अवैध कॉलोनी काटने
पर सात साल की सजा!
कार्यवाही के अभाव
में सजा की परवाह नहीं है सिवनी के कॉलोनाईजर्स को
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। सिवनी
में जमीन का धंधा जोरों पर चल रहा है। अगर आपके पास एक एकड़ भी जमीन है तो आप
करोड़पति बन सकते हैं। जी हां, सिवनी में कॉलोनाईजर्स द्वारा जगह जगह
जमीनों पर अवैध कॉलोनी काटकर प्लाट बेच दिए जाते हैं। स्थानीय निकाय विभाग की
नजरों में अवैध होने वाली कॉलोनियों में विकास नहीं कराया जाता है। नतीजतन वहां के
रहवासी नारकीय जीवन जीने पर मजबूर होते है, और कॉलोनाईजर की चांदी हो जाती है।
जिला मुख्यालय
सिवनी में ही अवैध रूप से काटी गई दर्जनों कॉलोनियां मौजूद हैं। इन कॉलोनियों को
वैध कराने के लिए नगर पालिका द्वारा भी जमकर मुंह फाड़ा जाता है। अब चूंकि यहां लोग
मकान बनाकर रहने लगे होते हैं अतः उनकी मजबूरी ही होती है कि कॉलोनाईजर को छोड़ वे
ही आपस में चंदा कर कॉलोनी के विकास के लिए नगर पालिका की चिरौरी करते नजर आते
हैं। पता नहीं क्यों राजस्व विभाग के एसडीओ, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी के साथ ही
साथ स्थानीय निकायों के पार्षद, पंच आदि इस मामले में किस दबाव में अपना
मुंह खोलने से गुरेज ही करते नजर आते हैं।
सिवनी छपारा में है
इनका जोर
सिवनी और छपारा में
अवैध रूप से कटने वाली कॉलोनियों की तादाद सबसे ज्यादा है। सिवनी में तो दर्जनों
जगहों पर कॉलोनी काटे जाने के आकर्षक विज्ञापन होर्डिंग्स आदि दिखाई दे जाते हैं।
इनमें पूर्णतः विकसित, हर विभाग की अनुमति प्राप्त, इतने मीटर चौड़ी सड़क, पार्किंग, खेल का मैदान, शैल्टरलेस के लिए
आवास आदि का हवाला दिया जाता है। वास्तव में जिस जमीन पर इन कॉलोनियों का निर्माण
होना दर्शाया जाता है वह जमीन कॉलोनाईजर के नाम पर होती ही नहीं है। छपारा के
गोविंद धाम के बारे में बताया जाता है कि अभी तक इस कॉलोनी के लिए जरूरी अनुमतियां
नही मिली हैं, पर कॉलोनी
में प्लाट आज भी बदस्तूर बेचे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि कॉलोनी के कॉलोनाईजर्स
द्वारा तहसीलदार को साध लिया गया है तभी इस मामले में कोई कार्यवाही अब तक नहीं हो
सकी है।
खरीददार से ही बनते
हैं धन्ना सेठ!
कहा जाता है कि
कॉलोनी काटने वाले लोग कॉलोनी में प्लाट खरीदने वालों से ही पूंजी अर्जित कर पैसा
कमाते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्लाट की बुकिंग वाले एमाउंट पर ही ये
कॉलोनाईजर्स सारा खेल करते हैं। इसी राशि से वे धीरे धीरे ही सारी सरकारी विभागों
की अनुमतियों को जुगाड़ते हैं। बाद में दूसरी तीसरी किश्त में ही पूरा खेल खेल लिया
जाता है। शेष बची किश्तें सीधे सीधे कॉलोनाईजर्स की जेब में जाती हैं।
दर्जनों कॉलोनियां
हैं अवैध!
नगर पालिका परिषद्
सिवनी की ही फेहरिस्त में, शहरी सीमा में अनेक कॉलोनियां आज भी अवैध हैं, जहां के निवासी नगर
पालिका द्वारा उनकी कॉलोनी में विकास न करने के चलते नारकीय जीवन जीने पर मजबूर
हैं। कहीं कॉलोनी अवैध होने के कारण निवासियों को अस्थाई बिजली का कनेक्शन लेना पड़
रहा है तो कहीं पानी निकासी की नाली न होने, कहीं सड़क न होने के कारण लोगों का जीना
मुश्किल हो रहा है।
हो गया है संशोधन
प्रदेश के पंचायत
राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम (1993) में पहली मर्तबा संशोधन किया गया है। इस
संशोधन में अवैध कॉलोनी काटने या बसाहट करने पर अगर कॉलोनाईजर दोषी पाया जाता है
तो अब उसे छः माह के बजाए कम से कम तीन और अधिक से अधिक सात साल के लिए जेल सहित
अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है।
एसडीओ पर भी होगी
कार्यवाही
इतना ही नहीं इस
महत्वपूर्ण संशोधन में अब यह व्यवस्था दी गई है कि अगर इस मामले में संबंधित
अनुभाग के एसडीओ राजस्व भी दोषी पाए जाते हैं, वे अगर कार्यवाही
नहीं करते हैं और कार्यवाही को प्रभावित करते हैं तो उसे भी तीन साल की सजा का
प्रावधान किया गया है।
यह है नई व्यवस्था
समाचार एजेसंी ऑफ
इंडिया के भोपाल ब्यूरो से संतोष पारदसानी ने राजस्व विभाग के सूत्रों के हवाले से
बताया कि अगर किसी के द्वारा अवैध कॉलोनी काटे जाने की शिकायत एसडीओ या तहसीलदार
को की जाती है तो दोनों ही अधिकारियों को उस पर त्वरित कार्यवाही करना ही होगा।
अगर शिकायतकर्ता जांच से संतुष्ट नहीं है तो वह इस मामले में परिवाद भी दायर करने
के लिए स्वतंत्र होगा। यद्यपि यह व्यवस्था पहले भी थी, किन्तु अब इसमें
सजा का प्रावधान होने से दायर परिवाद पर तुरंत ही कार्यवाही की जाएगी। दोषी पाए
जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होगी जिसमें कम से कम तीन माह की जेल
और दस हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
दिखाया जाता है
सपना
प्रदेश भर सहित
सिवनी जिले में कॉलोनाईजर्स द्वारा लोगों को कॉलोनी या टाउनशिप के नाम पर सब्ज़बाग
दिखाए जाकर प्लाट बेच दिए जाते हैं। प्लाट के बिक जाने या उस पर मकान बन जाने के
उपरांत सरकार को, इसकी
अनदेखी मुश्किल ही होती है। मजबूरी में सरकार को इन्हें या तो नियमित करना होता है
या अन्य तरीके इजाद करने होते हैं। अभी तक महज छः माह की सजा या कुछ रूपयों के
अर्थदण्ड के चलते कॉलोनाईजर्स द्वारा प्लाट बेचकर अपना उल्लू सीधा कर लिया जाता
है।
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