बुधवार, 16 नवंबर 2011

चहुंओर त्रस्त हैं आईडिया के उपभोक्ता


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  24

चहुंओर त्रस्त हैं आईडिया के उपभोक्ता

हर सेवा में उपभोक्ताओं को लूटने का आईडिया

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के मशहूर उद्योगपति आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली आईडिया सेल्यूलर कंपनी अपने उपभोक्ताओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर ही है। एक समय में एकाधिकार करने वाले क्षेत्रीय मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों को खरीदकर आईडिया में तब्दील करने के बाद इस कंपनी ने उपभोक्ताओं की जेब हल्का करने के नए नए प्रयोग आरंभ किए हैं।

राजधानी के हजारो मोबाईल उपभोक्ता जो आईडिया सेल्लुलर कंपनी की सर्विसेस से आजकल बुरी तरह से परेशान है, जिनकी कही सुनवाई नही है। प्रीपेड उपभोक्ताओ के पैसे कही ये कम्पनी मेसेज के नाम तो कही रिंग टोन के नाम पर तो कही इन्टरनेट ब्राउसिंग के नाम पर हड़प रही है। वही दूसरी और जो उपभोक्ता पोस्ट पैड है जिन्होंने मिनिमम मासिक प्लान पर आईडिया का पोस्ट पैड प्लान लिया हुआ है उन उपभोक्ताओ को भी भारीभरकम बिल थमा कर आईडिया चूना लगा रहा।

जब इस तरह की शिकायत को लेकर ग्राहक आईडिया के आउट लेट पर जाते है तो वहा बैठे कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव द्वारा उपभोक्क्ताओं को उनकी तकलीफों को तुरंत हल करने के बजाये कंपनी के मुख्यालय मेसेज भेज कर ग्राहक को चलता कर देते है। जिलों में आईडिया प्वाईंट्स पर उपभोक्ताओं की सुनवाई भी नहीं हो पा रही है। जब आईडिया प्वाईंट पर ग्राहक जाता है तो उसे पोस्ट पेड या प्री पेड के चक्कर में ही उलझा दिया जाता है।

दस दस बार उपभोक्ता इन आउटलेट पर चक्कर लगाता रहता है मगर कोई सुनवाई नही होती। आईडिया की ग्राहक सेवा पर भी कोई शिकायत दर्ज करने के लिए अगर फोन लगाया जाता है तो पहले उससे बिना बात के दस विज्ञापन झेलने पड़ते है तब जाकर कंपनी का कोई पकाऊ बंदा फ़ोन अटैंड करता है। इन सब प्रक्रियाओ से ग्राहक को हर तो चार दिन में एक बार सामना करना पड़ता है मगर फिर भी समस्या जस की तस रहती है आईडिया के इस चूना लगाने की योजना ने ग्राहक को परेशानी में डाल रखा है लगता है जब तक कोई ग्राहक अपनी परेशानी के लिए अदालत की शरण में नही जायेगा तब तक शायद आईडिया ग्राहकों को चूना लगाने से बाज़ आने वाला नही।

(क्रमशः जारी)

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