सीएजी की रिपोर्ट
खारिज की सरकार ने
(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)।
सरकार ने कोयला खंडों के आवंटन में निजी कंपनियों को एक लाख छियासी हजार करोड़
रुपये का फायदा पहुंचाने के बारे में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक-सीएजी के अनुमान
को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कल नई
दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में सरकार की नीति पारदर्शी थी।
श्रीप्रकाश
जायस्वाल ने कहा कि जो पॉलिसी बनाई है इससे ज्यादा बेहतर और कोई दूसरी पॉलिसी नहीं
हो सकती। जिस स्क्रीनिंग कमैटी की अध्यक्षता कोल सेकरेट्री करता हो, जिस स्क्रीनिंग
कमैटी में सारी लॉ मिनिस्ट्री की सेकरेट्री या उनके द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि बैठता
हो, जिस
स्क्रीनिंग कमैटी में सारी राज्य सरकारों के चीफ सेकरेट्री या उनके द्वारा अधिकृत
प्रतिनिधि बैठता हो,
चेयरमेन कोल इंडिया बैठता हो सारी सब्सिडीस के सीएमडी बैठते
हों। मैं नहीं समझता हूं की इससे ज्यादा पारदर्शी कोई कमैटी बनाई जा सकती है।
श्री जायसवाल ने
बताया कि तीन राज्य सरकारों-छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और राजस्थान ने बोली प्रक्रिया
का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि कोयला खंडों के आवंटन की मौजूदा प्रणाली
बदली नहीं जानी चाहिए। श्री जायसवाल ने कहा कि उनका मंत्रालय सीएजी की रिपोर्ट के
सभी पहलुओं से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि कोयला खंडों के आवंटन में अगर नीतिगत
दिशा-निर्देशों के अमल में कोई अनियमितता दिखाई देती है, तो उसकी जांच कराई
जाएगी। कोयला मंत्री ने कहा कि नुकसान का आकलन भ्रामक है क्योंकि रिपोर्ट में जिन
५७ कोयला खंडों का जिक्र किया गया है उनमें से केवल एक ही खंड में उत्पादन हो रहा
है।
नियंत्रक और
महालेखा परीक्षक ने कल कोयला खंडों के आवंटन, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई
अड्डे और कोयला आपूर्ति बिजली परियोजना से संबंधित तीन रिपोर्टें संसद में पेश की
थीं। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से संबंधित अपनी
रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि हवाई अड्डे को विकसित करने वाली कंपनी-डायल द्वारा
लगाया गया ३४ अरब १५ करोड़ रुपये का विकास शुल्क समझौते के प्रावधानों और नागरिक
उड्डयन कानूनों के विरुद्ध है।
नागर विमानन
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि दिल्ली हवाई अड्डे पर जमीन के व्यावसायिक
इस्तेमाल से होने वाले अनुमानित लाभ की गणना गलत और भ्रम फैलाने वाली है क्योंकि
इसमें वर्तमान शुद्ध मूल्य शामिल किए बिना अनुमानित राजस्व का संकेत मूल्य जोड़ा गया
है।
सीएजी ने अल्ट्रा
मेगा पावर प्रोजेक्ट के बारे में अपनी रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया है कि
रिलायंस पावर लिमिटेड को जिन तीन बिजली परियोजनाओं का ठेका दिया गया था, उनके बिजली शुल्क
में अंतर के कारण कंपनी को २९ हजार करोड़ रुपये से अधिक का फायदा हुआ होगा। हालांकि
केंद्रीय बिजली मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि मध्य प्रदेश की परियोजना के लिए
रिलायंस पावर लिमिटेड को कोयला खदानों के आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती
गई।
उधर, भारतीय जनता पार्टी
ने कोयला खंडों के आवंटन में कथित अनियमितताओं के बारे में नियंत्रक और महालेखा
परीक्षक की रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग की है। नई
दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने
कहा कि इस नुकसान के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं, क्योंकि उस समय
कोयला मंत्रालय का प्रभार उन्हीं के पास था।
दूसरी ओर कांग्रेस
ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाले राज्यों में कोयला खंडों के आवंटन में भारतीय
जनता पार्टी पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया है। नई दिल्ली में पार्टी
प्रवक्ता मनीष तिवारी ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा शासित राज्यों ने भी कोयला
खंडों के आवंटन में प्रतियोगी बोली के नियम-कायदे नहीं अपनाए क्योंकि उन्होंने
इसका विरोध किया था।
इसके साथ ही साथ
लोक लेखा समिति के अध्यक्ष डॉ। मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि समिति नियंत्रक और
महालेखा परीक्षक की रिपोर्टों पर चर्चा करेगी और इसके लिए समय का निर्धारण किया
जाएगा। नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि संबधित मंत्रालयों
और विभागों से इससे जुड़े दस्तावेज मंगाए जाएंगे।
2 टिप्पणियां:
sarkaer jo chahe kahen per lossing faith
sarkar janat kee beech khai badha rahee hain
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