0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 18
महाकौशल के विधायकों पर बनाना होगा जनता को दबाव!
विधानसभा में पारित करवाना होगा संकल्प
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। महाकौशल प्रांत के नागरिक अगर चाहते हैं कि वे प्रथक छोटे प्रांत के निवासी बनकर विकास के मार्ग प्रशस्त करें तो इसके लिए यह आवश्यक होगा कि नागरिक मिलकर अपने अपने विधायकों पर इस बात का दबाव बनाएं कि प्रथक महाकौशल के लिए विधानसभा में संकल्प पाति करवाया जाए। महज धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन से प्रथक महाकौशल की राह नहीं निकाली जा सकती है।
आजादी के उपरांत महाकौशल का एक बड़ा हिस्सा सेंट्रल प्रिवेंसेस एण्ड बरार (सीपी एण्ड बरार) का हिस्सा रहा है। उमर दराज हो चुकी पीढ़ी आज भी सरकारी बसों को सीपीटीएस की बसें ही कहा करते हैं। गौरतलब है कि उस वक्त यात्री बसों का संचालन सेंट्रल प्रोवेन्सेस ट्रांसपोर्ट सर्विस द्वारा किया जाता था। 01 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश की स्थापना के बाद मध्य प्रदेश में राज्य परिवहन का गठन किया गया था।
महाकौशल प्रांत के गठन के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सहित अनेक संगठन अपने अपने स्तर पर प्रयासरत हैं। इसके लिए वे धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन आदि का सहारा ले रहे हैं। प्रथक महाकौशल का सपना तभी साकार हो सकता है जब इसके लिए महाकौशल प्रांत में आने वाले जिलों के विधायकों पर इस बात का दबाव बनाया जाए कि वे विधानसभा में इस बात को पुरजोर तरीके से उठाकर एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भिजवाएं।
इसके लिए महाकौशल प्रांत के समस्त राजनैतिक दलों के लिए यह जरूरी है कि वे दलगत भावना से उपर उठकर प्रथक महाकौशल प्रांत के लिए अपने अपने दलों के विधायकों को इसके लिए राजी करें कि प्रथक महाकौशल की बात मध्य प्रदेश विधानसभा में उठाई जाए, एवं ध्वनिमत से इसे पारित करवाकर इसका एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भिजवाया जाए।
वर्तमान में यह बात इसलिए भी आसान प्रतीत हो रही है क्योंकि मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी जबलपुर तो उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर सिवनी जिले के विधायक हैं, जो महाकौशल प्रांत का अभिन्न अंग माने जा रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा के इन दोनों ही कद्दावर नेताओं के लिए यह बहुत दुष्कर काम नहीं है कि मध्य प्रदेश विधानसभा से प्रथक महाकौशल की बात को केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाए।
जब यह प्रस्ताव केंद्र को जाएगा, तब आरंभ होगी महाकौशल के सांसदों की भूमिका। महाकौशल के क्षत्रपों की केंद्रीय राजनीति में गहरी दखल जगजाहिर है। महाकौशल के उर्जावान सांसदों में कमल नाथ, राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह, गणेश सिंह आदि के कद को कमतर नहीं आंका जा सकता है। इसके साथ ही साथ पूर्व सांसद प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, रामेश्वर नीखरा भी इसी माटी को कर्मभूमि बनाए हुए हैं। इन सभी के संयुक्त प्रयासों से महाकौशल प्रांत का सपना साकार हो सकता है। इसके लिए इन सभी के समर्थकों को अपने अपने नेताओं को इस पुनीत कार्य के लिए राजी करना अत्यावश्यक ही प्रतीत हो रहा है।
(क्रमशः जारी)
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