मंगलवार, 11 जनवरी 2011

अविनाश वाचास्‍पति और गिरीश बिल्‍लोरे को सलाम

हिन्‍दी ब्‍लॉंगिंग का एक नया कीर्तिमान अविनाश वाचस्‍पति और गिरीश बिल्‍लौरे मुकुल के नाम



रविवार 9 जनवरी 2011 का दिन हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के सम्‍मेलनीय इतिहास में स्‍वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। इस दिन खटीमा (उत्‍तराखंड) में हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के सम्‍मेलन का जीवंत प्रसारण इंटरनेट के जरिए पूरे विश्‍व में सफलतापूर्वक विभिन्न एग्रीगेटर्स, खासकर ब्लॉगप्रहरी (दिल्ली), सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक,ट्विटर, गूगल-बज्ज आदि के जरिये किया गया।

हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के सम्‍मेलनीय स्‍वरूप को चहुं ओर इसकी सकारात्‍मकता के साथ प्रवाहित करने वाले चर्चित ब्‍लॉग नुक्‍कड़ के मॉडरेटर और ब्‍लॉगर, साहित्‍यकार, व्‍यंग्‍यकार अविनाश वाचस्‍पति ने जबलपुर के मशहूर ब्‍लॉगर गिरीश बिल्‍लौरे ‘मुकुल’ के साथ मिलकर इन पलों को पूरे विश्‍व में प्रसारित करके ऐतिहासिक बना दिया है। इससे साबित होता है कि धुन के धनी जब चाहते हैं तो प्रत्‍येक परिस्थिति को अपने अनुकूल बना नेक कार्यों को सर्वोत्‍तम अंजाम तक पहुंचा देते हैं।

इस अवसर पर साहित्‍य शारदा मंच के तत्‍वावधान में उत्‍तराखंड स्थित खटीमा के ब्‍लॉगर, कवि डॉ. रूपचन्‍द्र शास्‍त्री ‘मयंक’ की दो पुस्‍तकें सुख का सूरज और नन्‍हे सुमन का लोकार्पण डॉ. इन्द्रराम, सेवानिवृत्‍त प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर के कर कमलों द्वारा किया गया । अविनाश वाचस्‍पति जी इस समारोह के मुख्‍य अतिथि रहे। एक साथ कई पायदानों पर सफलतापूर्वक सफर करने वाले अविनाश वाचस्‍पति और गिरीश बिल्‍लौरे के इस कारनामे को, हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग विधा के चितेरे करोड़ों दर्शकों ने लगातार 6 घंटे तक इस जीवंत प्रसारण का भरपूर आनंद लिया और इसके साक्षी बने।

इस संबंध में यह भी उल्‍लेखनीय है कि इस जीवंत प्रसारण को अब भी http://bambuser.com/channel/girishbillore/broadcast/1313259 पर देखा और सुना जा रहा है। इसे टीम वर्क का अन्‍यतम उदाहरण बतलाते हुए अविनाश वाचस्‍पति ने इसका श्रेय जबलपुर के गिरीश बिल्‍लौरे, दिल्‍ली के पद्मसिंह के उनमें अपने प्रति विश्‍वास के नाम करते हुए कहा है कि इस सजीव प्रसारण से हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के शिखर पर पहुंचने के प्रयासों में अभूतपूर्व तेजी देखने में आएगी।

इस अवसर पर खटीमा में मौजूद रहे, प्रख्‍यात हिदी ब्‍लॉगर लखनऊ के रवींद्र प्रभात (परिकल्‍पना) , दिल्‍ली के पवन चंदन (चौखट) , राजीव तनेजा (हंसते रहो) , धर्मशाला के केवलराम (चलते चलते), बाराबंकी के रणधीर सिंह सुमन (लोकसंघर्ष) , खटीमा के रावेन्‍द्र कुमार रवि, डॉ. सिद्धेश्‍वर सिंह और आसपास के क्षेत्रों यथा बरेली, पीलीभीत, हल्‍द्वानी इत्‍यादि के साहित्‍यकार, कवि, प्रोफेसरों और हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत के प्रेमियों सोहन लाल मधुप, बेतिया से मनोज कुमार पाण्डेय (मंगलायतन) ,शिवशंकर यजुर्वेदी, किच्छा से नबी अहमद मंसूरी, लालकुऑ (नैनीताल) से श्रीमती आशा शैली हिमांचली, आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट, रामनगर (नैनीताल) से सगीर अशरफ, जमीला सगीर, टनकपुर से रामदेव आर्य, चक्रधरपति त्रिपाठी, पीलीभीत से श्री देवदत्त प्रसून, अविनाश मिश्र, डॉ. अशोक शर्मा, लखीमपुर खीरी से डॉ. सुनील दत्त, बाराबंकी से अब्दुल मुईद, पन्तनगर से लालबुटी प्रजापति, सतीश चन्द्र, मेढ़ाईलाल, रंगलाल प्रजापति, नानकमता से जवाहर लाल, सरदार स्वर्ण सिंह, खटीमा से सतपाल बत्रा, पी. एन. सक्सेना, डॉ. गंगाधर राय, सतीश चन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार टण्डन आदि उल्‍लेखनीय हैं।

कार्यक्रम का संचालन श्री रावेन्द्र कुमार रवि द्वारा किया गया।

3 टिप्‍पणियां:

Girish Kumar Billore ने कहा…

Vinamr
aabhaar

Gautam RK ने कहा…

Hamen Khushi hai sir. Gireesh Ji Aur Avinash Ji Ko Dheron Shubhkamnayen...




"RAM"

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

गिरीश जी और अविनाश जी को हार्दिक बधाई।