लाजपत ने लूट लिया
जनसंपर्क ------------------ 19
अंधा बांटे रेवड़ी
चीन्ह चीन्ह कर देय
(रमेश मिश्रा चंचल)
भोपाल (साई)। यह
जुमला जनसंपर्क संचालनालय मध्य प्रदेश पर इन दिनों खूब फबता है, सरकार का पैसा हो
और उसकी निगरानी करने के लिए ऐसे अधिकारी को नियुक्त कर दिया जाता है जो निष्पक्ष
और इमानदार व् चरित्रवान हो, यदि वाही अधिकारी लूटने पर आ जाए तो परिणाम
वही होता है जो इस मामले में सामने आया है। संचालनालय बड़े से बड़े प्रकाशन समूह को
भी पच्चीस पचास हजार का विज्ञापन देने में आनाकानी करता है पर अधिकारियो की काली
करतूत का एक नायाब नमूना देखिए, एक ऐसी वेबसाइट को 15 लाख रूपये का
विज्ञापन दे दिया जिसका नामो निशान न के बराबर है। न सिर्फ 15 लाख का विज्ञापन
दे दिया बल्कि ४० दिन के अंदर एकमुश्त रकम भी अदा कर दी।
मध्य प्रदेश
जनसंपर्क के सैकड़ों करोड़ के बजट की जो बंदरबांट होती है उसमें सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और पत्रकार
आपस में मिलकर ऐसी मलाई काटते हैं कि देखनेवाला भौचक्का रह जाए। यह मामला जुड़ा है
एमपीपोस्ट।कॉम वेबसाइट से। साइटों की रैंकिंग निर्धारित करनेवाली एलेक्सा में अगर
उनकी साइट की रैंकिंग देखी जाए तो वह 26 लाख पर नजर आती है।
फिर भी संचालनालय
ने न जाने किस नियमावली के तहत विज्ञापन के नाम पर एकमुश्त पंद्रह लाख रूपये का
भुगतान कर दिया। मध्य प्रदेश जनसंपर्क के आदेश क्रमांक डी-72316 एमपी पोस्ट के नाम
जारी किया गया ,यह 17 अगस्त 2012 को जारी किया गया
है जिस पर 15 लाख रूपये
की राशि स्वीकृत की गई है। साइट को विज्ञापन देने के एक सप्ताह के अंदर ही 15 लाख रूपये का बिल
जनसंपर्क में जमा करा दिया गया एवं 25 अगस्त को बिल जमा कराते ही कार्रवाई करते
हुए लगभग ४०-४५ दिन के भीतर जनसंपर्क विभाग ने भुगतान भी कर दिया, 11 अक्टूबर 2012 को उन्हें 14 लाख 70 हजार ई ट्रांसफर
के जरिए एकमुश्त अदा कर दिया गया।(सन्दर्भ के लिए अटैच्ड फोटो देखे )
सवाल यह है की एक
अदना सी वेबसाइट को आखिर किस आधार पर पंद्रह लाख का विज्ञापन दिया गया, मध्य प्रदेश
जनसंपर्क में वेबसाइटों को लेकर कोई नियम कानून नहीं है और अपनों को उपकृत करने के
लिए मध्य प्रदेश जनसंपर्क के विज्ञापन वेबसाइटों को भरपूरी मात्रा में बांटे जाते
हैं। लेकिन इस मामले में कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। एक तो यह साइट कोई ऐसी
विशेषज्ञता वाली वेबसाइट नहीं है और न ही इसकी दर्शकों की संख्या इतनी बड़ी है कि
जनसंपर्क उसके जरिए लोगों तक पहुंचने के लिए एक विज्ञापन के ऐवज में 15 लाख रूपये का
भुगतान कर दे।
जनसंपर्क विभाग में
इस गोरखधंधे के सामने आने आने के बाद सरकार और संबंधित मंत्री की जिम्मेदारी बनती
है कि वह जनसंपर्क द्वारा जारी इस विज्ञापन की जांच करवाएं कि आखिर किस आधार पर
जनता के 15 लाख रूपये
एमपीपोस्ट।कॉम को जारी किये गये।साथ ही चुनाव वर्ष के लिए मुख्यमंत्री द्वारा
जनसंपर्क बजट को बढाने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने भी नहीं सोचा होगा की पार्टी
एवं सरकार के पक्ष में भुनाने के लिए बढाए गए बजट की ये अधिकारी इस तरह बंदरबांट
कर देंगे।
बहरहाल देखना यह है
की इस गोरखधंधे के उजागर होने के बाद मध्य प्रदेश लोकायुक्त , स्वयं मुख्यमंत्री
या सम्बंधित जनसंपर्क मंत्री में से अपनी तरफ से संज्ञान लेकर इस आर्थिक अपराधिक
कृत्य की जांच करानी चाहिए वह भी इनकी अधिकारियो की नियुक्ति से आज दिनांक तक जारी
विज्ञापनों की जांच गंभीरता से करवा कर उनके विरुद्ध विधि सम्मत कार्यवाही तत्काल
प्रभाव से करनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओ की पुनरावृत्ति न हो।
(मीडिया मंच डॉट काम से साभार)
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