गुरुवार, 9 मई 2013

गुड़िया के मामले में हुकुम का मौन आश्चर्यजनक!


अपराधियों को प्रश्रय . . . 2

गुड़िया के मामले में हुकुम का मौन आश्चर्यजनक!

कहीं झाबुआ पावर प्रबंधन को बचाने में तो नहीं लगे हैं कुंवर शक्ति सिंह!

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर से निकलकर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष का सफर तय करने वाले कुंवर शक्ति सिंह का घंसौर में हुए गुड़िया रेप कांड में चुप रहना अनेक आश्चर्य को जन्म दे रहा है। क्षेत्र में हुकुम के नाम से मशहूर कुंवर शक्ति सिंह का दबदबा मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड में अच्छा खासा बना हुआ है।
ज्ञातव्य है कि गत 17 अप्रेल को घंसौर की एक दुधमुंही चार साल की बच्ची के साथ मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के वेल्डर फिरोज ने दुष्कर्म किया था। मामला दबा रहा पर जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के जरिए मामला देश की राजधानी दिल्ली के प्रमुख समाचार पत्रों की वेब साईट्स पर उछला तब जाकर प्रशासन ने इस पर संज्ञान लिया।
आनन फानन उसे जबलपुर फिर एयर एंबूलेंस से नागपुर ले जाया गया। गुडिया के मामले में मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड ने काफी लापरवाही बरती, उसके इलाज की बात भी जिला प्रशासन द्वारा इन्हीं के द्वारा उठाने की बात हुई, अंततः गुड़िया को बचाया नहीं जा सका।
संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि हुकुम की बात संयंत्र प्रबंधन ने अब तक कभी नहीं काटी है। इसका कारण हुकुम का क्षेत्र और सिवनी जिले के मीडिया पर खासा प्रभाव ही माना जा सकता है। सूत्रों की मानें तो अगर कुंवर शक्ति सिंह चाहते तो वे संयंत्र प्रबंधन पर दबाव बनवाकर गुड़िया को संयंत्र के खर्च ही जबलपुर से एयर एंबूलेंस के माध्यम से सीधे दिल्ली ले जा सकते थे, जहां उसका बेहतर इलाज हो सकता था।
सूत्रों का कहना हैै कि वस्तुतः हुकुम के द्वारा एसा कोई प्रयास नहीं किया गया कि गुड़िया को किसी तरह की मदद मिल सके। वहीं नागपुर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से आशीष कौशल ने अवश्य बताया कि नागपुर के केयर अस्पताल में भर्ती गुड़िया को देखने कुंवर शक्ति सिंह अवश्य गए थे।
सूत्रों का यह भी कहना है कि चूंकि संयंत्र प्रबंधन को यह भरोसा है कि क्षेत्र में आदिवासियों के साथ संयंत्र प्रबंधन ने जो दोयम दर्जे का व्यवहार किया है उसे दबाने में हुकुम सक्षम हैं और सिवनी के मीडिया पर उनकी पकड़ के चलते कहीं भी इन बातों को तवज्जो नहीं मिलेगी अतः संयंत्र का अधिकांश काम हुकुम के इशारों पर ही होता है।
गुड़िया के मसले में कुंवर शक्ति सिंह का ना तो कोई आधिकारिक बयान आया और ना ही उनके प्रयासों को मीडिया में भी स्थान ही मिला। शक्ति सिंह के करीबी सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि अपना मौन वृत तोड़कर शक्ति सिंह 6 मई नहीं 19 अप्रेल को ही घंसौर वापस लौट आए थे।

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