गुरुवार, 12 सितंबर 2013

समतल हो जाएगा बरगी बांध!

आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर . . . 14

समतल हो जाएगा बरगी बांध!

25 लाख टन राख जाएगी बरगी बांध के पानी में!

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में केंद्र की छठवीं अनुसूची में शामिल आदिवासी विकासखण्ड घंसौर के ग्राम बरेला में डाले जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट के कहर से अभी क्षेत्रीय नागरिक अनजान ही नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को अपने इशारों पर नचाने वाले संयंत्र प्रबंधन द्वारा नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ ही साथ पर्यावरण का जबर्दस्त नुकसान किए जाने की आशंकाएं जताई जा रही हैं।
देश की नामी गिरामी कंपनियों में अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से महज 100 किलोमीटर दूर आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में स्थापित किए जाने वाले पावर प्लांट से नर्मदा नदी पर बने रानी अवन्ती बाई सागर परियोजना (बरगी बांध) पर पानी के जबर्दस्त प्रदूषण का खतरा मण्डराने लगा है। गौरतलब है कि बरगी बांध में अथाह जलराशि समाहित है, जिससे जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, भोपाल, खण्डवा आदि जिलों के किसान न केवल खेती करते हैं वरन् मध्य प्रदेश की इस जीवन रेखा से अपनी प्यास भी बुझाते हैं।
कहा जा रहा है कि अगर इस संयंत्र ने काम आरंभ कर दिया तो इस प्लांट से उड़ने वाली राख से बरगी बांध की तलहटी में कुछ माहों के अन्दर ही ढेर सारी सिल्ट जमा हो जाएगी और पानी प्रदूषित होने की संभावना बलवती हो जाएगी। इससे आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर के निवासियों को श्वास की समस्याओं से दो चार भी होना पड़ सकता है। महज चंद सालों में ही इस संयंत्र से उड़ने वाली राख से बरगी बांध समतल मैदान में तब्दील हो जाएगा। इस पावर प्लांट के लिए आवश्यक जलापूर्ति बरगी बांध के सिवनी जिले के जल भराव क्षेत्र गड़ाघाट और पायली से की जाएगी।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो से मणिका सोनल ने केंद्रीय उर्जा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा कि प्रस्तावित संयन्त्र के दो चरणों में लगने वाले प्लांट द्वारा प्रतिदिन 1706 टन राख उत्सर्जित की जाएगी, जिसे बायलर के पास से ही एकत्र किया जा सकेगा। समस्या लगभग 1000 फिट उंची चिमनी से उड़ने वाली राख (फ्लाई एश) की है। इससे रोजना 6832 टन राख उड़कर आसपास के इलाकों में फैल जाएगी। 1000 फिट की उंचाई से उड़ने वाली राख कितने डाईमीटर में फैलेगी इस बात का अन्दाजा लगाने मात्र से सिहरन हो उठती है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने अपने प्रतिवेदन में हवा का रूख जिस ओर दर्शाया है, संयन्त्र से उस ओर बरगी बांध है।
जानकारों का कहना है कि 6832 टन राख प्रतिदिन उडे़गी जो साल भर में 24 लाख 93 हजार 680 टन हो जाएगी। अब इतनी मात्रा में अगर राख बरगी बांध के जल भराव क्षेत्र में जाएगी तो चन्द सालों में ही बरगी बांध का जल भराव क्षेत्र मुटठी भर ही बचेगा। यह उड़ने वाली राख आसपास के खेत और जलाशयों पर क्या कहर बरपाएगी इसका अन्दाजा लगाना बहुत ही दुष्कर है। इस बारे में पावर प्लांट की निर्माता कंपनी ने मौन साध रखा है।

इतना ही नहीं प्रतिदिन बायलर के पास एकत्र होने वाली 1706 टन राख जो प्रतिमाह में बढ़कर 52 हजार 886 टन और साल भर में 6 लाख 23 हजार टन हो जाएगी उसे कंपनी कहां रखेगी, या उसका परिवहन करेगी तो किस साधन से, इस बारे में भी झाबुआ पावर लिमिटेड ने चुप्पी ही साध रखी है। अगर राख को संयंत्र के आसपास ही डम्प कर रखा जाएगा तो वहां के खेतों की उर्वरक क्षमता प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी और अगर परिवहन किया जाता है तो घंसौर क्षेत्र की सड़कों के धुर्रे उड़ना स्वाभाविक ही है।

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