रविवार, 25 सितंबर 2011

किसके लिए काम कर रहा है एमपी सूचना केंद्र


किसके लिए काम कर रहा है एमपी सूचना केंद्र

निजी कार्यक्रमों को प्रमोट करता जनसंपर्क विभाग

कहीं रस्म अदायगी के लिए तो नहीं सख्ती दिखा रहे सीपीआर
मध्य प्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त राकेश श्रीवास्तव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मंहगे व्यवसायिक इलाके में स्थापित मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग का सूचना केंद्र अपने आला अधिकारियों के दिशा निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए इन दिनों भारतीय जनता पार्टी और निजी तौर पर लोगों के कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार का काम करने में लगा हुआ है। इसके पीछे आला अफसरान की मंशा क्या है यह तो वे ही जाने किन्तु मीडिया जगत में इसको लेकर प्रतिक्रिया बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है।

पिछले दिनों सूचना केंद्र द्वारा जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी के परिजन की प्रदर्शनी, फिर हिन्दी के प्रमोशन पर पुरूस्कृत हुए तीन में से महज एक ही प्रतिभागी के नाम से खबर और फोटो जारी की। भारतीय जनता पार्टी के नीतिगत मामलों एवं राजनैतिक कार्यक्रमों के बारे में भी सूचना केंद्र द्वारा प्रचार प्रसार के लिए बढ़ चढ़ कर भागीदारी अदा किया जाना आश्चर्यजनक है।

हाल ही में भोपाल के एक कलाकार की पेंटिंग प्रदर्शनी के प्रचार प्रसार का काम भी मध्य प्रदेश सूचना केंद्र द्वारा बखूबी किया गया। सूचना केंद्र द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार भोपाल की कलाकार डा. चारु कुमार की पेंटिंग की प्रदर्शनी नई दिल्ली स्थिति ललित कला अकादमी में आयोजित की गयी है। प्रदर्शनी का उद्घाटन गृह मंत्रालय के सेवानिवृत्त सचिव एस. लक्ष्मीनारायनन ने 22 सितम्बर को रवीन्द्र भवन में किया। यह प्रदर्शनी 28 सितम्बर तक दर्शकों के लिए उपलब्ध रहेगी। डा. चारु कुमार की प्रदर्शनी ’’कल्पना की उड़ान’’ में उन्होंने एक्रेलिक रंगों का खूबसूरती से उपयोग किया है। उनके चित्रों में नेपथ्य, द्वैत और स्वपनिल उड़ान विशेष चर्चित हैं। इन चित्रों में मानवीय संवेदनाओं और अनुभवों के दर्शन होते हैं।

एक तरफ तो भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और मध्य प्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त राकेश श्रीवास्तव द्वारा कड़े निर्देश जारी किए गए हैं कि जनसंपर्क विभाग द्वारा किसी भी निजी अथवा राजनैतिक कार्यक्रम का प्रचार प्रसार न किया जाए किन्तु दूसरी ओर दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के सूचना केंद्र द्वारा बारंबार बेखौफ होकर इस तरह के कृत्य करने से सीपीआर राकेश श्रीवास्तव के निर्देशों पर भी संशय होने लगता है। सूचना केंद्र में चल रही चर्चाओं के अनुसार सीपीआर का सख्त होना एक तरह से दिखावा ही है।

कोई टिप्पणी नहीं: