कहां जलेगा जहरीला कचरा!
जलाने के मसले पर नागपुर ने किए हाथ खड़े
केंद्र के जिम्मे फिर गई भोपाल के विषैले कचरे का मसला
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। 1984 में हुए सदी की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के विषैले अपशिष्ट को नष्ट करने के मामले में 27 साल बाद भी सरकार कोई निर्णय नहीं कर पाई है। न्यायालय के हस्ताक्षेप के बाद भी मामला अब तक नहीं सुलट सका है। यूनियन कार्बाइड के विषैले कचरे को महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर के डीआरडीओ लैब में इसे जलाने के मामले में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के दो टूक इंकार के बाद मामला और गंभीर हो गया है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पूर्व में इसका छोटा सा भाग नागपुर में जलाने के लिए प्रयास किए गए थे ताकि पर्यावरण पर इसके प्रभावों के बारे में पता लगाया जा सके। बाद में डीआरडीओ नागपुर ने तकनीकि आधार पर हाथ खड़े कर दिए हैं। सूत्रों ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में यह व्यवस्था दी गई है कि अब केंद्र सरकार ही कारखाने के परिसर से इस कचरे को का सेंपल लेकर इसे जलाने का प्रबंध करे और इससे उत्सर्जित होने वाली गैसों का परीक्षण कर तीन सप्ताह में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करे।
कहा जा रहा है कि कचरे को जलाने भर से समस्या हल नहीं होने वाली। कचरे को जलाने के उपरांत बचने वाले अवशेषों पर अध्ययन भी किया जाना प्रस्तावित है। विडम्बना ही कही जाएगी कि गैस त्रासदी के 27 सालों बाद भी मानव जीवन पर इस विषैले अपशिष्ट का क्या प्रभाव पड़ रहा है इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार ने अब तक संज्ञान नहीं लिया है।
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