बुधवार, 16 नवंबर 2011

लोकायुक्त कराएंगे शिवराज की किरकिरी


लोकायुक्त कराएंगे शिवराज की किरकिरी

सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई है पेंडिंग

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस भले ही मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के इशारों पर मुजरा कर रही हो पर लोकायुक्त के मामले में शिवराज सिंह चौहान घिर चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले में सुनवाई होना अभी बाकी है, इन परिस्थितियों में लोकायुक्त पी.पी.नावलेकर को अगर त्यागपत्र देना पड़ा तो शिवराज सिंह चौहान की बुरी तरह किरकिरी होने से कोई नहीं बचा सकता है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी इस मामले में अब दिलचस्पी लेने लगे हैं।

लोकायुक्त के मामले में मध्य प्रदेश का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। जस्टिस नावलेकर तीसरे लोकायुक्त हैं जिन पर आरोप लगे हैं। इसके पूर्व अस्सी के दशक में समाजवादी नेता रघु ठाकुर ने तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस पी.के. तारे पर तत्कालीन निजाम कुंवर अर्जनसिंह की कठपुतली बनने का आरोप लगाया था।

प्रदेश में दस साल लगातार शासन करने वाले राजा दिग्विजय सिंह के मुख्य मंत्रित्व काल में लोकायुक्त नियुक्त हुए जस्टिस रिपुसूदन दयाल को लेकर काफी विवाद रहा। जस्टिस दयाल पर आरोप लगे कि उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग करके भोपाल में स्वयं, पत्नि एवं अपने पुत्रों के नाम पर मप्र गृह निर्माण मंडल से तीन आवास आवंटित कराए हैं। इनमें से दो आवास रिवेयरा टाउन में और एक बाग मुगालिया में है।

तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस दयाल एवं मप्र के मुख्य सूचना आयुक्त पी.पी. तिवारी के बीच भी हुआ विवाद भी भोपाल के महारणा प्रताप नगर के थाने तक पहुंच गए थे। आरोप है कि जस्टिस दयाल ने सूचना के अधिकार के तहत एक मामले में पीपी तिवारी को उनके खिलाफ फैसला देने से रोकने का प्रयास किया था। इसके लिए जस्टिस दयाल तिवारी के घर पहुंचे थे और तिवारी ने इस सब का उल्लेख अपने फैसले की आर्डरशीट में भी लिखा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को डंपर मामले में क्लीन चिट देने वाले जस्टिस नावलेकर तब सुर्खियों में आए जब उनके व्यवसायी पुत्र संदीप नावलेकर ने मुख्यमंत्री के साथ चीन की यात्रा की। इससे जाने अनजाने में यह संकेत गया कि डम्पर मामले में क्लीन चिट मिलने के कारण ही मुख्यमंत्री चौहान लोकायुक्त के पुत्र संदीप को चीन यात्रा पर लेकर गए थे।

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