऋण किस परिजन को दिया है इसका उल्लेख नहीं है।
उनकी पत्नी ने भी अपने बेटे अशोक रोहाणी को 2.41 लाख रुपए का कर्जा दे रखा है। हम रोहाणी को यूं ही गरीब राजनेता नहीं कह रहे। ऐसे समय में जबकि राजनेताओं के पास करोड़ों वैध अवैध संपत्ति है तब रोहाणी के शपथपत्र को देखकर लगता है कि उनसे ज्यादा सम्पत्ति तो मध्यप्रदेश के किसी क्लर्क की नौकरी करने वाले के पास होगी। रोहाणी ने ब्योरे में लिखा है कि उनके और उनकी पत्नी के पास मात्र 5-5 हजार रुपए नगद हैं। बैंक के सभी खातों को मिलाकर रोहाणी के पास 29 हजार 449 और पत्नी के पास मात्र 1279 रुपए हैं।
गहनों के बात की जाए तो रोहाणी के पास मात्र 27 हजार रुपए का 22 ग्राम सोना और पत्नी के पास 3 लाख 20 हजार रुपए का 226 ग्राम सोना है। रोहाणी दंपत्ति पर कोई वाहन नहीं है लेकिन वे 60 हजार रुपए की रिवाल्वर रखते हैं। रोहाणी दंपत्ति के पास कृषि अथवा गैरकृषि के नाम पर एक इंच जमीन नहीं है। अपने मकान और ऋण के बारे में उन्होंने अलग से ब्योरा दिया है जो वेबसाइट पर नहीं है।
रोहाणी मध्यप्रदेश की सम्मानित विधानसभा के अतिसम्मानित अध्यक्ष हैं और उनके शपथपत्र पर किसी प्रकार का शक नहीं किया जाना चाहिए। जो लोग उनके खिलाफ मुहिम चला रहे हैं उन्हें प्रमाणित करना चाहिए कि शपथपत्र से हटकर रोहाणी के पास क्या है? यह बात दूसरी है कि अपने शपथपत्र में रोहाणी ने स्वीकार किया है कि उनके ऊपर धोखाधड़ी और जालसाजी जैसी धाराओं के तहत मुकद्दमे दर्ज किये गए हैं और दोनों मुकद्दमों में हाईकोर्ट से उन्हें स्थगन मिला हुआ है।
(लेखक सबकी खबर डॉट काम के संपादक हैं)
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