ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
भाजपा उजाड़ते दिग्विजयी घोड़े
देश के हृदय प्रदेश में दस साल पहले
राजा दिग्विजय सिंह का राज था, अब दस सालों से भाजपा प्रदेश में काबिज है। मध्य प्रदेश
में दस सालों तक तो भाजपा का शासन बहुत ही उम्दा तरीके से चल पर अब लगता है दिग्विजय
सिंह के जिम्मे मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी आते ही अब राजा के मातहत रहने वाले सरकारी
कर्मचारियों ने भाजपा का दामन छोड़ दिया है। चुनावी साल में मध्य प्रदेश की झांकी राजपथ
पर नहीं दिखी। इतना ही नहीं दिल्ली के प्रगति मैदान में मध्य प्रदेश का पैवेलियन भी
अब कुत्तों का मैटरनिटी वार्ड बन चुका है। लोगों को आश्चर्य कि आखिर क्या वजह है कि
चुनावी साल में मध्य प्रदेश के प्रशासनिक, पुलिस एवं अन्य सेवाओं के अफसर सरकार
का साथ छोड़ रहे हैं। इससे शिवराज सिंह चौहान को जो नुकसान होना है वह तो होगा ही इसका
सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय जनता पार्टी संगठन पर पड़ेगा। कहा जा रहा है कि दिग्विजय
सिंह की जमावट में कसे आला अफसरान अब 2013 में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनाने
फिरकमंद नजर आने लगे हैं।
राजेंद्र बाबू का अक्स दिख रहा है
प्रणव दा में
आजाद भारत गणराज्य में जितने भी महामहिम
राष्ट्रपति हुए हैं उनमें पहले महामहिम राजेंद्र प्रसाद की सादगी और साफगोई का हर कोई
कायल रहा है। उसके बाद अब प्रणव मुखर्जी के अंदर वही अक्स दिखाई पड़ने लगा है। देश की
अर्थव्यवथा चौपट है, अनाचार भ्रष्टाचार पर युवाओं में जमकर रोष है। यह पहले फूटा
था अण्णा के आदोलन में जब वह आंदोलन राजनैतिक गलियारे में जाने लगा तब युवाओं का मन
इससे भटका। दुबारा यह फटा दामिनी के गैग रेप के दौरान। देश के न्यायाधिपति अल्तमस कबीर
ने भी युवाओं के आंदोलन को जायज ठहराया। इसके साथ ही साथ प्रणव मुखर्जी ने भी उस आंदोलन
को जायज ठहराया है। प्रणव मुखर्जी ने जो कहा वह वाकई अविस्मरणीय है। यह एक तरह से केंद्र
और दिल्ली सरकार के लिए विचारणीय प्रश्न छोड़ गया है। अगर आंदोलन सही था तो निश्चित
तौर पर केंद्र और दिल्ली सरकार का दमनकारी तरीका अवैध था।
नागपुर में झलकी गड़करी की पीड़ा
नागपुर से लाल करापेट के जरिए संघ
ने नितिन गड़करी को दिल्ली भेजा। दिल्ली में गड़करी कुछ सोच समझ पाते इसके पहले ही भाजपा
के अनेक नेताओं ने षणयंत्र कर नितिन गड़करी को पार्सल में लपेटकर वापस नागपुर भेज दिया।
गड़करी को एक षणयंत्र के तहत आयकर विभाग के मामलों में उलझाने की चर्चाएं हैं। गड़करी
पर छापे भी उनकी ताजपोशी के एक दिन पहले मारना अजीब संयोग ही बताया जा रहा है। गड़करी
के उपर इस तरह के छापों के पीछे भाजपा के आला नेताओं की मिली भगत ही प्रमुख तौर पर
बताई जा रही है। गड़करी को शायद सब कुछ का भान हो गया। गड़करी जैसे ही नागपुर पहुंचे
उनकी पीड़ा उनकी जुबान पर आ गई। वे छूटते ही बोले कि आयकर वालों अगर भाजपा सरकार में
आई तो सोनिया चिदम्बरम भी उन्हें नहीं बचा पाएंगे। दरअसल गडकरी का इशारा भाजपा के उन
नेताओं की तरफ था जो इस छापे में पीछे से भूमिका निभा रहे थे।
भ्रष्टाचार पर पलटीं सोनिया
जयपुर में चिंतन शिविर के दौरान अपने
उद्बोधन में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने भ्रष्टाचार पर जमकर बोलना आरंभ
किया। सोनिया के इस भाषण को मनमोहन सिंह बहुत ही ध्यान से सुन रहे थे। सोनिया के तेवर
देखकर मनमोहन सिंह के चेहरे की भाव भंगिमाएं तेजी से बदलती दिखीं। दरअसल, भ्रष्टाचार पर सोनिया का
वार केंद्र सरकार की ओर इंगित हो रहा था। फिर क्या था मनमोहन सिंह ने सीस पेंसिल उठाई
और कागज पर कुछ इबारत लिखी और हरकारे से भेज दी सोनिया के पास। सोनिया ने पढ़ा और भ्रष्टाचार
पर से अपना ध्यान हटाकर दूसरी ओर ले गईं। मंच पर विराजे एक वरिष्ठ कांग्रेस के नेता
ने धीरे से कहा लगता है सोनिया गांधी को मनमोहन सिंह ने लिखकर भेज दिया कि भ्रष्टाचार
किसी ओर ने नहीं बल्कि सोनिया के इशारे पर कांग्रेस की केंद्र सरकार ने ही किया है।
दामनि को मिले 73 फीसदी मार्कस
दिल्ली में गेंग रेप की पीडिता और
फिजियोथेरिपी की छात्रा ने अपना अंतिम इम्तेहान दिया था उत्तराखण्ड में और उसका परिणाम
