बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 28
चुनावों के मद्देनजर पेट्रोल की घटी कीमतें
इस मसले पर सैट विपक्ष का हो सकता है मुंह बंद
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर खासा दबाव बनाया और अंततः सरकार को पेट्रोल के बढ़े हुए दामों में कुछ कमी करनी ही पड़ी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम घटे नहीं पर देश में पेट्रोल की कीमतें कम कर दी गईं। विपक्ष के हाथ यह नायाब मुद्दा लग तो चुका है पर कांग्रेस के इशारों पर चलने वाले विपक्ष से इस मामले में उम्मीद करना बेमानी ही होगा।
सरकार ने पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रण से मुक्त ही बताया हुआ है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के मूल्य बढ़ते ही सरकार की नवरत्न कंपनियों में शुमार तेल कंपनियां भी पेट्रोल की कीमतें बढ़ा देती हैं। पेट्रोल की कीमतें बढ़ने से देश में हाहाकर मच जाता है। सरकार सफाई देती है कि उसने तो कीमतों को नियंत्रण से मुक्त रखा हुआ है।
मंगलवार और बुधवार की दर्मयानी रात से पेट्रोल की कीमतों में कमी की गई है। विपक्ष चाहे तो इस मामले को भुना सकती है। विपक्ष संसद के सत्र में सरकार को इस मामले में घेर सकती है और पूछ सकती है कि आखिर क्या वजह है कि पेट्रोल की कीमतों में कमी की गई है। उधर कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के आला नेता अंततः कांग्रेस के ‘पे रोल‘ पर ही हैं, अतः इस मामले में वे चुप्पी ही साधे रहेंगे।
(क्रमशः जारी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें