बुधवार, 11 सितंबर 2013

वाटरशेड मिशन में हो रहा करोड़ों का घालमेल!

वाटरशेड मिशन में हो रहा करोड़ों का घालमेल!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले में वाटरशेड मिशन में करोड़ों रूपयों के घालमेल की चर्चाओं से फिजा पट गई है। जिला पंचायत के अधीन कार्यरत वाटरशेड मिशन में अनेक विसंगतियां प्रकाश में आ रही हैं, बावजूद इसके न तो जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ही इस मामले में कार्यवाही कर रहे हैं और न ही जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती प्रियंका दास की ही नजर इस पर पड़ सकी है।
जिला पंचायत के एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजंेसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि इस मिशन के तहत तैनात सचिवों का भुगतान किस मद से कितना किया जा रहा है, इस बारे में वाटरशेड मिशन पूरी तरह मौन है। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि हर गांव में इसका एक एक कार्यालय है जिसका किराया भी भारी भरकम निकाला जा रहा है। यह किराया कितना और किस मद से निकाला जा रहा है इस बारे में भी किसी को कुछ नहंीं पता है।
हर गांव के कार्यालय के लिए स्टेशनरी मद में भी भारी भरकम राशि के आहरण की खबर है। मिट्टी परीक्षण के लिए भी प्रति व्यक्ति कितनी राशि ली जाना निर्धारित है, इस बारे में भी कोई मुनादी या विज्ञप्ति अब तक समाचार पत्रों के माध्यम से जारी न किया जाना भी आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
बताया जाता है कि हर गांव में कार्यालय होने के बाद वहां कितनी बार बैठकों का अयोजन किया गया है, इस संबंध में भी किसी को कोई जानकारी नही है, न ही बैठक के समाचार ही जारी किए जा रहे हैं। किसानों के लिए बीज वितरण की व्यवस्था भी इसके माध्यम से किया जाना प्रस्तावित बताया जाता है, पर कहां कितना बीज वितरित किया गया है, और बीज कहां से कितना आया है, इस बारे में भी विभाग मौन ही है।
जिला परियोजना अधिकारी कार्यालय से कितने कामों की तकनीकि स्वीकृति जारी की गई है? अध्यक्ष एवं सचिव के प्रशिक्षण में कितनी राशि किस मद से खर्च की गई है? स्वसहायता समूहों के माध्यम से क्या काम करवाए गए हैं इस बारे में किसी को कोई भी जानकारी न होना, आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।

यह सब होते हुए भी जिले के सांसद विधायकों सहित जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत, नगर पंचायत या नगर पालिकाओं के प्रतिनिधियों को इसकी या तो जानकारी नहीं दी जाती है या फिर जानकारी दी जाती है तो वे किस दबाव में मौन साधे बैठे हैं यह बात भी शोध का विषय ही मानी जा सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं: