दादा को तलाश
मीडिया एडवाईजर की!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
राससीना हिल्स पर कब्जा जमाने के बाद अब देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी
अपनी आंतरिक सजावाट में लग गए हैं। दादा अपने स्टाफ में अधिकारियों को चुनने के
काम में जुट गए हैं। दादा को सबसे अधिक चिंता भारत कणराज्य के प्रथम नागरिक
महामहिम राष्ट्रपति के पद की गिरती साख को लेकर है। इसके लिए वे अब अपने मीडिया
एडवाईजर की तलाश में बताए जा रहे हैं।
महामहिम राष्ट्रपति
के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि महामहिम राष्ट्रपति की वर्तमान प्रेस
सचिव अर्चना दत्ता अपनी आसनी को बचाने की हर संभव कोशिश में लगी हुई हैं। अर्चना
दत्ता के कार्यकाल में देश के महामहिम राष्ट्रपति पद की गरिमा को तार तार होने से
बचाया नहीं जा सका है।
सूत्रों का कहना है
कि दादा इस पद पर लिए बंगाली मूल के ही किसी अधिकारी को काबिज करवाना चाह रहे हैं।
चर्चाओं के मुताबिक बंगाली पत्रकार ही इस पद के लिए मुफीद बैठ रहे हैं, क्योंकि दादा को
बंग्ला के अलावा अंग्रेजी का ज्ञान बेहतर है। दादा की हिन्दी कमजोर है, इसलिए वे हिन्दी के
पत्रकारों को शायद ही तरहीज दें।
जिस तरह भारत
गणराज्य के प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों पर भरोसा करने के
बजाए पहले हरीश खरे फिर पंकज पचौरी को अपनी इमेज बिल्डिंग के लिए पाबंद किया है, उसी तर्ज पर अब
दादा भी किसी पत्रकार को महामहिम राष्ट्रपति के आवास में लाने को आतुर दिख रहे
हैं।
सूत्रों के अनुसार
आनंद बाजार पत्रिका के ब्यूरो प्रमुख जयंतो भोपाल का नाम दादा को मुफीद ही लग रहा
है। वैसे दादा के करीबी सूत्र यह बात भी कह रहे हैं कि संभव है दादा किसी भारतीय
सूचना सेवा के बंगाली अधिकारी को इस काम में लगाकर महामहिम राष्ट्रपति के आवास में
ले जाएं।
सूत्रों की मानें
तो भारतीय सूचना सेवा के अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी देवेंद्र मलिक इस पद
के लिए जुगाड़ लगाने में व्यस्त हैं। इसके अलावा बंगाल मूल के एक अन्य संयुक्त सचिव
स्तर के अधिकारी वरूण मिश्रा की राल भी इस पद के लिए टपकती दिख रही है। ज्ञातव्य
है कि मिश्रा 1988 से
प्रतिनियुक्ति पर महामहिम राष्ट्रपति के कार्यालय में पदस्थ हैं।
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