आ गया है उसने परीक्षा 73 फीसदी अंकों से पास की है। देहरादून में उसकी शिक्षण संस्थान
के सूत्रों बताया कि उसे शानदार मार्क्स मिले हैं जो कि औसत 55 से 65 पर्सेंट के करीब
हैं। 23 साल की गैंगरेप विक्टिम इसी इंस्टिट्यूट में चार सालों से पढ़ रही थी। उसके
शिक्षकों ने कहा कि उसका शानदार परफॉर्मेंस रहा।
गौरतलब है कि गैंगरेप विक्टम 16 दिसंबर की रात चलती बस में बर्बर तरीके से गैंग
रेप का शिकार बनी थी। करीब एक हफ्ते से ज्यादा जिंदगी और मौत से बहादुरी से जूझते हुए
उसकी 29 दिसंबर को सिंगापुर हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी की
तरफ से ली गई 6 पेपर्स की परीक्षा में उसे टोटल 1100 में से 800 मार्क्स मिले हैं।
इस परीक्षा के बाद ही गैंगरेप विक्टिम दिसंबर के पहले हफ्ते में दिल्ली इंटर्नशिप करने
आई थी।
युवराज होंगे 24 अकबर रोड़ के सर्वे
सर्वा
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की
नई भूमिका के लिए अब कांग्रेस मुख्यालय 24, अकबर रोड़ भी सज संवर रहा है। मुख्यालय
में नए उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अगवानी की तैयारी शुरू हो गई है। उस ऑफिस को सजाया
संवारा जा रहा है जो औपचारिक रूप से उनका दफ्तर होगा। राहुल गांधी की टीम के एक अति
महत्वपूर्ण मेंबर ने अपनी देखरेख में राहुल गांधी का ऑफिस तैयार करवाया। इतना ही नहीं,
उक्त टीम मेंबर
ने मोतीलाल वोरा व जनार्दन द्विवेदी जैसे कांग्रेस के सीनियर नेताओं से मिलकर उनके
पूरे ऑफिस व स्टाफ वगैरह से जुड़ी तैयारियों के बारे में भी चर्चा की। वैसे सोनिया गांधी
इस कार्यालय में सुरक्षा कारणों से कम ही आती हैं उनके स्थान पर अब राहुल गांधी को
इस कार्यालय की पूरी कमान परोक्ष तौर पर सौंप दी गई है। टीम राहुल के सदस्य भी अब कांग्रेस
मुख्यालय में अपना वर्चस्व बढ़ाने की जुगत में दिख रहे हैं।
फिर होंगे निर्मल बाबा सरताज!
धर्म के नाम पर दुकान खोलने के आरोपों
के चलते चर्चाओं का केंद्र रहे निर्मलजीत सिंह निरूला उर्फ निर्मल बाबा एक बार फिर
मुख्य धारा में लौटते दिख रहे हैं। समाचार चेनल्स की कमाई के जरिए का पर्याय बन चुके
निर्मल बाबा के विज्ञापन एक बार फिर समाचार चेनल्स पर दिखने लगे हैं। माना जा रहा है
कि कानूनी मशविरों के उपरांत निर्मल बाबा ने एक बार फिर छोटे पर्दे पर उतरने का फैसला
ले ही लिया है। निर्मल बाबा के नेहरू प्लेस स्थित निर्मल दरबार के सूत्रों ने बताया
कि निर्मल बाबा का इस साल का समागम देश की राजनैतिक राजधानी मुंबई में संपन्न होगा।
मुंबई में बाबा के दो समागम होंगे जो 27 और 28 फरवरी को संपन्न होंगे। इन दोनों ही
समागमों के लिए हाउसफुल होने के कारण बुकिंग बंद कर दी गई है। मुंबई में बाबा का यह
12वां और 13वां समागम होगा। पिछले साल 7 नवंबर के उपरांत बाबा का यह पहला समागम होगा।
तेल कंपनियों का दिलचस्प अर्थशास्त्र
पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों का
अर्थशास्त्र बहुत दिलचस्प है. अगर कच्चे तेल की मौजूदा कीमत 110 डालर प्रति बैरल (एक
बैरल= करीब 160 लीटर) है और प्रति डालर रूपये की कीमत है 54.8 रूपये है। इस अर्थशास्त्र
के बारे में सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर बहस चल पड़ी है। कहा जा रहा है कि उसकी कीमत
का सामान्य अर्थशास्त्र यह बनता है कि एक बैरल कच्चे तेल की कीमतरू 110.54 डालर यानी 5970 रूपए प्रति बैरल। इस हिसाब से प्रतिलीटर की
कीमत आती है 37 रूपए 31 पैसे। इस के शोधन और परिवहन पर प्रति लीटर 3 रूपए का खर्य आता
है। इसके अलावा उसकी मार्केटिंग कमीशन और अन्यय व्यय पर दो रूपए प्रति लीटर का खर्च
आता है। इस लिहाज से प्रतिलीटर पेट्रोल की कीमत लगभग 42 रूपए 31 पैसे आती है। जबकि
बाजार में दोगने से अधिक कीमत पर बिकता है।
पुच्छल तारा
राहुल गांधी बार बार चिल्ला चिल्ला
कर कह रहे थे कि वे सकारात्मक राजनीति को प्रश्रय देंगे। भ्रष्टाचारियों की कांग्रेस
में कोई जगह नहीं है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट फेसबुक पर एक कमेंट आया है जिसमे लिखा
है कि राहुल गांधी सीधे सीधे क्यों नहीं कहते कि कांग्रेस में अब हाउस फुल हो चुका
है। बेहतर है कांग्रेस के बाहर हाउस फुल का बोर्ड लगा दिया जाए।
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