हड़ताल से मरीजों की हालत बिगड़ी
(एस.के.मीणा)
जयपुर (साई)। राजस्थान में हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार ने दो मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी तथा दस प्रधान चिकित्सा अधिकारियों को राजस्थान आवश्यक सेवा अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में बर्खास्त कर दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कल रात उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया। साढ़े छह हजार हड़ताली डॉक्टरों में से ग्यारह सौ ८४ अपने काम पर लौट आए हैं। डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त होने के कोई संकेत नहीं है।
राजस्थान के लोग अब बेसब्री से हड़ताल के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि सरकार द्वारा किए गए वैकल्पिक इंतजाम के बावजूद अस्पताल मरीजों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में स्थिति ज्यादा खराब है। एक-दो डॉक्टरों के भरोसे चल रहे अस्पतालों में चिकित्सा सेवा नहीं मिल पाने के कारण मरीज महंगे निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हो रहे हैं। जयपुर में कुछ निजी अस्पतालों द्वारा एक हजार ७२० बिस्तर गरीबों के लिए आरक्षित किए जाने से थोड़ी राहत मिलने की संभावना है।
राज्यसरकार द्वारा हड़ताल से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के फलस्वरुप, सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं में सुधार देखा जा रहा है। सेना, सीमा सुरक्षा बल, रेलवे और ईएसआई के डॉक्टरो के साथ ही मेडिकल छात्र आज भी कई अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे है, जिसकी वजह से मरीजों की परेशानी थोडी कम हुई है।
जोधपुर से ‘साई संवाददाताः के अनुसार महात्मा गांधी अस्पताल और उम्मेद अस्पताल में पांच चिकित्सा अधिकारियों ने हडताल छोडकर कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस बीच राज्य में अब तक 1184 डाक्टर हडताल से वापस लौट आये हैं। वहीं रेजीडेन्ट चिकित्सक अभी भी हडताल पर चल रहे हैं। वैकल्पिक इन्तजामों के लिए कुछ निजी अस्पतलों की मदद ली गई है।
उधर, सेना ने भी बीकानेर और अलवर, के सैन्य अस्पतालो में मरीजो को मुफ्त चिकित्सा की सहुलियत दी है। बीकानेर से ‘साई संवाददाता‘ ने खबर दी है कि पी.बी.एम. अस्पताल में 159 डाक्टर 2 अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वही सरकार ने कुछ और निजी चिकित्सालयो को वैकल्पिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अधिकृत किया है।
इस बीच राज्य सरकार ने डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सोमवार तक एक हजार नए डॉक्टर भर्ती करने का निर्णय लिया है। सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए अब तक चालीस चिकित्सकों को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा तीन सौ साठ डॉक्टरों को रेस्मा के तहत गिरफ्तार किया गया है। डॉक्टरो की हडताल से मरीजो को होने वाली परेशानी को देखते हुए विभिन्न सामाजिक संगठन भी हडताल के खिलाफ खडे होने लगे है।
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