बुधवार, 11 जनवरी 2012

सामाजिक जिम्मेदारी का नहीं हो रहा निर्वहन


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  49

सामाजिक जिम्मेदारी का नहीं हो रहा निर्वहन

प्रशासन की आंाखों में धूल झोंक रहा झाबुआ पावर लिमिटेड



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका राजनैतिक क्षेत्र में इकबाल जमकर बुलंद है, के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की आदिवासी बहुल्य घंसौर तहसील में लगने वाले कोल आधारित पावर प्लांट में नियम कायदों को ताक पर सरेआम रखा जा रहा है और विकास के नाम पर मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और केंद्र में राज करने वाली कांग्रेस दोनों ही दल जानबूझकर आंखें बंद किए हुए हैं।
मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सामाजिक पहलू और सामाजिक जिम्मेदारी के नाम पर कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। आरोपित है कि इस संयंत्र के पहले चरण के कागजात में तो सामाजिक जिम्मेदारी और पहलू के बारे में उल्लेख किया गया था किन्तु जब दूसरे चरण की बारी आई तो इस मद में राशि का प्रावधान करने से मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड ने अपने हाथ ही खींच लिए।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पहले चरण में सामाजिक पहलू के बारे में मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड ने वादा किया था कि वह स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करवाएगा। यह रोजगार देने का काम निर्माण और कार्यकारी दोनों ही अवस्थाओं में उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित था।
विडम्बना ही कही जाएगी कि निर्माण अवस्था में दो साल बीत जाने के बाद भी स्थानीय लोग आज भी मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के संयंत्र प्रबंधन का मुंह ताकने पर मजबूर हैं। 22 नवंबर 2011 को संयंत्र के पास ग्राम गोरखपुर में हुई लोक सुनवाई में भी अनेक ग्रामीणों ने संयंत्र प्रबंधन द्वारा निर्माण अवस्था में रोजगार नहीं दिए जाने की शिकायतों को पुरजोर तरीके से उठाया था, किन्तु जिला प्रशासन सिवनी और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर से आए आला अधिकारियों की उपस्थिति के बाद भी संयंत्र प्रबंधन ने उनकी बातों को दबा दिया गया। इन ग्रामीणों की आवाज नक्कारखाने में तूती की ही आवाज साबित हुई।
 कुल मिलाकर सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

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