निर्दलीय से भाजपा को हरवाकर बदला लेगी कांग्रेस!
कांग्रेस ऑन नीज इन फ्रंट ऑफ ए इंडिपेंडेंट केंडीडेट!
पीसीसी को भरमा रहे क्षत्रप
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। ‘‘लखनादौन नगर पंचायत में शेष बचे तीन प्रत्याशियों में से एक निर्दलीय सुधा राय को कांग्रेस द्वारा अपना समर्थन दे दिया जाएगा। हमें इंतजार है पर्यवेक्षक की रिपोर्ट का। आज शाम तक हम सुधा राय के पक्ष में कांग्रेस के समर्थन की घोषण कर देंगे। पर्यवेक्षक के प्रतिवेदन के आने के बाद ही नाम वापस लेने वाले अध्यक्ष पद के कांग्रेस के प्रत्याशी को शो काज नोटिस दिया जाकर निलंबन की कार्यवाही की जाएगी।।‘ उक्ताशय की बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया द्वारा आज प्रातः ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ से दूरभाष पर चर्चा के दौरान कही।
श्री भूरिया ने कहा कि उन्होंने अपने पर्यवेक्षक लखनादौन में वस्तु स्थिति का पता करने भेजा है। पर्यवेक्षक के प्रतिवदेन के आते ही कांग्रेस द्वारा निर्दलीय सुधा राय के पक्ष में समर्थन की घोषणा कर दी जाएगी। विदिशा लोकसभा चुनावों का स्मरण कराते हुए जब श्री भूरिया से यह पूछा गया कि 48 घंटे बीतने के बाद भी कांग्रेस द्वारा अध्यक्ष पद के रणछोड़दास प्रत्याशी को शोकाज नोटिस देने या निलंबन की कार्यवाही क्यों नहीं की गई, तो उन्होनें कहा कि इस बारे में वे जिला कांग्रेस कमेटी को कुछ भी कदम उठाने के लिए कह सकते हैं।
गौरतलब होगा कि जब सुषमा स्वराज के खिलाफ कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी राजकुमार पटेल द्वारा नामांकन नहीं भर पाया गया था तब कांग्रेस द्वारा उनके खिलाफ तत्काल कार्यवाही कर उन्हें पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था, वस्तुतः सिवनी के मामले में 48 घंटे बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही ना किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
जब श्री भूरिया के संज्ञान में यह बात लाई गई कि लखनादौन में जिस निर्दलीय प्रत्याशी को कांग्रेस द्वारा समर्थन देने की बात कही जा रही है, उन्हीं के पुत्र दिनेश राय द्वारा वर्ष 2008 में सिवनी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और कांग्रेस भाजपा के परोक्ष समर्थन के चलते इतिहास में पहली बार सिवनी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत भी जप्त हो गई थी। इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
उधर, भूरिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि सिवनी के क्षत्रपों द्वारा दिनेश राय को प्रसन्न करने के लिए नई नई चालें गढी जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार कांतिलाल भूरिया को यह कहकर मनाया गया है कि कांग्रेस का प्रत्याशी मैदान में ना सही, पर भाजपा के प्रत्याशी को निर्दलीय प्रत्याशी के हाथों परास्त कर प्रदेश में अब तक विधानसभा उपचुनावों में हुई करारी हार का बदला अवश्य ही ले लिया जाएगा।
कहा जा रहा है कि कांति लाल भूरिया को जमीनी हकीकत का भान नहीं है। निर्दलीय के हाथों भाजपा को हरवाने की हास्यास्पद बात कहकर कांग्रेस के क्षत्रपों द्वारा ना केवल दिनेश राय के पक्ष में माहौल बनवाया जा रहा है वरन् पीसीसी के आला नेताओं को भरमाया जा रहा है। नगर पंचायत का चुनाव भले ही कांग्रेस के बड़े नेताओं के लिए मायने ना रखता हो पर कांग्रेस के गर्त में जाने के प्रमुख कारकों में से एक हो सकता है यह उदहारण।
सिवनी में चल रही चर्चाओं के अनुसार चूंकि दिनेश राय द्वारा कांग्रेस के एक कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा पूर्व में उस वक्त की थी जब सिवनी लोकसभा सीट का कत्ल हो रहा था। इस सीट के अवसान के उपरांत दिनेश राय द्वारा सिवनी से विधानसभा चुनाव बतौर निर्दलीय लड़ा गया था।
बताया जाता है कि उस समय कांग्रेस की सिवनी सीट को राकांपा के साथ समझौते में चले जाने की चर्चाएं जोरों पर थीं, किन्तु अंतिम समय में कांग्रेस की ओर से प्रसन्न चंद मालू को मैदान में उतारा गया था। वहीं दूसरी ओर भाजपा के दो बार के विधायक नरेश दिवाकर की टिकिट काटकर उनके स्थान पर परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा सीट की अंतिम सांसद श्रीमति नीता पटेरिया को सिवनी से भाजपा द्वारा मैदान में उतारा गया था।
पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा में भीतराघात जमकर हुआ था। कांग्रेस की जमानत जप्त हुई और श्रीमति नीता पटेरिया को जीत हासिल करने में एडी चोटी एक करना पड़ा था। इस दौरान दिनेश राय पर अनेक आरोप भी लगे थे। कहा गया था कि एक साल नगर पंचायत लखनादौन का कार्यकाल बचे रहने के बाद भी दिनेश राय ने सत्तर किलोमीटर दूर सिवनी की ओर रूख किया है। इसके अलावा दिनेश राय द्वारा अपने कौल के हिसाब से हरवंश सिंह ठाकुर की केवलारी विधानसभा की ओर रूख ना करना भी आश्चर्य मिश्रित नूरा कुश्ती का अंग ही माना जा रहा था।
विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस को पी पी कर कोसने वाले दिनेश राय के बारे में कहा जाता है कि वे आरंभ से ही कांग्रेस में प्रवेश के इच्छुक बताए जा रहे थे। कहा जाता है कि महात्वाकांक्षी राय का मानना था कि वे राहुल या सोनिया गांधी के समक्ष ही कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
इस बार नगर पंचायत चुनावों की घोषणा के पहले भी इस तरह की कवायद की गई थी कि पिछले दरवाजे से दिनेश राय की कांग्रेस में एंट्री हो जाए, किन्तु कांग्रेस के अनेक कार्यकर्ताओं के मुखर विरोध के चलते यह कवायद परवान नहीं चढ़ सकी। कहा जा रहा है कि अब कांग्रेस प्रत्याशियों द्वारा निश्चित रणनीति के तहत सुधा राय के पक्ष में मैदान छोड़ा गया है।
इन बातों में सच्चाई कितनी है यह तो दिनेश राय जाने या कांग्रेस के क्षत्रप किन्तु प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया द्वारा जब सुधा राय के पक्ष में समर्थन की घोषणा की बात कही जाती है तो उक्त सारे समीकरणों के सही होने का भान अपने आप ही होने लगता है।
उधर, मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद जो कि आज बैंग्लुरू में थे, से दूरभाष पर चर्चा के दौरान उन्होंने पहले तो यह मामला स्थानीय निकाय का होने के कारण इस मामले में कांति लाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह से चर्चा कर उनका पक्ष्ज्ञ लेने की बात कही गई किन्तु जब उनके समक्ष सच्चाई लाई गई तो वे भी हत्प्रभ रह गए, और उन्होने इस मामले में दखल देने की बात कही है। उधर इस बारे में सचिव अरूण यादव और मीनाक्षी नटराजन से संपर्क करने की कोशिश की गई तो मीनाक्षी नटराजन ने तो मोबाईल उठाने की जहमत नहीं उठाई और अरूण यादव के निज सचिव ने बताया कि वे इंदौर के लिए उड़ चुके हैं और अपरान्ह ही उनसे संपर्क होना संभव है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि दरअसल कांति लाल भूरिया को पर्यवेक्षक के प्रतिवेदन का इंतजार नहीं है। वे इंतजार कर रहे हैं जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी के अध्यक्ष के उस पत्र का जिसमें जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी के नाम वापस लेने से उपजी परिस्थितियों में सुधा राय को कांग्रेस का समर्थन देने की अनुशंसा की जाएगी। कांग्रेस के विरोध के चलते शायद जिला कांग्रेस अध्यक्ष भी खामोशी ही अख्तियार किए हुए हैं।
कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी ने नाम कैसे वापस ले लिया? उसे कारण बताओ नोटिस क्यों जारी नहीं किया गया? क्या सुधा राय के पक्ष में कांग्रेस हथियार डाल देगी? छोटी छोटी सी बात पर चीख चीख कर मीडिया में छाने वाले कांग्रेस के प्रवक्ताओं की फौज क्यों मौन धारण किए हुए है? इन सारे प्रश्नों के जवाब के लिए जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी से संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वे उपलब्ध नहीं हो सके हैं।
संभव है कि इस खबर के प्रकाशन के तुरंत बाद अपनी खाल बचाने की गरज से जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा अपने रणछोडदास प्रत्याशी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस आदि को बेक डेट में जारी कर निलंबन की कार्यवाही आरंभ कर दी जाए, पर 48 घंटे बीत जाने पर भी कांग्रेस के भोंपूओं ने मीडिया के माध्यम से इस मसले पर कुछ नहीं कहा है इसलिए अब की गई पुरानी तिथि की कार्यवाही के बारे में जनता भी सब कुछ जान चुकी होगी।
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