केवलारी के बारे
में हटा नहीं है कुहासा!
(मणिका सोनल/नन्द किशोर)
नई दिल्ली/भोपाल
(साई)। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले की केवलारी विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा ने
अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सालों से कांग्रेस की झोली में रहने वाली इस
विधानसभा सीट पर दोनों ही सियासी पार्टियां किसे मैदान में उतारेंगी, यह उहापोह आज भी
बरकरार ही है। कांग्रेस की ओर से हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह, कांग्रेस के
महामंत्री शक्ति सिंह, बसंत तिवारी तो भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री डॉ.ढाल सिंह
बिसेन, डॉ.सुनील
राय, डॉ.प्रमोद
राय, हरिसिंह
ठाकुर, नवनीत सिंह
आदि के नामों की चर्चाएं चल रही हैं।
आज़ादी के उपरांत
केवलारी विधानसभा सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही है। इस सीट पर
सुश्री विमला वर्मा और उसके उपरांत भाजपा की मुखर नेत्री (अब कांग्रेस सदस्य)
श्रीमति नेहा सिंह के उपरांत, हरवंश सिंह ठाकुर का इस सीट पर कब्जा रहा
है। कहा जाता है कि सियासी बाजीगर हरवंश सिंह ने भाजपा की कद्दावर नेत्री श्रीमति
नेहा सिंह को अपने जाल में फंसाया और उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलवाकर उनकी
वरिष्ठता को एकदम कम कर दिया। जब तक श्रीमति नेहा सिंह द्वारा हरवंश सिंह की
बाजीगरी को समझा जाता तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
कांग्रेस में आने
के उपरांत श्रीमति नेहा सिंह लगभग डेढ़ दशक से कांग्रेस की राजनीति में हाशिए पर ही
ढकेल दी गई हैं। कांग्रेस के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि जब भी श्रीमति
नेहा सिंह का नाम किसी लाभ वाले पद के लिए सामने आया है, या कांग्रेस की
टिकिट के लिए उनके नाम को आगे बढ़ाया गया है, उस समय यह कहकर उनका नाम पीछे ढकेला गया है
कि वे कांग्रेस में अभी जूनियर हैं।
कमी खलेगी हरवंश
सिंह की!
कांग्रेस और भाजपा
दोनों ही सियासी दलों में प्रदेश स्तर पर इस बार कांग्रेस के ‘मनराखनलाल‘ की छवि वाले
कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर की कमी जमकर खल रही है। प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ
नेता ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान
कहा कि हरवंश सिंह का सम्मान कांग्रेस से ज्यादा भाजपा में था। इसका कारण यह था कि
वे किसी के संज्ञान में लाए बिना ही सारे समीकरण साध लिया करते थे, चाहे वह भाजपा के
पक्ष में हों या कांग्रेस के पक्ष में।
उक्त नेता ने यहां
तक कहा कि शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ ‘डंपर कांड‘ को भले ही उस समय
भाजपा छोड़कर उमा भारती के साथ गए प्रहलाद सिंह पटेल ने उठाया हो, पर इस मामले के
पटाक्षेप में हरवंश सिंह ठाकुर की महती भूमिका रही है। कहा जाता है कि हरवंश सिंह
द्वारा ही तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्व.जमुना देवी को साधा और डंपर कांड में
शिवराज सिंह चौहान को क्लीन चिट मिली थी। भाजपा में चल रही चर्चाओं के अनुसार
हरवंश सिंह का यह अहसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शायद ही कभी भूल पाएं।
इन बातों में
सच्चाई कितनी है यह बात तो मुख्यमंत्री ही जानें किन्तु यह सच है कि कांग्रेस के
अंदर भी हरवंश सिंह की कमी बुरी तरह खल रही है। कांग्रेस में हरवंश सिंह का कद
अपने आप में जबर्दस्त बड़ा था। पीसीसी के एक पूर्व पदाधिकारी ने भी अपनी पहचान
उजागर न करने की ही शर्त पर कहा कि हरवंश सिंह के अंदर वो माद्दा था कि वे
कांग्रेस के सारे क्षत्रपों को साध लिया करते थे। इतना ही नहीं कांग्रेस के
क्षत्रप भी उनसे यह नहीं पूछ पाते थे कि आखिर क्या कारण है कि सिवनी की पांच
(परिसीमन के उपरांत चार) विधानसभाओं में सिर्फ उनकी विधानसभा (केवलारी) में ही
कांग्रेस का परचम लहराता है?
