सोमवार, 26 नवंबर 2012

दिल्ली में कुर्सी तोड़ने वाले नेता होंगे राज्यों में सक्रिय!


दिल्ली में कुर्सी तोड़ने वाले नेता होंगे राज्यों में सक्रिय!

अंबिका को पंजाब भेजने की तैयारी!

हरिप्रसाद को बंग्लुरू, अहमद को बिहार तो वासनिक जा सकते हैं महाराष्ट्र

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। राज्यों से उठकर दिल्ली पहुंचकर सियासी बियावान में विचरण करते करते मलाई खाने के आदी हो चुके कांग्रेस के नेताओं के लिए यह बुरी खबर है कि कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली में खींसे निपोरते कुर्सी तोड़ने वाले नेताओं को उनके राज्यों में ही सक्रिय करने का फैसला लिया है। सरकार से हटाए गए कुछ नेता और संगठन में बैठे असफल या पुअर परफार्मेंस वाले नेताओं को जल्द ही उनके राज्यों में अहम जिम्मेवारी से नवाजा जा सकता है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय के प्रभार से मुक्त हुईं अंबिका सोनी का शनी भारी होता दिख रहा है। माना जा रहा था कि अंबिका सोनी को केंद्र सरकार से लाल बत्ती वापस लेने के उपरांत उनकी सेवाएं संगठन में कुछ महत्वपूर्ण ओहदों पर ली जाएगी, वस्तुतः एसा हुआ नहीं। अंबिका को राहुल की अगुआई वाली समितियों में भी सम्मानजनक ओहदा नहीं मिला है। एआईसीसी से भी अंबिका का पत्ता लगभग कटा ही हुआ है। वहीं कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओें को उनके गृह प्रदेश में वापसी का तानाबाना भी बुना जा रहा है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटिस सरकारी आवास) में पदस्थ एक कारिंदे ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दरअसल, दिल्ली विशेषकर केंद्र में सत्ता की मलाई चखने के उपरांत कोई भी नेता अपने सूबे की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है, यही कारण है कि राज्य स्तर पर कांग्रेस का संगठन आईसीसीयू में पड़ा हुआ है।
उक्त कारिंदे का कहना था कि हर एक नेता जो लोकसभा से चुना जाता है वह अपने अपने सूबे में सारा ध्यान महज अपने संसदीय क्षेत्र तक ही सीमित रखता है, शेष राज्य में कांग्रेस की बुरी स्थिति से उसे कोई लेना देना नहीं होता है। वहीं राज्य सभा से चुने गए सदस्य तो अपने अपने चुने हुए राज्यों की तरफ मुंह मोड़कर भी नहीं देखते हैं। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का उदहारण देते हुए उक्त कारिंदे ने कहा कि जब पीएम को ही अपने राज्य सभा से चुने जाने वाले राज्य से लेना देना नहीं है तो बाकी की कौन कहे?
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो पूर्व केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के पुअर परफार्मेंस और मीडिया में कांग्रेस तथा सरकार के खिलाफ हमले ना रोक पाने के चलते अपना पद गंवाने वाली अंबिका सोनी इन दिनों गुमनामी के अंधेरे में ही हैं। अंबिका सोनी की पूछ परख काफी हद तक कम हो चुकी है। अकबर रोड स्थित उनके आवास में आजकल सन्नाटा पसरा हुआ है। सरकार से हटने के उपरांत अंबिका संगठन में शीर्ष पद पाने की जोड़तोड़ में लगीं थीं किन्तु कांग्रेस की हाल ही मे घोषित समितियों ने अंबिका को खासा झटका दिया है। अंबिका को इन समितियों में जगह नहीं मिली है। उन्हें संचार और प्रचार समिति में रखा गया है। अंबिका की मनःस्थिति यह देखकर समझी जा सकती है कि अंबिका को मनीष तिवारी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपेंद्र हुड्डा जैसे अपेक्षाकृत कनिष्ठों को रिपोर्ट करना होगा। कल तक कांग्रेस अध्यक्ष की आंखों का नूर बनीं अंबिका सोनी अब कहां हैं किसी को नहीं पता।
सोनिया गांधी के आवास के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अंबिका सोनी का उपयोग अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में करने के बजाए उन्हें अब पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं सोनिया गांधी। अंबिका सोनी को राष्ट्रीय परिदृश्य से हटाने की मुहिम में लगे नेताओं ने सोनिया गांधी को यह भी समझाया है कि पंजाब में अमरिंदर सिंह और रजिंदर कौर के बीच चल रहे हाट एण्ड कोल वार से निपटने अंबिका से बेहतर और कोई नहीं हो सकता।
सूत्रों की मानें तो नेताओं ने सोनिया गांधी को समझाया है कि अंबिका सोनी के पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने से दोंनों ही गुटों के साथ ही साथ बागियों पर भी लगाम कसी जा सकेगी क्योंकि अंबिका की पीठ पर दस जनपथ का विश्वस्त होने की मुहर जो लगी होगी। इस तरह अंबिका के पंजाब जाने से पंजाब की कांग्रेस में अमन चैन की बहाली संभव हो सकेगी।
उधर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि दिल्ली में रहकर कुर्सियां तोड़ने वाले अनेक नेताओं को उनके गृह सूबों की जवाबदेही सौंपने की तैयारी भी अंतिम दौर में ही है। इन नेताओं को यह कहकर इनके गृह राज्यों में भेजा जा रहा है कि वहां कांग्रेस के संगठन को मजबूत करें, वस्तुतः इन नेताओं को इनका जमीनी आधार दिखाने की यह कवायद राहुल गांधी के एक करीबी नेता ने की है।
वैसे पूर्व में 2008 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को त्यागपत्र दिलवाकर कांग्रेस आलाकमान ने देश के हृदय प्रदेश भेजा था। मध्य प्रदेश में उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस औंधे मुंह ही गिरी। अब राज्यों की कमान केंद्र में बैठे हाई प्रोफाईल नेताओं के हाथों में सौंपने से क्या हल निकलनेगा यह तो कांग्रेस आलाकमान ही जाने पर पिछले असफल प्रयोगों से इस मामले में कांग्रेस को कोई सफलता मिले इसमें संशय ही लग रहा है।
एआईसीसी के भरोसेमंद सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया साई न्यूजको बताया कि मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद की मध्य प्रदेश में कमजोर पकड़ और विशेषकर लखनादौन नगर पंचायत के चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी का बी फार्म से पहले ही नाम वापस लेना, शराब व्यवसाई निर्दलीय तौर पर सिवनी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरकर कांग्रेस के प्रत्याशी को पहली बार जमानत जप्त करवाने वाले दिनेश राय की मां के पक्ष में कांग्रेस का समर्थन देने की असफल कोशिश के चलते अब उनकी केंद्र से छुट्टी तय मानी जा रही है। सूत्रों की मानें तो हरिप्रसाद को जल्द ही बंग्लुरू कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर भेजा जा सकता है।
बंगाल और झारखण्ड के प्रभारी शकील अहमद को भी मीडिया में कांग्रेस के पक्ष को रखने में असफल रहने पर घर बिठाने की तैयारी की जा रही है। एआईसीसी सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि शकील अहमद को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपकर उन्हें बिहार भेजा जा सकता है। उधर, लाल बत्ती से हटाए गए मुकुल वासनिक को भी उनके गृह प्रदेश महाराष्ट्र में कांग्रेस की कमान सौंपने की तैयारियां हो चुकी हैं।

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