संसद में उपस्थिति में कमजोर हैं माननीय
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। जनता सांसदों को चुनकर लोकसभा में इसलिए भेजती है ताकि सांसद उनकी बात संसद में रखें, उनके हितों के फैसले लेने में संसद का सहयोग करें। देशहित और जनहित के जुड़ी हर बात के लिए फैसला लेने में महत्वपूर्ण है संसद। संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत मानी जाती है, इस पंचायत से पंचों (सांसदों) के गायब रहने का रिवाज सा बन गया है। सांसदों की अनुपस्थिति में संसद की बैठक स्थगित होना आम बात है इससे देश का कीमती वक्त और धन का अपव्यय ही होता है।
संसद में उपस्थिति के मामले में माननीय सांसदों की फेहरिस्त में अगर देखा जाए तो हंसोड़ सांसद नवजोत सिंह सिद्धू वर्ष 2009 - 2011 में 24 तो 2010 - 2001 में महज 24 फीसदी ही उपस्थित रहे। इसी तरह सुरेश कलमाड़ी 13/63, युवा सांसद जितेंद्र सिंह 46/63, मेनका गांधी 52/61, वरूण गांधी 37/59, सोनिया गांधी 24/53, राहुल गांधी 19/55, शरद यादव 52/69, लाल कृष्ण आड़वाणी 68/33, अशोक तंवर 57/72, अनंत कुमार 58/74, राजनाथ सिंह 57/67, मुरली मनोहर जोशी 64/75, कैलाश जोशी 57/69 एवं यशोधरा राजे सिंधिया ने 2011 में 43 तो 2010 में 79 फीसदी ही उपस्थित दर्ज कराई है। इस तरह कुल देखा जाए तो इन सालों में कुल औसत अधिकांश उपस्थिति 72/84 ही रही।
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