भाजपा मेें मचा है
जमकर घमासान
केवलारी विधानसभा
क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी में सबसे ज्यादा घमासान मचा हुआ है। भाजपा की ओर
से डॉ.ढाल सिंह बिसेन केवलारी से कमर कसे हुए हैं। वे पिछली बार भी केवलारी (उनका
विधान सभा क्षेत्र बरघाट, परिसीमन में आरक्षित हो गया है) से मैदान में उतरे थे, किन्तु हरवंश सिंह
के हाथों उन्हें पटखनी दे दी गई थी। इस बार भी डॉ.बिसेन की दावेदारी केवलारी से
सबसे प्रबल ही मानी जा रही है। इसके अलावा मुख्यमंत्री के नवरत्नों में से एक
दिलीप सूर्यवंशी के खासुलखास डॉ.सुनील राय भी केवलारी से हुंकार भर रहे हैं। उधर, युवा उम्मीदवार के
बतौर डॉ.प्रमोद राय,
हरिसिंह ठाकुर, नवनीत सिंह भी केवलारी से मैदान में आकर ताल
ठोकते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस में
वर्चस्व की जंग
उधर दूसरी ओर
कांग्रेस के अंदर वर्चस्व की जंग भी देखने को मिल रही है। कांग्रेस की ओर से
केवलारी विधानसभा के लिए हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह (क्षेत्र में चर्चा है कि
अगर टिकिट दी जाती है तो कांग्रेस में परिवारवाद के आरोप लगने आरंभ हो जाएंगे) के
अलावा एक अन्य महामंत्री कुंवर शक्ति सिंह, सालों से कांग्रेस का झंडा थामने वाले बसंत
तिवारी, के साथ ही
साथ क्षेत्र से भाजपा की विधायक रहीं श्रीमति नेहा सिंह जो अब कांग्रेस मेें आ
चुकी हैं, के नामों
पर चर्चा चल रही है।
कहा जा रहा है कि
अगर कांग्रेस महिलाओं को आगे लाने की हिमायती होने का दावा करती है तो सिवनी जिले
से श्रीमति नेहा सिंह को केवलारी से मैदान में उतारकर वह महिला कोटे की सीट यहां
दे सकती है। श्रीमति नेहा सिंह महिला होने के साथ ही साथ केवलारी के मतदाताओं के
लिए अपरिचित चेहरा नहीं हैं। सालों से कांग्रेस की सेवा करने वाले बसंत तिवारी का
दावा भी कांग्रेस की ओर से कम पुख्ता नहीं माना जा सकता है। कांग्रेस के अंदर
टिकिट वितरण में अभी ओहापोह मची ही हुई हैै।
एआईसीसी के उच्च
पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने स्तर पर
जमीनी सर्वे कराया हुआ है। भले ही कांग्रेस के प्रदेश के क्षत्रप, हरवंश सिंह के
पुत्र रजनीश सिंह को टिकिट देने का मन बना चुके हों, पर 12 तुगलक लेन (राहुल
गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों का कहना है कि राहुल के सर्वे में केवलारी से
रजनीश सिंह के जीतने की संभावनाएं कम ही हैं। वहीं दूसरी ओर, युवा तुर्क
ज्योतिरादित्य सिंधिया जिनका हरवंश सिंह से सीधा संपर्क कम ही था, भी रजनीश के पक्ष
में दिखाई नहीं पड़ रहे हैं।
सध रहे केवलारी के
समीकरण
राजधानी भोपाल में
कांग्रेस और भाजपा कार्यालयों में चल रही चर्चाओं के अनुसार, केवलारी में
कांग्रेस और भाजपा के बीच समीकरण साधे जा रहे हैं। एक ओर केवलारी से अगर रजनीश
सिंह को टिकिट दी जाती है तो भाजपा की ओर से कमजोर प्रत्याशी को मैदान में उतारकर
रजनीश सिंह को वाकोवर दिए जाने की चर्चाएं हैं, तो दूसरी ओर
केवलारी से भाजपा की ओर से डॉ.ढाल सिंह बिसेन का पत्ता काटने में सीएम शिवराज सिंह
चौहान के करीबी दिलीप सूर्यवंशी का जबर्दस्त प्रयास बताया जा रहा है।
डॉ.बिसेन को
केवलारी से सिवनी भेजने में दिलीप सूर्यवंशी प्रयास कर रहे बताए जा रहे हैं। दिलीप
सूर्यवंशी का प्रयास है कि उनके करीबी डॉ.सुनील राय (जो केवलारी के लिए अभी तक
अपरिचित चेहरा है) को टिकिट दे दी जाए। गौरतलब है कि सिवनी में फोरलेन के निर्माण
कार्य के दौरान सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के काम को दिलीप सूर्यवंशी के स्वामित्व
वाले दिलीप बिल्डकॉम द्वारा पेटी पर लिया गया था। उस वक्त ज्यारत नाके के पास
दिलीप बिल्डकॉम ने अपना कार्यालय भी स्थापित किया था।
बताते हैैं कि इस
काम को दिलवाने में कांग्रेस के किसी नेता की अहम भूमिका रही है। यद्यपि बाद में
छिंदवाड़ा में सद्भाव के काम को पेटी पर लेने पर कांग्रेेस के एक क्षत्रप के भड़क
जाने पर, कांग्रेस
के उक्त दिलीप सूर्यवंशी के सहयोग करने वाले नेता को अपने हाथ वापस खींचने पड़े थे।
इन सारे समीकरणों के हिसाब से देखा जाए तो दिलीप सूर्यवंशी के प्रयास कहीं न कहीं
रजनीश सिंह के पक्ष मंे, भाजपा के कमजोर प्रत्याशी को उतारने के ही प्रतीत हो रहे हैं।
निर्दलीय करेंगे
जीत हार का निर्णय
अभी विधानसभा चुनाव
के लिए गजट नोटिफिकेशन नहीं हुआ है। गजट नोटिफिकेशन के उपरांत प्रदेश में चुनावी
प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों
के निर्णय हो जाने के बाद मैदान में नाराज निर्दलियों का डेरा भी होगा। केवलारी
में निर्दलीय के बतौर कद्दावर नेताओं की फौज दिखाई दे रही है। कहा जा रहा है कि 2013 का चुनाव ‘करो या मरो‘ की तर्ज पर हर कोई
इसलिए लड़ना चाह रहा है क्योंकि वर्तमान में सिवनी में कांग्रेस और भाजपा को
कठपुतली के मानिंद नचाने वाला कोई नेता नहीं है। पांच सालों बाद क्या परिस्थिति
बनती है, इस बारे
में कुछ कहा नहीं जा सकता है, यही कारण है कि हर कोई अभी ही जोर आजमाईश कर
अपना भविष्य गढ़ने की फिराक में दिख रहा है।
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