कमल नाथ का स्वागत और विरोध!
(शरद खरे)
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ गुरूवार को सिवनी आए। कांग्रेस ने उनके स्वागत
में पलक पांवड़े बिछा दिए, वहीं दूसरी ओर
अनेक राजनैतिक और गैर राजनैतिक संगठनों ने उनका जमकर विरोध किया। संभवतः जीवन में
पहली बार ही कमल नाथ ने इस तरह का विरोध देखा होगा। स्वस्फूर्त विरोध वाकई में
सिवनी के लोगों के दिलों में विकास की किरण से कोसों दूर होने की कसक दर्शाने के
लिए पर्याप्त माना जा सकता है।
सिवनी के लोगों के मन में इस बात का दर्द है कि आसपास के सारे जिलों में
पहले सिवनी नंबर वन था पर बीस पच्चीस सालों से सिवनी फिसड्डी हो गया है। लोग इसका
कारण बेहतर जानते हैं, पर उनकी मजबूरी
है कि वे कुछ कह और कर नहीं सकते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा द्वारा प्रदेश में मंत्री रहते
हुए जो सौगातें दी थीं उसके बाद सिवनी की झोली रीती ही रह गई। सिवनी को कुछ भी
नहीं मिल पाया चाहे शासन कांग्रेस का रहा हो या भाजपा का। सिवनी वासियों की
उम्मीदें एक के बाद एक धूमिल होती चली गईं और सिवनी के लोगों ने इसे नियति मानकर
अपने पुराने ढर्रे पर चले गए।
सिवनी के सांसद विधायकों ने कभी सिवनी के विकास की बात नहीं सोची। अगर
सांसद विधायक चाहते तो सिवनी का आज नक्शा ही कुछ और होता। चुनाव आते ही प्रमुख दल
कांग्रेस और भाजपा अपनी तान छेड़कर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना आरंभ कर देते
हैं। वे भूल जाते हैं कि जनता सब कुछ जानती है।
वस्तुतः सांसद विधायक जनता को बरगलाना चाहते हैं। जनता के मन में कसक उठती
जरूर है पर वहीं दबकर रह जाती है। जनता पूछना चाहती है कि जब आप सांसद और विधायक
हैं तो जो आरोप जनता के सामने लगाते हैं उन आरोपों को संसद या विधानसभा में उठाते
क्यों नहीं हैं।
सिवनी के अविकसित रहने का दर्द सिवनी का सच्चा निवासी ही समझ सकता है।
राजनैतिक तौर पर किसी भी नागरिक की निष्ठा किसी भी राजनैतिक दल के साथ हो सकती है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के सिवनी के स्थानीय नुमाईंदों का फर्ज बनता है
कि वे भी अपने अपने दलों के माध्यम से सिवनी का विकास सुनिश्चित करवाएं।
पिछले बीस पच्चीस सालों में सिवनी का विकास मानो ठहर सा गया है। नेता अपने
भाषणों में चाहे विकास के जो आयामों के गढ़े जाने और भविष्य में गढने की बात कह रहे
हों किन्तु सच्चाई जनता के सामने है कि सिवनी पच्चीस सालों में जहां रूका था आज
वहीं खड़ा हुआ है।
परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा हर दृष्टि में सिवनी के लोग अपने आप को हर किसी के
सामने बौना पाते हैं, यह बात भी किसी
से छिपी नहीं है। ना तो यहां ब्राडगेज है, ना सड़क का उचित
परिवहन। स्वास्थ्य के मामले में सरकारी स्तर पर सुविधाएं नगण्य ही हैं। रही बात
शिक्षा की तो सरकारी स्कूल कालेज की दशा किसी से छिपी नहीं है।
महाकौशल में कांग्रेस में ही एक कद्दावर नेता हैं और वे हैं कमल नाथ।
महाकौशल में कमल नाथ के कद को दूसरा नेता ना तो कांग्रेस में है और ना भाजपा में।
इस लिहाज से महाकौशल के कमोबेश केंद्र बिन्दु बन चुके सिवनी को उनसे बहुत ज्यादा
आशा है। यह आशा कांग्रेस की ही नहीं वरन हर राजनैतिक दल की होना चाहिए। इसके लिए
अन्य राजनैतिक दलों के लोगों को दलगत राजनीतिक भावना से उपर उठने की आवश्यक्ता है।
कमल नाथ का गुरूवार को सिवनी आगमन पर कांग्रेस के गुट विशेष द्वारा उनका
स्वागत करना अपने आप में उचित है, वहीं विपक्षी
दलों और अन्य गैर राजनैतिक संगठनों द्वारा किया गया उनका विरोध भी तर्क संगत ही
माना जा सकता है। कमल नाथ का विरोध और स्वागत दोनों ही उचित माने जा सकते हैं।
स्वागत इसलिए क्योंकि कमल नाथ कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं और केंद्र में
सालों से मंत्री हैं। उनके कद के हिसाब से उनका स्वागत लाजिमी है। वहीं विरोध
इसलिए उचित है क्योंकि कमल नाथ का सूचना तंत्र बेहद तगड़ा माना जाता है और अगर उनकी
जानकारी में सिवनी के अविकसित रहने की बात आई (कारण चाहे जो भी हो) तो यह उनका
फर्ज था कि वे सिवनी के विकास के मार्ग प्रशस्त करते।
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