अचार संहिता का
माखौल उड़ा रहे वाहनों के काले कांच
रस्म अदायगी के लिए
जब तब होती है कार्यवाही पर कब होगी सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की तामीली!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वाहनों के काले कांच या काली फिल्में पूरी तरह
प्रतिबंधित कर दी गई हैं। इस प्रतिबंध के परिपालन के लिए प्रदेश में यदा कदा
अभियान चलाया जाकर फिल्में उतरवाई गई हैं। आज जिले भर विशेषकर जिला मुख्यालय में
काले कांच वाले वाहन फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं। चुनाव के मौसम में काले कांच
वाले वाहनों के अंदर आपत्तिजनक सामग्रियों का परिवहन आसानी से किया जा सकता है इन
संभावनओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
ज्ञातव्य है कि
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देश भर में काले कांच वाले वाहनों से काली फिल्म
उतारने के लिए आदेश जारी किए गए थे। इसके परिपालन में सिवनी जिले में भी तत्कालीन
नगर निरीक्षक हरिओम शर्मा ने कुछ वाहनों के कांच से काली फिल्म निकलवा दी गई थी।
उस समय उनके स्वयं के वाहन से काली फिल्म उतारकर उनके द्वारा मीडिया की सुर्खियां
बटोरी थीं।
एक दो दिन चली
मुहिम के उपरांत मामला पूरी तरह ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया। उसके बाद न तो
यातायात पुलिस और न ही परिवहन विभाग ने कभी काले कांच वाले वाहनों की कोई खोज खबर
ली गई। आज काले कांच वाले वाहन जिले भर में फर्राटे भरते देखे जा सकते हैं।
बताया जाता है कि
युवाओं का प्रिय शगल बन चुके काले कांच वाले इन वाहनों को जिला मुख्यालय से पांच
से दस किलोमीटर के दायरे में सुनसान जगह पर दिन दहाड़े सड़क किनारे खड़े अजीबोगरीब
तरीके से हिलते भी देखा जा सकता है। बताया जाता है कि कुछ दिनों पूर्व पुलिस के एक
दल ने इसी तरह का एक वाहन पकड़ा जिसमें एक प्रेमी युगल आपत्तिजनक स्थिति में भी
मिला था। वह तो पुलिस कर्मियों की सहृदयता थी कि उन्होंने उक्त युगल के पालकों को
बुलाकर वस्तु स्थिति के बारे में बताकर बच्चों को संभालने हेतु ताकीद किया था।
काले कांच वाले
वाहन शाम ढलते ही बियर बार में भी तब्दील हो जाते हैं। सड़कों किनारे युवा इन काले
कांच वाले चार पहिया वाहनों में जाम टकराते भी दिख जाते हैं। गत दिवस पुलिस के एक
अधिकारी के सामने ही नशे में धुत्त युवाओं द्वारा तेज रफ्तार में वाहन दौड़ाते देखा
गया था।
इस संबंध में सबसे
दुखद पहलू यह है कि सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के परिपालन में
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कार्यालय द्वारा कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है। वस्तुतः
काली फिल्म को निषिद्ध किए जाने पर आरटीओ द्वारा कार्यवाही किया जाना चाहिए था।
चुनाव की बेला में
काले कांच वाले वाहनों के अंदर आपत्तिजनक सामग्री का परिवहन बेहद आसानी से किया जा
सकता है। काले कांच वाले वाहनों में हथियार, शराब जैसी चीजों को असानी से पुलिस की आंखों
में धूल झोंककर एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाया जा सकता है। बताया जाता है कि
चुनावी गोदे (अखाड़े) में उतरने वाले कुछ प्रत्याशियों द्वारा क्षेत्र में अवैध
शराब का भण्डारण इस तरह के काले कांच वाले वाहनों से किया जा रहा है।
सिवनी में राजनैतिक
दलों से जुड़े लोगों विशेषकर प्रत्याशी, संभावित प्रत्याशियों के विलासिता वाले
वाहनों के शीशों में काली फिल्म लगी साफ दिखाई दे जाती है जो सर्वोच्च न्यायालय के
नियमों को खुलेआम धता बता रही है। सियासी दलों के कार्यकर्ताओं के बीच चल रही
चर्चाओं के अनुसार काली फिल्म वाले वाहन में चलना सियासी दलों के लोगों के लिए
स्टेटस सिंबल बन चुका है। कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि राजनैतिक दलों के बड़े
नेताओं के रसूख के आगे पुलिस और परिवहन विभाग के कारिंदे भी अपने आप को बौना ही
महसूस कर रहे हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी से अपेक्षा व्यक्त की जाती है कि काले
कांच वाले वाहनों से काली फिल्म उतरवाई जाए।
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