भूमाफियाओं के निशाने पर सरकारी जमीन
(शरद खरे)
सिवनी जिले में पिछले दो-ढाई दशकों से भूमाफिया जमकर सक्रिय नजर आ रहे
हैं। नब्बे के दशक के उपरांत महानगरों के लोगों की नजरें सिवनी पर इनायत हुईं।
सिवनी की जमीनों के दाम आसमान छूने लगे। पता नहीं क्यों दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों के लोगों को सिवनी की जमीनें भाईं और
जमीनों की खरीद फरोख्त तेज हुई। सिवनी में पंजीयक कार्यालय की भूमिका पर भी
सवालिया निशान लगे। सिवनी के पंजीयक कार्यालय में अग्निकांड भी हुआ, यहां का रिकॉर्ड भी चोरी हो गया। जिला कलेक्टर कार्यालय और
न्यायालय के बीच स्थित उप पंजीयक कार्यालय में आग लगने की घटना अपने-आप में
चौंकाने वाली ही कही जा सकती है।
बहरहाल, पिछले कुछ समय से भूमाफियाओं की
नजरें सरकारी जमीनों पर गड़ी हुई हैं। भूमाफियाओं के हौसले संबंधित विभागों के
अधिकारियों और कर्मचारियों की जुगलबंदी से उड़ान भर रहे हैं। आलम यह है कि जिला
मुख्यालय में ही बारापत्थर क्षेत्र में होण्डा शो रूम के पीछे नाले पर ही बेजा
कब्जा हो गया है। बीते साल बारिश में इस अवरोध के कारण एकता कॉलोनी के अनेक घरों
में पानी भर गया था। शहर के प्रथम नागरिक राजेश त्रिवेदी स्वयं मौके का मुआयना
करने गए थे। फायर बिग्रेड और मोटर लगाकर पानी निकाला गया। उस समय आश्चर्य तो इस
बात पर हुआ, जब नगर पालिका अध्यक्ष ने स्वयं इस
बात को स्वीकार किया था कि नाले पर होण्डा एजेंसी के पीछे हुए अतिक्रमण के कारण
पानी का बहाव अवरूद्ध होने से घरों में पानी भरा। स्वयं नगर पालिका अध्यक्ष के
द्वारा मौके पर जाकर देखने के बाद भी आज तक इस अतिक्रमण को तोड़ा नहीं जा सका है।
हाल ही में छपारा में बजाज एजेंसी के मालिक द्वारा सरकारी भूमि (खसरा नंबर
306/2) पर कब्जा किए जाने की बात प्रकाश में आई है। एजेंसी मालिक पर
आरोप है कि उनके द्वारा बिजली विभाग के कार्यालय की फेंसिंग आदि तोड़कर वहां निजी
भूमि के मानिंद काम करवाया जा रहा है। सरकारी भूमि पर ही मकान बनवाने का सामान
बिखरा पड़ा है। फेंसिंग तोड़कर वहां बोरिंग करवाई जा रही है। यह सब मीडिया की सुर्खी
बना पर राजस्व विभाग, ग्राम पंचायत
सहित खुद बिजली विभाग के अधिकारी कैसे इस मामले में मौन साधे बैठे हैं?
इस तरह के एक नहीं अनेक मामले आज भी सिवनी की फिजां में तैर रहे हैं।
मुख्य मार्ग पर जहां नाली नाले पर पालिका द्वारा पुल पुलिया बना ली गई हैं, वहां भी निजी प्लाट से लगी नाले की सतह पर दरवाजे लगाने के
बजाए लोगों ने सड़क किनारे वाली सतह पर दरवाजे लगाकर पुल-पुलिया को भी अपनी निजी
संपत्ति में शामिल कर लिया है। यह सब हो रहा है, और नगर पालिका परिषद हाथ पर हाथ रखे ही बैठी है।
लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, अतः प्रशासन, विशेषकर राजस्व विभाग के कर्मचारी-अधिकारियों की व्यस्तता को
समझा जा सकता है, किन्तु फिर भी संवेदनशील जिला
कलेक्टर भरत यादव से जनापेक्षा है कि सुरसा की तरह मुंह फाड़ने वाले अतिक्रमण को
नेस्तनाबूत करने के लिए संबंधित विभागों को ताकीद अवश्य करें।
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