सोमवार, 12 दिसंबर 2011

शर्मा, बनर्जी की नजदीकी खल रही है त्रिवेदी को


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 51

शर्मा, बनर्जी की नजदीकी खल रही है त्रिवेदी को

उद्योगपति मंत्री के कहने पर हुए रेल मंत्री शांत



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमति ममता बनर्जी और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा की नजदीकी देखकर त्रणमूल के एक वरिष्ठ सांसद के पेट में मरोड़ उठना आरंभ हो गया है। अब आनंद शर्मा पर सीधा विदेश निवेश यानी एफडीआई के मामले में भरमाने के आरोप लगने लगे हैं। गुरूवार को संपन्न हुई मंत्रीमण्डल की बैठक में रेलमंत्री दिनेश त्रिवदी ने प्रधानमंत्री की उपस्थिति में न केवल का बहिष्कार किया वरन् एफडीआई पर अपनी पार्टी का पुराजोर विरोध भी दर्ज करवाया।

पीएमओ के सूत्रों ने बताया कि कैबनेट बैठक में उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री को बताया कि एफडीआई के मसले पर उन्होंने उड़ीसा के निजाम नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से चर्चा कर उन्हें राजी कर लिया है। उन्होंने कहा कि बैठक के कुछ घंटे पूर्व ही प्रगति मैदान में उनकी और ममता बनर्जी की चर्चा के दौरान सुश्री बनर्जी ने इस मसले पर कांग्रेस को समर्थन का भरोसा जतलाया था।

सूत्रों ने कहा कि जैसे ही आनंद शर्मा ने यह बात कही वैसे ही रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी आपा खो बैठे और हत्थे से उखड़ते हुए कहने लगे कि आप एसा कैसे कह सकते हैं। वे इस कैबनेट में सुश्री ममता बनर्जी के निर्देश पर एफडीआई के विरोध के लिए विशेष तौर पर हाजिर हुए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी फाईलें समेटी और बैठक छोड़कर बाहर आ गए। बाद में मूलतः उद्योगपति जनसेवक मंत्री कमल नाथ ने दिनेश त्रिवेदी को समझा बुझाकर वापस कैबनेट में लाया गया।

सूत्रों ने आगे कहा कि एफडीआई के मसले पर वैसे भी मंत्रीमण्डल दो भागों में बंटा नजर आ रहा था। एफडीआई के समर्थन में वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह, पलनिअप्पम चिदंबरम, प्रणव मुखर्जी, शरद पवार, कमल नाथ, सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल, विलास राव देशमुख, आनंद शर्मा आदि थे तो इसका विरोध करने वालों में ए.के.अंटोनी, जयराम रमेश, दिनेश त्रिवेदी, के.वी.थामस जैसे चेहरे थे।

सूत्रों की मानें तो एफडीआई के मसले पर कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की कैबनेट की बैठक बाद में उत्तर प्रदेश चुनाव पर केंद्रित दिखी जब जयराम रमेश ने यह कहा कि अगर एफडीआई लागू किया जाता है तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस चारों खाने चित्त गिर जाएगी। इसके बाद मामला एफडीआई से हटकर यूपी चुनाव पर आकर टिक गया। शरद पंवार तो यहां तक बोल गए कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का वजूद ही कहां रह गया है। एक मंत्री ने तो दबी जुबान से चुटकी लेते हुए यह तक कह डाला कि कांग्रेस (आनंद शर्मा), और त्रणमूल कांग्रेस (ममता बनर्जी) के बीच सहमति बनना दिनेश त्रिवेदी को खल रहा है।

(क्रमशः जारी)

कोई टिप्पणी नहीं: